अपराध

तापसी चौधरी ने दी धमकी, अगर उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला तो वह खुद को खत्म कर लेगी

आज मौसमी चौधरी की पुण्य तिथि है। लौहनगरी जमशेदपुर की बहुचर्चित मौसमी हत्याकांड के पूरे नौ साल बीत गये, हर साल मौसमी को चाहनेवाले और उनका परिवार आज के दिन शोक मनाते, कैंडल मार्च निकालते तथा शोकसभा करते है, साथ ही मौसमी को न्याय मिले, इसके लिए सभी से गुहार लगाते है, पर कोई उनकी सुनने की कोशिश नहीं कर रहा। आज मौसमी चौधरी की मां तापसी चौधरी ने साफ कह दिया कि अगर उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला तो वह अदालत परिसर में ही खुद को खत्म कर लेगी।

मौसमी चौधरी हत्याकांड की जांच कर रही जांच एजेंसियों पर आरोप है कि वह इस मामले को ठीक ढंग से नहीं जांच रही, पक्षपात कर रही है। जिस मौसमी चौधरी के संदिग्ध मामले की जांच सीबीआइ कर रही है वो मामले को दुर्घटना बताने की हड़बड़ी में है, लेकिन मौसमी चौधरी की मां तापसी चौधरी आज भी अपने पुराने बयान पर कायम है कि मौसमी के साथ पहले दुष्कर्म हुआ और फिर उसके बाद उसकी हत्या होटल सीनेट में कर दी गई, उसके बाद उसे टीएमएच हास्पिटल लाया गया।

तापसी चौधरी आज भी अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत है, तथा संघर्षरत है, जमशेदपुर के वे लोग, जो मौसमी हत्याकांड की न्यायिक जांच के लिए आज भी कोई समझौता करने को तैयार नहीं। आंदोलनकर्ता तो दोषियों का नार्को टेस्ट कराने की भी मांग कर रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि ट्रेनी एयर होस्टेस मौसमी चौधरी को संदिग्ध हालत में 9 मई 2009 को जमशेदपुर के होटल सीनेट से टीएमएच लाया गया था, जहां 20 मई को टीएमएच प्रबंधन ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन मां तापसी चौधरी 20 मई को मौसमी का पुण्य तिथि नहीं मनाती, वह 9 मई को ही मौसमी की पुण्यतिथि मनाती है। 9 मई को मौसमी के पुण्यतिथि मनाने को लेकर तापसी चौधरी साफ कहती है कि एक नामी गिरामी होटल से हाउस कीपिंग का ट्रेनिंग ले रही आहा संस्थान की ट्रेनी एटर होस्टेस अर्द्धनग्न हालत में टीएमएच लाई जाती है, जहां आपातकालीन के ड्यूटी पर तैनात डा. प्रभात उसको अस्पताल में एडमिट करने से इन्कार कर देते है कि ये तो लाश है।

आनन फानन में टाटा के बड़े अधिकारी उसे पहले आइसीयू, फिर सीसीयू में डालते है। तापसी चौधरी आज भी चीखकर कहती है कि उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी गई, पर कोई उनकी सुनने की कोशिश नहीं कर रहा।

सूत्र बताते है कि उस वक्त के तत्कालीन बिष्टुपुर थाना प्रभारी चार-पांच दिनों तक घटनास्थल पर जाने की जहमत तक नहीं उठाई, मौसमी की मेडिकल जांच तक नहीं कराई गई, न ही किसी का बयान दर्ज किया गया, मामले की दो-दो बार सीबीआइ जांच हुई और हर बार में इसे दुर्घटना करार दे दिया गया, जबकि इसी मामले में मौसमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि मौसमी के शरीर पर 14 जख्म थे, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और अन्य बातों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहले ही धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने का सीबीआइ को निर्देश दे चुका है।

आश्चर्य यह भी है कि जिस डा. प्रभात ने मौसमी के हालात को देखकर अस्पताल में एडमिट करने से मना कर दिया था कि ये तो लाश है, उस डा. प्रभात की 17 दिसम्बर 2009 को हत्या कर दी जाती है, जबकि ठीक एक महीने पहले सीबीआई की टीम ने होटल सीनेट और टीएमएच का दौरा किया था, ये घटना स्पष्ट रुप से इशारा करती है कि दोनों हत्याकांड के तार एक दूसरे से कैसे जुड़े है? इस संदर्भ में कभी वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी बयान दिया था कि मौसमी और प्रभात की हत्याकांड के तार एक दूसरे से जुड़े है, लेकिन सीबीआइ ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया।

सीबीआइ लाख बहाने बना लें पर मौसमी हत्याकांड और उसके बाद डा. प्रभात की हुई हत्या बहुत कुछ बता देती है, जमशेदपुर के लोग आज भी मौसमी की हत्या और डा. प्रभात की हत्या को भूले नहीं है, संघर्ष कर रहे हैं, पर एक दिन ये संघर्ष रंग लायेगा, मौसमी और डा. प्रभात की हत्या करनेवाले लोग सलाखों में होंगे, शायद यहीं कारण है कि जमशेदपुर के लोग आज भी संघर्षरत दीखे।