अपनी बात

क्या आप जानते हैं, जेल जाते हुए नेता यह क्यों कहता हैं कि हमें अदालत पर भरोसा है

जब किसी नेता पर कोई अपराधिक आरोप लगाता है, और उसे न्यायालय के जब चक्कर लगाने पड़ते हैं या निचली अदालत उसे दोषी करार देती है, तो ध्यान दीजियेगा, निचली अदालत की फैसला आने के बाद, दोषी करार दिया गया नेता का बयान क्या होता है?  सभी का बयान एक ही रहता है कि मुझे न्यायालय पर भरोसा है। आप जानते है, वह ऐसा क्यों कहता है, क्योंकि वह जानता है कि इस देश में अदालत जो बनाई गई, वह अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए बनाई थी और उसका उन्होंने सदैव अपने हित में उपयोग किया। इसी अदालत की आड़ में, क्रांतिकारियों को जब चाहे, तब फांसी दे दी गई, आंदोलनकारियों को जब चाहे, जब जेल में बंद कर दिया और जब उनके लोग फंसते तो बड़ी चतुराई से उन्हें न्यायालय से बरी कर देते या करा देते।

उदाहरण देखिये, 13 अप्रैल 1919, कौन नहीं जानता कि उस दिन जालियांवाला बाग में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने निहत्थे मासूमों को गोलियों से भून डाला। जिसमें एक हजार से भी अधिक लोग शहीद हो गये, दो हजार से भी अधिक लोग घायल हो गये। क्या कोई बता सकता है कि ऐसे घृणित पाशविक कार्य करनेवाले जनरल डायर को किस ब्रिटिश अदालत ने सजा सुनाई थी? उत्तर है – नहीं। कोई बता सकता है कि किस अंग्रेज ने इस कुकृत्य के लिए भारत से माफी मांगी?

ठीक उसी प्रकार भारत की कोई अदालत बताये कि किस नेता को उसके अपराध के लिए भारत की सर्वोच्च अदालतों ने उन्हें सजा सुनाई। सच्चाई तो यह है कि निचली अदालत या उपरि अदालत बनाई ही गई है, घटियास्तर के कुकृत्य करनेवाले नेताओं को बाइज्जत बरी करने-कराने के लिए शामिल होते है, वे सब जो न्यायालय को खरीदते और न्यायालय को बेचते हैं।

जब पिछले दिनों नई दिल्ली के विशेष सीबीआई अदालत ने बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गुरुवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके प्रमुक करुणानिधि की बेटी कनिमोझी सहित सभी 44 आरोपियों को बरी किया तो हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि हम जानते है कि ये भारत हैं, और भारत का नेता, हर प्रकार से भ्रष्ट होने के बावजूद भी चरित्रवान रहता है, ये ध्रुव सत्य हैं, नहीं तो कोई बताये 15 अगस्त 1947 से लेकर अब तक जितने भी घोटाले हुए, उनमें से कौन-किस अदालत में सजा काट रहा है? भाई देश का नेता है, राज्य का नेता है, वह घोटालेबाज कैसे हो सकता है? उसे जनता वोट देकर, अपना सर्वस्व मानती है?  वह देश का गद्दार कैसे हो सकता है?

असल में देश का गद्दार तो किसान-मजदूर है, जो कि नेताओँ और ब्यूरोक्रेट्स की नजरों में कामचोर है, जो काम नहीं करता, केवल हराम की सब्सिडी लेने के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाये रहते है। हमारे राजनीतिज्ञ तो बड़ी मेहनत करते है, तभी तो उनकी सुविधा के लिए संसद की कैंटीन में सस्ते और शुद्ध आहार वह भी सब्सिडी पर उपलब्ध कराये जाते है। जरा देखिये भाजपा और कांग्रेस की गहरी दोस्ती, जो कांग्रेस को भ्रष्टाचार की जननी कहते थे, आज वो सत्ता में हैं, पर इनकी हिम्मत नहीं कि भ्रष्टाचारियों को पकड़ कर, उन्हें सजा दिलवा सकें। उनके सारे अंग, जो सजा दिलाने के लिए जाने जाते हैं, धराशायी है। कल तक जो रावर्ट वाड्रा पर आरोप लगाते थे, उनकी हिम्मत नही कि रावर्ड वाड्रा को जाकर छू ले।

आज फिर अखबार में पढ़ने को मिला, चव्हान पर आदर्श सोसाइटी मामले में केस नहीं चलेगा। ये सारे प्रमाण है कि हमारे देश में जो अदालते बनी हैं, वह गरीबों को फांसी पर लटकाने के लिए बनी है, सत्ता और अमीरों के लिए तो ये चाटुकार है। जरा देखिये, खुद को 100 प्रतिशत शुद्ध माननेवाली भाजपा के शासनकाल में कैसे-कैसे हैरतअंगेज अदालत ने फैसले सुनाये है –

जेसिका को किसी ने नहीं मारा

ब्लैक बक को किसी ने नहीं मारा

आरुषि को किसी ने नहीं मारा

टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ ही नहीं

है न आश्चर्य!

इसलिए जिन मधु कोड़ा को हाल ही में रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने कुछ दिन पहले सजा सुनाया था, यकीन मानिये, ये भी बाइज्जत बरी होंगे, हमें पूरा विश्वास है, क्योंकि इन्होंने कहा है कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है, और हमें भी न्यायालय पर पूरा भरोसा है कि उपर तक जाते-जाते अदालत इन्हें बाइज्जत अवश्य बरी करेगी, ठीक उसी प्रकार जैसे बिहार के दबंग सांसद पप्पू यादव को निचली अदालत ने सजा सुनाया और हाई कोर्ट आते-आते जनाब बाइज्जत बरी हो गये।

ठीक उसी प्रकार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद जी, आप भी मत घबराइये। चारा घोटाला में आपके विरुद्ध जो भी फैसला आये, आपको कुछ नहीं होगा, इसके बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट है, आप बड़े नेता है, आपके पास पैसे की कोई कमी नहीं, समुद्र से कोई एक गागर पानी भी निकाले ले, तो सागर को क्या फर्क पड़ता है? इसलिए आराम से कोर्ट का फैसला सुनिये और फिर जब कोई पत्रकार पूछे तो कहिये –  हमें अदालत पर पूरा भरोसा है।

हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा। मस्त रहिये। बिहार के धरती पुत्र है, अरे जो काम डा. राजेन्द्र प्रसाद ने नहीं किया, राष्ट्रपति पद पर रहते हुए, आपने किया है, मजाक थोड़े ही है।