अपनी बात

प्रेस क्लब को जनसामान्य के बेटे-बेटियों की शादी के लिए भी अपना द्वार खोल देना चाहिए

जिन्हें भी अपने बेटे या बेटियों की शादी-विवाह समारोह संपन्न कराने के लिए स्थल की दिक्कतें आ रही हैं, वे रांची प्रेस क्लब में अपने बेटे या बेटियों की शादी संपन्न करा सकते हैं, शादी ही क्यों? मुंडन, चूड़ाकरण, बेटे-बेटी का इंगेजमेंट, डीजे का आनन्द या कोई पार्टी के लिए भी आप रांची प्रेस क्लब का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसकी शुरुआत कल एक शादी समारोह से प्रारंभ हो चुकी हैं, हालांकि इसकी शुरुआत किसने कराई, किसके आदेश से यह सब हुआ, यह पता नहीं चल पा रहा हैं।

जब विद्रोही24.कॉम ने इस संबंध में जानकारी प्राप्त करनी चाही तब रांची प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन ने इस पूरे मामले में अनभिज्ञता जाहिर की। विद्रोही 24.कॉम ने जब इस मामले के बारे में कार्यकारिणी के सदस्य गिरिजा शंकर ओझा से संपर्क किया, तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया, एक अन्य सदस्य संजय रंजन ने इस संबंध में आधी-अधूरी जानकारी देने की कोशिश की, पर उन्होंने भी काम-काज का बोझ बताकर इस मामले की पूरी जानकारी नहीं होने की बात कही, पर इतना जरुर बताया कि कल की पार्टी किसी आईपीआरडी में काम कर रहे, एक महानुभाव की थी, और चूकि यह प्रेस क्लब आईपीआरडी से जुड़ा हैं तो उनका हक तो बनता ही हैं।

इधर वरिष्ठ पत्रकार एवं आजाद सिपाही समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक हरिनारायण सिंह से जब विद्रोही 24.कॉम ने इस संबंध में बातचीत की,तब उन्होंने कहा कि रांची प्रेस क्लब में शादी समारोह के आयोजन की शुरुआत करना एक गलत परम्परा की शुरुआत हैं, लोगों को इससे बचना चाहिए, प्रेस क्लब शादी समारोह या अन्य अनुष्ठानों के लिए नहीं बना हैं, ये संगोष्ठी, सेमिनार, प्रेस वार्ता तथा प्रेस से ही संबंधित व्यक्तियों के मामलों से जुड़ा होना चाहिए, जिन्होंने भी इसकी शुरुआत की हैं, यह गलत किया है।

इधर रांची प्रेस क्लब से ही जुड़े कई सदस्यों ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि उनकी चाहत थी कि वे अपनी पहली शादी रांची प्रेस क्लब से ही करते, पर अब तो इसकी उद्घाटन का श्रेय किसी और ने ले लिया, अब वे क्या करें?

वरिष्ठ पत्रकार किसलय का कहना था कि हो सकता हैं कि रांची प्रेस क्लब के लोग प्रेस क्लब की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ऐसा किया हो, पर इस प्रकार के आयोजनों से बचने की आवश्यकता हैं, आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए और कई रास्ते हैं, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

कल रांची प्रेस क्लब में शादी समारोह के आयोजन ने रांची प्रेस क्लब में एक नये विवाद को जन्म दिया है, एक का कहना है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ऐसा आयोजन जरुरी हैं, पर एक बहुत बड़ा वर्ग हैं जो इसका विरोध कर रहा हैं। कुछ सदस्यों ने तो आक्रोशित होते हुए कहा कि रांची प्रेस क्लब के चुनाव संपन्न हो जाने तथा शपथ ग्रहण होने के बाद भी किसी अधिकारी या कार्यकारिणी के सदस्यों ने संपर्क तक नही किया, वोट देने के लिए उन्हें धन्यवाद तक नही दिया।

ये तो ऐसी हरकतें करने लगे कि जैसे लगता हो कि बहुत बड़े नेता हो गये, होना तो यह चाहिए था कि सभी एक बैठक बुलाते, गेट-टूगेदर करते, परामर्श लेते कि कैसे रांची प्रेस क्लब की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाया जाये, कैसे इसके सम्मान को बढ़ाया जाय? पर इनलोगों ने तो गजब ढा दिया हैं, ऐसे में रांची प्रेस क्लब रहे या न रहे, सामान्य पत्रकारों को इससे क्या मतलब? ऐसे में जो उत्साह रांची प्रेस क्लब के चुनाव में दिखा था, वह उत्साह अब धीरे-धीरे ढलान की ओर जा रहा हैं, जो किसी के लिए भी शुभ संकेत नहीं।