भाजपाइयों ने कहा “हमको मोदी जी माफ करना, चिरकुंडा में गलती पार्टी से हो गई।”

चिरकुंडा नगर परिषद् चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में अध्यक्ष पद के लिए डब्लू बाउरी और उपाध्यक्ष पद के लिए जय प्रकाश सिंह ने नामांकन किया, वहीं इन प्रत्याशियों का विरोध भी भाजपाइयों ने जमकर किया तथा चिरकुंडा में क्षुब्ध भाजपाइयों ने नारा गुंजाया मोदी जी से बैर नहीं, पर जानकी राखा, संदीप चटर्जी भी गैर नहीं।” यहीं नहीं जब भाजपा प्रत्याशी डब्लू बाउरी और जयप्रकाश सिंह अपना नामांकन करने के लिए जैसे ही निकले, उनके साथ कार्यकर्ताओं का हुजूम इतना कम था कि बेचारे यहां के खुद को कद्दावर नेता बतानेवाले, रांची स्थित भाजपा कार्यालय में ज्यादा समय बितानेवाले और निरसा विधानसभा सीट से हार का स्वाद चखनेवाले गणेश मिश्र का चेहरा उतरा नजर आया। सूत्र बताते है कि इस नामांकन के समय जब भाजपा उम्मीदवार की बेहतर स्थिति नहीं दीखी तो धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने ज्यादा देर रुकना यहां ठीक नहीं समझा और वे तुरंत धनबाद को लौट गये।

क्षुब्ध भाजपाइयों ने नगर विकास समिति की ओर से भाजपा से एक कदम आगे निकलते हुए नया नारा दिया “हमको मोदी जी माफ करना, चिरकुंडा में गलती पार्टी से हो गई।” चिरकुंडा में भाजपा नेतृत्व से क्षुब्ध कुछ कार्यकर्ताओं का कहना था कि भाजपा में दो तरह के कार्यकर्ता हैं – एक निष्ठावान कार्यकर्ता और दूसरा चापलूस कार्यकर्ता। निष्ठावान कार्यकर्ता तेजपत्ता की तरह होता है जो डाला तो सबसे पहले जाता है लेकिन फेंका सबसे पहले जाता है, और चापलूस कार्यकर्ता धनिया पत्ती की तरह होता है जो डाला तो सबसे अंत में जाता है, लेकिन स्वाद का सारा श्रेय उसे ही दिया जाता है।

धनबाद के चिरकुंडा में हो रहे नगर निकाय के चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं का अपनी ही पार्टी के खिलाफ खुलकर सड़क पर उतरना और अपने ही भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ नया उम्मीदवार खड़ा कर देना, सब कुछ कह दे रहा है कि यहां चिरकुंडा में भाजपा की हालत ठीक नहीं, साथ ही गणेश मिश्र की दयनीय स्थिति का भी पोल खोल दे रहा है, अगर मतदान तक स्थिति यही रही तो एक बात तो तय है कि यहां की दोनों सीटें भाजपा गंवा चुकी होगी।

अब ऐसे में भाजपा अपने उम्मीदवारों को जीताने के लिए तथा अपने कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए क्या करती है, फिलहाल सभी का ध्यान उसी ओर है, ऐसे भी भाजपा के ये गुस्साये कार्यकर्ता अपने नेताओं की बात मान ही लेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता, परंतु इतना तय हैं कि इन कार्यकर्ताओं की निष्ठा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति वैसा ही है, जैसा 2014 के समय था, यानी मोदी के प्रति समर्पण और सीएम रघुवर दास तथा स्थानीय नेता गणेश मिश्र के प्रति लोगों का गुस्सा सर्वाधिक है।