अपनी बात

लालच भारत छोड़ो, कभी-कभी नेता, अच्छे समय पर, काम की बात बोल जाते हैं

लालच भारत छोड़ो, कभी-कभी नेता, अच्छे समय पर, काम की बात बोल जाते है, जो लोगों के दिलों में उतर जाती है। कल की ही बात है, पूरे देश में 1942 भारत छोड़ों आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ मनायी जा रही थी। संसद से लेकर देश के महानगरों मे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे थे। ममता बनर्जी कोलकाता में एक रैली के माध्यम से भाजपा भारत छोड़ों का नारा दे रही थी, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में लालच भारत छोड़ों का नारा दे रहे थे। लालच भारत छोड़ों नारा देने के दौरान जो बाते उन्होने उजागर की, वह चौकानेवाला था। उन्होंने बताया कि भागलपुर में सरकारी खजाने के पैसे को काफी तेजी से व्यवसाय के माध्यम से दूसरी जगह स्थानांतरण किया जा रहा है, जो कोई छोटा-मोटा मामला नहीं, बल्कि 295 करोड़ का घोटाला है। फिलहाल ये एक जिला भागलपुर का मामला है, अगर बिहार के पूरे जिलों की अगर हम बात करेंगे तो स्थिति भयावह होगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इसके अच्छे परिणाम भी निकलेंगे।

भ्रष्टाचार भारत के जड़ में समाया, समूल नष्ट करना संभव नहीं

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चोट भ्रष्टाचार पर था। हमारा मानना है कि भ्रष्टाचार अब भारतीयों के खून में रच बस सा गया है। लोग खुब भ्रष्टाचार पर बोलते है, पर स्वयं भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे होते है। ऐसे में भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करना संभव नहीं लगता। स्थिति ऐसी है जो अब तक पकड़े नहीं गये, वे संत और जैसे ही पकड़ में आ जाते है, भ्रष्टाचारी की श्रेणी में आ जाते है। पूर्व में हमारे समाज में जो भ्रष्टाचार में लिप्त होता था या गलत करते पकड़ा जाता तो उसका सामाजिक बहिष्कार होता था। गांवों में हुक्का पानी बंद कर दिया जाता था, पर आज ये स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। झारखण्ड का हाल ये है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास खुब भ्रष्टाचार को मिटाने की बात करते है, पर उनके साथ जो भी लोग है, वे भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे है, उनके खिलाफ आरोप होने पर भी, वे उस पर कार्रवाई नहीं करा पाते, ऐसे में यहां की क्या स्थिति है? आप समझ सकते है, जो आईएएस अधिकारी ईमानदार है, उनकी बोलती बंद है, और जो भ्रष्टाचार में लिप्त है, वो मस्ती में है।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश और रघुवर में असमानता

ऐसे भी रघुवर दास की तुलना नीतीश कुमार से किसी भी हाल में नहीं की जा सकती, क्योंकि एक शराब पर प्रतिबंध लगाता है, दूसरा स्वयं की देखरेख में शराब बिकवाता है, यहीं नहीं शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों को भी शराब की बिक्री की देखरेख में लगा देता है। नीतीश कुमार ने बालू टेंडर का एक सुंदर उदाहरण दिया है और उदाहरण के दौरान बात ही बात में कह दिया कि बिहार में बहुत घोटालेबाज हो गये है, पता नहीं कहां-कहां से आ गये। उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि गांधी ने अंग्रेजों से कहा – भारत छोड़ों, आप कहिये लालच भारत छोड़ों। जरा कल्पना कीजिये अगर लालच भारत छोड़ देता है, भारतीय लालच से मुंहमोड़ लेते है, तो भारत कैसा होगा। बात भी सही है कि पृथ्वी हमारी सारी जरुरतों को पूरा करने में सक्षम है, पर जब हम लालची हो जाये, तो कोई भी उस जरुरत को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा।

नीतीश की आपबीती, असंख्यों से जुड़ी हुई

नीतीश कुमार ने अपनी आपबीती में जो बात बतायी है, वे आपबीती केवल उनकी ही नहीं, बल्कि असंख्य लोगों की है। सीएम नीतीश ने कहा कि वे चौथी कक्षा में जाने के बाद पहली बार हवाई चप्पल पहनी थे, अब जो बच्चे एसी में पढ़ेंगे, वे बड़े होकर क्या करेंगे?  ये सवाल शत प्रतिशत सहीं है। मैं तो हाई स्कूल तक खाली पांव ही गया हूं, आठवी कक्षा में गया तो हवाई चप्पल पहननी शुरु की, जो आज भी मेरे पांव की शोभा बढ़ाता है, ऐसे भी मुझे हवाई चप्पल पहनना ही पसंद है, न पहनने की झंझट, न उतारने की झंझट और न चोरी हो जाने का झंझट, न मंदिर में जाने के बाद उसकी देखभाल का झंझट यानी झंझट से मुक्ति का एक ही समाधान –  हवाई चप्पल।

पकड़िये नीतीश जी, उन रंगे सियारों को

मुख्यमंत्री के निर्देश पर भागलपुर इओयू टीम पहुंच चुकी है। सूत्र बताते है कि सही-सही जांच हो जाये, तो कई ईमानदार बननेवाले शो कॉल पत्रकार भी इस चपेट में आ जायेंगे, जो स्वयं को फिलहाल फेसबुक में नायक की तरह प्रस्तुत करते है, चलिए नीतीश जी जल्दी करिये, नकाब उतारिये सियारों का, हम भी देखे, ये कौन है, जो सृजन के नाम पर विनाश का बीज बो दिये हैं…