झारखण्ड में कांग्रेस की राज्यसभा की एक सीट पक्की, धीरज की जीत तय

दूध का जला, मट्ठा फूंक-फूंक कर पीता हैं, शायद यहीं कारण है कि पिछली गलती से सबक लेते हुए विपक्ष ने अपने वोटों की इस प्रकार की घेराबंदी कर दी है, कि चाहकर भी भाजपा उछल-कूद करने के बावजूद, दूसरी सीट नहीं निकाल पायेगी। भाजपा ने इस बार अपनी ओर से समीर उरांव को राज्यसभा का टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने धीरज साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है।

झारखण्ड में राज्यसभा की मात्र दो सीटें हैं, और इन सीटों पर अगर दोनों पक्ष एक-एक उम्मीदवार उतारते हैं तो फिर चुनाव की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी पर पिछली बार हुए राज्य सभा के चुनाव में भाजपा ने इस प्रकार से उछल कूद मचाया कि भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे महेश पोद्दार को हारते-हारते जीत मिल गई, यानी हाड़ में हरदी लग गया और वे राज्यसभा पहुंच गये, क्या इस बार भी ऐसा ही होगा? क्योंकि भाजपा फिर इस बार वहीं तिकड़म अपना कर दूसरा कैडिंडेट उतारने का मन बना रही हैं, और इसके लिए उसने प्रदीप सोंथालिया का नाम तय कर रखा है।

ऐसे हम आपको बता दें कि पूरे देश में झारखण्ड, राज्यसभा चुनाव के लिए बदनाम है, यहां के विधायकों की खरीद-फरोख्त तथा सत्ता में शामिल लोगों के करतूतों से पूरा देश परिचित हैं, इसलिए इस बार भी वैसा ही होगा, इसको लेकर अब कोई आश्चर्य नहीं व्यक्त करता, क्योंकि सभी स्वीकारते हैं कि भ्रष्टाचार आज का सदाचार बन चुका है।

सत्तापक्ष के पास चूंकि 47 वोट हैं और उसे एक जीत के लिए 27 वोट चाहिए, और एक जीत हासिल करने के बाद उसके पास 20 वोट बच जाते हैं, शायद वह इसी कारण दूसरी सीट पर जीत हासिल के लिए सात वोटों के जुगाड़ में लग चुकी हैं और इसके लिए साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करने का भी मन बना चुकी है, इधर विपक्ष के पास झामुमो के 18, कांग्रेस के 7 और झाविमो के दो वोट मिलाकर 27 वोट हो जाते हैं।

अगर भाकपा माले और मासस के वोटों को जोड़ दें तो यह वोटों की संख्या 29 हो जाती हैं, इसी से क्लियर हो जाता है कि इस बार भाजपा के उछल-कूद करने के बावजूद भी उनका दूसरा उम्मीदवार भी जीत जायें, ऐसा संभव नहीं दीखता, अर्थात् कांग्रेस के धीरज साहू को चुनौती देना, इस बार भाजपा के लिए संभव नहीं, इसलिए धीरज साहू की जीत फिलहाल पक्की है।