अपनी बात

CM साहेब, क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता, थोड़ा बड़प्पन दिखाइये

CM साहेब, याद रखिये, दुनिया का कोई भी व्यक्ति, अगर किसी से, किसी बात को लेकर क्षमा मांगता हैं, तो वह इस कारण से, छोटा नहीं हो जाता, बल्कि वह और उसका व्यक्तित्व और निखरता हैं। शायद यहीं कारण रहा होगा कि सुप्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा –

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

यह कविता, खासकर क्षमा को लेकर इस प्रकार से दिनकर जी ने लिखी है कि इसका भाव स्वतः स्पष्ट हो जाता है, हमें नहीं लगता कि इसके अर्थ लिखने की भी यहां आवश्यकता है।

संघ की ही एक राजनीतिक इकाई भाजपा में ही लोगों ने कभी अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशी का युग देखा है। आज भी उस युग को याद कर लोग, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी को भूल नहीं पाते। पहली बार जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने और मात्र 13 दिनों में जिस प्रकार से अपने दायित्वों का निर्वहण करते, संसद में विपक्षियों के हमले को सहा, यह विपक्षियों के हमले की ही तपन थी कि वाजपेयी निखरे, और देश की जनता के सिरमौर बने। आज भी उस वक्त का अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक भाषण, जिन लोगों ने किसी कारणवश उस वक्त नहीं सुना, आज वे यू-ट्यूब पर रखे, उनके इस ऐतिहासिक भाषण को देखते-सुनते और सम्मान से नाम लेते हैं।

देश में कई राज्य हैं, और कई राज्यों के बहुतेरे मुख्यमंत्री, पर इनमें से कोई एक ही मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करता है, और यह कैसे होता है? इस पर जरा आप विचार करिये। भारत के पश्चिम में गुजरात बहुत कुछ कहता है। एक समय था, जब नरेन्द्र मोदी को देश के कई चैनल देखना पसन्द नहीं करते थे, जब भी गुजरात चुनाव आता, उन्हें दंगाई के रुप में पेश किया जाता। अमरीका समेत कई पश्चिमी देश तो खूलेआम कहा कि वे नरेन्द्र मोदी को अपने देश में आने के लिए वीजा नहीं देंगे, पर नरेन्द्र मोदी ने इनका कोई उत्तर नहीं दिया और न ही उन पत्रकारों के खिलाफ कोई एक्शन लिया, जो उनके खिलाफ हुआ करते थे, वक्त ऐसा पलटी मारा कि आज वे देश के प्रधानमंत्री हैं और सभी को स्वतः उत्तर मिल गया। ऐसे में, आप अपने ही नेता वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ सीख ही सकते हैं और रही बात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की, तो एक पत्रकार से नेता बना, यह शख्स तो पूरे विश्व के नेताओं को बता दिया कि अपने विचारों को कैसे प्रकट किया जाता है? इन्होंने तो कभी अनुचित शब्द विपक्षी नेताओँ के लिए नहीं निकाले और न ही अपने आचरण से कभी देश अथवा संसद को कलंकित होने दिया।

गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ आपका दिया वक्तव्य और विधानसभा में विपक्षी नेताओं के खिलाफ दिये गये आपत्तिजनक बयान ने पूरे झारखण्ड के सम्मान को प्रभावित किया है, ये अलग बात है कि आप इसे स्वीकारने को तैयार नहीं। ऐसा नहीं कि भाजपा में केवल आप ही हैं। बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो भाजपा और संघ से जुड़े हैं, और वे जानते है कि आपने महापाप किया है, पर वे आपके खिलाफ बोलने से कतराते है। जो सत्ता की लालच में कुछ पद पाने की इच्छा रखनेवाले लोग, आपके अगल-बगल हमेशा घुमते रहते है, उनका केवल एक ही मकसद होता है कि आपसे कुछ प्राप्त कर लें, वे आपकी गलत बातों को भी वाह-वाह करके, अपना काम निकालना चाहते है। याद रखिये, ये लोग किसी के नहीं होते, ये तो मौके के यार है, आज आपकी जगह दूसरा कोई मुख्यमंत्री हो जाये, फिर देखिये ये कैसे रंग बदलते हैं? इसलिए सत्य को स्वीकार करिये। विपक्षी नेताओं को घर बुलाइये, या कभी स्वयं उनके घर जाकर गिले-शिकवे दूर करिये, ताकि एक सुंदर छवि राज्य की दीखे, फिलहाल आपका जो रवैया है, वह झारखण्ड हित में नहीं हैं। इसे स्वीकार करिये।

अगर आपको लगता है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखण्ड का नव-निर्माण किया था, तो यह भी याद रखिये कि वहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में बयान दिया था – निन्दक नियरे राखिये, पर आपने अटल बिहारी वाजपेयी के इस सुंदर वक्तव्य को छोड़, आपने अपना लिया, कनफूंकवे नियरे राखिये। ये पूर्णतः गलत है, आप ये स्वीकार करिये कि भाजपा और संघ से जुड़े कई अच्छे और चरित्रवान लोग आपको पसंद नहीं करते और जनता की नजरों से तो आप ओझल हो रहे हैं, पर इसका आपको भान नहीं। ये भय से नहीं बोलते है, यह अलग बात है, पर मैं जानता हूं कि आप उनके बीच अलोकप्रिय है। आज सुना है कि भाजपा प्रदेश कार्यालय में कुछ नेताओं ने प्रेस कांफ्रेस कर, इस बात को झूठलाने की कोशिश की, कि आपने गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ कुछ नही कहा। इन नेताओं ने कुछ हास्यास्पद बातें भी कही कि अगर ऐसा बोला होता तो समाचार पत्रों में आता, अरे भाई यहां के समाचार पत्रों, चैनलों और उनके संपादकों के कुकृत्यों को यहां के लोग नहीं जानते है क्या?  अगर यहीं सही होते, तो झारखण्ड बर्बादी की कगार पर होता क्या?

ऐसे आपकी मर्जी, पूर्व जन्म का कुछ अच्छा कर्म है, मुख्यमंत्री बन गये, पर आनेवाले जन्म में भी ऐसा हो, इसके लिए भी कुछ वर्तमान में करना होगा, इसके लिए अच्छे लोगों, चरित्रवान लोगों को अपना बनाइये, नहीं तो जो झारखण्ड झेल रहा हैं, वह झेलता रहेगा, इसमें हम भी क्या कर सकते हैं, गर ईश्वर ने लिख ही दिया कि इसे आगे नहीं बढ़ना है तो हम बोलकर या लिखकर भी क्या कर सकते हैं? अन्त में, जनता की ओर से कबीर द्वारा लिखित साखी आपको समर्पित, शायद आपका ज्ञानचक्षु खोल दें –

निर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय।

मरे मृग के छाल से, लौह भस्म होइ जाय।।