अपनी बात

लोग भूखों मर रहे हैं, जहां तीन महीने से जरुरतमंदों को अनाज नहीं मिला, उस रघुवर का कार्यकाल स्वर्णिम बताते, इन भाजपाइयों को लज्जा नहीं आती

पता नहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठकर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कौन सा चश्मा लगाकर झारखण्ड की वस्तुस्थिति का पता लगा, झारखण्ड के अति होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल को स्वर्णिम काल का तमगा भेंट कर देते हैं, जबकि अपने विरोधियों के मात्र 14 महीने के शासनकाल को वे काला अध्याय बता देते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि राज्य के अति होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के साढ़े चार साल का कार्यकाल देखा जाये, तो यह राज्य में पहली सरकार है, जो अपने वायदों पर कभी खरी ही नहीं उतरी, और इसने जब चाहा तब जनता के पीठ में छुरा घोंपा, झूठ बोला।

यहीं नहीं साढ़े चाल साल तक भारी-भरकम हाथी उड़ाया, बिजली और पानी के लिए जनता को रुलाया, बेरोजगारी के सारे रिकार्ड ध्वस्त किये, भरी सभा में बलात्कार पीड़िता के पिता को जलील किया। किसानों ने आत्महत्याएं की। मात्र इंटरनेट नहीं रहने के कारण तीन महीनों से कई इलाकों में अनाज का वितरण तक नहीं किया गया। संतोषी से लेकर रामचन्दर तक बताया जाता है कि 20 से अधिक लोग भूखजनित बीमारी से मर गये और फिर भी बेशर्मी देखिये, ये रघुवर सरकार के साढ़े चार साल के शासन काल को स्वर्णिम काल कहते हैं।

कमाल हैं क्या किसी शासक के स्वर्णिम काल मे किसान आत्महत्या करते हैं, वहां की जनता भूखों मरती है, वहां की जनता को मुख्यमंत्री से गालियां सुननी पड़ती हैं, और अगर नहीं तो फिर स्वर्णिम काल, सिर्फ इसलिए हो गया कि उसके शासन काल में विधानसभा, प्रेसक्लब, न्यायालय और अल्पसंख्यकों के लिए हज हाउस बन गये, अगर ये सोच हैं तो भाई तुम्हारी ये सोच तुम्हें मुबारक, क्योंकि जहां तक हमारी सोच है कि जब तक इस धरती पर किसी के शासनकाल में कोई भी भूखा इन्सान रह गया या वह भूखजनित बीमारी से मर गया, उसका शासनकाल स्वर्णिम तो दूर, सामान्य शासनकाल भी नहीं हो सकता। उसका शासन आम जनता की नजरों में बेकार, शोषक, अत्याचारी व क्रूरता के लिए ही जाना जायेगा।

हद हो गई, सारा झारखण्ड जानता है कि यहां का मुख्यमंत्री भरी सभी में जनता के बीच कहा कि अगर वह दिसम्बर 2018 तक 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं कराया तो वह 2019 में राज्य की जनता के बीच वोट मांगने नहीं जायेगा, और आज क्या स्थिति है, सभी जानते है, फिर भी इन भाजपाइयों को अपने मुख्यमंत्री के लिए शहद ही टपकते हैं, ऐसे भी करेंगे क्या, उनकी नियुक्ति भी तो इसीलिये ही होती है कि सीएम की जय-जय करते रहे और इसकी आड़ में अपनी रोटी सेंकते रहे, जनता जाये भाड़ में, जनता से उनका परिवार या उनका इमेज थोड़ी ही चमकता है, जो भी चमकता है, सीएम रघुवर की वन्दना करने से, उनके आगे नतमस्तक होने से।

One thought on “लोग भूखों मर रहे हैं, जहां तीन महीने से जरुरतमंदों को अनाज नहीं मिला, उस रघुवर का कार्यकाल स्वर्णिम बताते, इन भाजपाइयों को लज्जा नहीं आती

  • Deepak mehta

    bhut aacha sahi baat h. hm kisi party ka supporter nhi h jo jharkhand or jharkhand ki janta ke bare me sochega. wahi mere liye aacha hai. na ki central gov. ko support kr ke jharkhand ko downword me le jaye. ek CM ka soch aisa hona chahiye 1. state (public jo apko select kiya h 2.) party ( jo apko ummeedwar banaya hai apna tag de kr . but primry party ko dete h.

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