अपनी बात

देर रात जमशेदपुर की जनता, पहुंच गई सरयू के घर, दी कसम, कहां आपको चुनाव लड़ना ही होगा

एक लोकोक्ति है कुआं प्यासा के पास नहीं जाता, प्यासा कुआं के पास आता हैं, पर जमशेदपुर की जनता ने भाजपा के वरिष्ठ नेता सरयू राय के लिए इस लोकोक्ति को ही पलट कर रख दिया, जब वह देर रात सरयू राय से मिलने उनके आवास पर आ पहुंची और उन्हें चुनाव लड़ने की कसम तक दे डाली। इस दौरान आम जनता की भावना और सरयू राय की मनोदशा देखते बन रही थी।

मैंने अपने जीवन में पत्रकारिता के कई वर्ष बीता दिये, पर ऐसा दृश्य आज तक नहीं देखा, जहां जनता ही जनप्रतिनिधि से कह रही हो, कि आपको चुनाव लड़ना हैं, हम आपके साथ हैं, देखते है कौन आपको चुनौती देता है। वाह री जनता और वाह रे सरयू राय। इसे कहते हैं कमाई। इसे कहते हैं जनता का प्यार। इसे कहते हैं सही मायनों में जनता के लिए राजनीति, तभी तो जनता रात में आकर बोल रही हैं कि आप चुनाव लड़िये।

जनता कह क्या रही है, जरा ध्यान दीजिये, हमलोग तो अखबार और टीवी देख रहा था कि कब आपको टिकट देगा? आप चुनाव लड़ेगा, लेकिन जब देखा कि टीवी और अखबार में आपको टिकट नहीं मिलने की बात हो रहा हैं, तो हमलोग आपके पास पहुंच गया, आपको चुनाव लड़ना ही होगा, हमारे लिये लड़ना होगा, हम जनता का एक-एक वोट आपको जायेगा, देखते है कि यहां से आपके अलावा दुसरा कौन चुनाव जीतता हैं। आप अच्छा आदमी हैं, दिल का साफ हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता हैं, आप (सरयू राय) हमारा है। इस भीड़ में कोई असामान्य आदमी नहीं था, गरीब जनता थी और उसकी सिर्फ आवाज थी, जो बता रही था कि उनके दिलों में सरयू राय के लिए कितना दर्द था।

देखिये जनता न क्या कह दिया? और हमारे देश व झारखण्ड में क्या होता हैं? अरे जीतने के लिए तो हमारे देश में बलात्कारी, घोटालेबाज, खुद की अश्लील विडियो बनानेवाले, महिलाओं के साथ दुष्कर्म कर फिर उसकी हत्या करा देनेवाले भी जीत जाते हैं, क्योंकि जब राष्ट्रीय पार्टियां और क्षेत्रीय पार्टियां ऐसे लोगों को टिकट देगी तो जाहिर हैं जीतेंगे वे ही, क्योंकि जो चुनाव लड़ेगा, जिसके पास पैसे होगा, वहीं जीतेगा।

तो लीजिये आज की इस नई संस्कृति का जवाब देने के लिए पुरातन भारतीय संस्कृति को पुनर्स्थापित करने के लिए जमशेदपुर की जनता ने आवाज दे दी हैं, कहा है कि वोट हमारा उसी को जायेगा, जो हमारे लिए लड़ा हैं, फिलहाल मेरा वोट सरयू राय को, क्योंकि ये अच्छा आदमी हैं, हमारा आदमी है, क्या यही दृश्य भाजपा का कोई राष्ट्रीय स्तर या क्षेत्रीय स्तर का नेता बता सकता है कि झारखण्ड में उसके किस उम्मीदवार के लिए दिखाई पड़ रहा हैं?

राजनीतिक पंडित तो साफ कह रहे हैं कि देर रात का जमशेदपुर का यह दृश्य बताता है कि जनता क्या चाहती हैं? और जनता की नजरों में सरयू राय की क्या स्थिति हैं? जिसे भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने जानबूझकर नहीं जानने का नाटक किया, अब इस नाटक का क्या परिणति होगी? वो तो साफ बता रहा हैं, बुद्धिजीवियों के साथ-साथ आम जनता की आज पहली पसन्द सरयू राय हो चुके हैं।

यही नहीं भाजपा विरोधी दलों ने भी सरयू राय को समर्थन देने की पहल शुरु कर दी हैं, झामुमो के नेता इस बात को लेकर सक्रिय हो गये है कि सरयू राय की जीत सुनिश्चित की जाये, अगर कांग्रेस ने और अन्य दलों ने सुर में सुर मिला दिये तो सरयू राय की जमशेदपुर पूर्व से जीत ऐतिहासिक हो जायेगी, और रघुवर दास की हार पूरे झारखण्ड ही नहीं, पूरे देश में भाजपा के लिए एक सबक बन जायेगी।

सरयू राय को दरकिनार कर और ऐसे ही कई नेता जिन्होंने भाजपा के लिए मर-मिटने का काम किया, उसे दरकिनार करने का काम जो रघुवर दास के इशारे पर किया गया हैं, वो भाजपा के लिए ही डूब मरनेवाली बात सिद्ध हो रही हैं। इधर जमशेदपुर की जनता सरयू राय के लिए सड़कों पर उतरने लगी हैं, अगर यहीं हाल रहा तो जमशेदपुर की ओर से बहनेवाली हवा पूरे झारखण्ड में फैलेगी और भाजपा के लिए सरदर्द बन जायेगी, फिर उसके बाद अबकी बार, 61-62, 63-64, 65 पार करते रहिये।

लोग तो अभी से ही छत्तीस-छत्तीस रटने लगे हैं और ये छत्तीसगढ़ जाकर अटक जा रहा हैं, इसे समझने की कोशिश शायद भाजपा के नेता नहीं कर रहे हैं, वे तो घमंड में जी रहे हैं कि जातिवाद के बल पर, मोदी के बल पर झारखण्ड अपने कब्जे में कर लेंगे, पर उन्हें नहीं पता कि झामुमो का एक युवा नेता हेमन्त ने उनकी सारी घिग्घी बंद कर दी हैं और रही-सही कसर सरयू राय ने कल से निकालनी शुरु कर दी हैं।

और आज तो उसका पटाक्षेप हो जायेगा, जब वे कहेंगे कि वे जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ेंगे और जनता धीरे-धीरे उनके साथ चलती चली जायेगी, क्योंकि जनता की भावनाओं का जो ज्वार कल रात में दिखा, वो बताने के लिए काफी है कि रघुवर तो गयो, सरयू आयो, ऐसे भी रघुवर को सरयू ही ठिकाने लगायेंगे, ये भी सर्वविदित हैं।