अपनी बात

न तो रघुवर किसी को सम्मान देते हैं और न उनके सचिव ही CM को सम्मान देना जरुरी समझते हैं

वह मुख्यमंत्री का सचिव है, पर खुद को मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव कहलाना ज्यादा पसन्द करता है, वह मुख्यमंत्री का सम्मान भी नहीं करता, क्योंकि वह जानता है कि जनाब मुख्यमंत्री सम्मान के लायक ही नहीं हैं, जरा इस फोटो को ध्यान से देखिये, मुख्यमंत्री के कथित प्रधान सचिव की मुख्यमंत्री के सामने बैठने की अदा।

जो बता देती है कि राज्य के मुख्यमंत्री के प्रति उनका कितना सम्मान है, सवाल है इसमें गलती मुख्यमंत्री के कथित प्रधान सचिव सुनील कुमार बर्णवाल की नहीं, बल्कि उनके संस्कार और चरित्र की है, ऐसे भी झारखण्ड के मुख्यमंत्री को पता ही नहीं होता कि सामनेवाला व्यक्ति उनको सम्मान दे रहा है या उन्हें अपने पॉकेट में रखने का उन्हीं के समक्ष ऐहसास करा रहा है।

अब आपके सामने दूसरा फोटो है, इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास एक वैवाहिक समारोह में पहुंचे है, बताया जाता है कि यह वैवाहिक समारोह किसी और का नहीं, बल्कि हजारीबाग सदर के भाजपा विधायक मणीष जायसवाल के बेटे की शादी का है। जहां विधायक मणीष जायसवाल के पिता पूर्व जिप अध्यक्ष ब्रज किशोर जायसवाल जिनकी उम्र 76 साल हैं, वो हाथ जोड़कर सीएम के सामने खड़े हैं और सीएम रघुवर दास का बॉडी लैग्वेंज देखिये, न तो वे ब्रज किशोर जायसवाल के प्रणाम का जवाब दे रहे है और न ही उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं, वे जिस प्रकार खड़े हैं, वो मुख्यमंत्री के संस्कार और चरित्र दोनों को उजागर कर रहा है।

यह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि दरअसल ये भाजपा के लोगों को आज जानना जरुरी है, कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की जो भाषा है, जो संस्कार है, जो फिलहाल लोगों के सामने उनका चरित्र दिखाई पड़ रहा है, वो भाजपा को गर्त में ले जाने के लिए काफी है, क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास की भाषा एवं बॉडी लैंग्वेज से केवल भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि सारे विधायक-मंत्री, केवल एक आइएएस सुनील कुमार बर्णवाल को छोड़कर सभी आइएएस परेशान हैं।

आइएएस सुनील कुमार बर्णवाल तो मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री समझते भी है या नहीं, वो तो सीएम के सामने, उनके बैठने का तरीका ही बता देता है। आश्चर्य है कि इस प्रकार का फोटो सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की साइट भी प्रसारित कर देता है, पता नहीं उसे ज्ञान भी है या नहीं कि ऐसा फोटो देने से मीडिया या सोशल साइट जगत् या अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री रघुवर दास के इमेज पर क्या असर पड़ेगा?

फिर भी सभी मजे में है, शायद इन सभी को पता है कि ऐसे भी 2019 में भाजपा को विदा होना ही है, तो क्यों नहीं जब तक सत्ता में हैं, सत्ता का रसपान करते रहे, ऐसे भी बाद में सत्ता नहीं रहने पर, कौड़ी के तीन हो ही जाना है, इसलिए चार्वाक का सिद्धांत अपनाओ, वहीं “यावत् जीवेत् घृतं पिबेत्” वाली लोकोक्ति को जीवन में उतारों और मस्त रहो, पता नहीं जनता कौन से इलेक्शन में अपनी औकात बता दें।