झारखण्ड में शक्तिमान धारावाहिक के डायलॉग “अंधेरा कायम रहे” के तर्ज पर चल रहा शासन

नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन का कहना है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में यह राज्य किल्विष युग में पहुंच गया है। वे कहते है कि जब वे बचपन में शक्तिमान धारावाहिक देखा करते थे, तो उसमें सम्राट किल्विष एक पात्र हुआ करता था, जो हमेशा यह संवाद बोला करता था – “अंधेरा कायम रहे।” ठीक वहीं स्थिति पूरे राज्य की है, हर विभाग में अंधेरा कायम है, लोगों के चेहरे से खुशियां गायब हैं, कोई किसी की सुननेवाला नहीं, सभी एक ही संवाद कहा करते हैं, सबका साथ, सबका विकास, और अब हो गया सही नीयत सही विकास। भाई ये सही नीयत और सही विकास का ही तो कमाल है कि…

  • अफगानिस्तान में अपहृत झारखण्ड के चार मजदूरों की सुध लेनेवाला यहां कोई नहीं। 
  • सिमडेगा, गढ़वा, धनबाद, देवघर और अब गिरिडीह में लोग भूख से मर रहे हैं।
  • वित्तरहित विद्यालयों का अनुदान बंद कर दिया गया हैं।
  • पारा शिक्षकों का पिछले पांच माह से मानदेय बंद हैं।
  • 56 हजार युवकों की टेट की मान्यता बंद कर दी गई हैं।
  • मोमेंटम झारखण्ड के पांच करोड़ के बिल फर्जी पाये जाते हैं।
  • रिम्स में एक सप्ताह में 36 लोगों की मौत हो जाती हैं।
  • रांची में 26 हजार लोगों को रोजगार देने की बात होती हैं, पर उसमें आधे से भी अधिक बेरोजगार युवक ऐसे रोजगार से जुड़ना अपमान समझते हैं।
  • चतरा में फर्जी छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति और साइकिल के 9 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाल ली जाती हैं।
  • झारखण्ड में सांसद आदर्श ग्राम योजना की हालत बद से बदतर हैं, जबकि सर्वाधिक सांसद भाजपा के ही हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झूठ बोलते है कि पूरे देश में बिजली पहुंचा दी गई, पर स्वयं भाजपा शासित राज्य झारखण्ड में अभी कई गांवों में बिजली नहीं पहुंची हैं।
  • सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क हैं, यहां पता ही नहीं चलता।
  • हरमू रोड में भूमि अधिग्रहण को लेकर, आम जनता में काफी आक्रोश हैं, वे सामूहिक आत्महत्या करने की चेतावनी दे रहे हैं।
  • झारखण्ड के मजदूरों को मनरेगा के तहत 168 रुपये और अपने आस-पास रहनेवाले लोगों के लिए कैबिनेट से मुंहमांगी वेतन का भुगतान हो जाता है।
  • हद हो गई, इस सरकार ने 12500 स्कूलों को बंद करने का फैसला ले लिया, यानी झारखण्ड में शिक्षा व्यवस्था ठप करने की तैयारी।
  • हरमू नदी को न्यूयार्क का हडसन नहीं बनाने की दावा करनेवाले लोग चार साल में उसे नाला बनाकर रख दिया। इसके विकास के लिए 85 करोड़ रुपये कहां गये, किसी को पता ही नहीं।
  • जिन पर आरोप होता है, उन्हीं को जांच करने के लिए यहां भेज दिया जाता है।

और अगर घोटाले की चर्चा की जाय तो यहां एक इसकी लंबी शृंखला है, जरा देखिये – टैब घोटाला, कम्बल घोटाला, मोमेंटम झारखण्ड घोटाला, स्किल झारखण्ड घोटाला, सिपाही भर्ती घोटाला, सड़क घोटाला, शौचालय घोटाला, लैंड बैंक घोटाला, अडानी बिजली घोटाला, विधायक खरीद-फरोख्त घोटाला, डोभा घोटाला, धात्री-माता पोषाहार घोटाला, यानी चार सालों में रघुवर सरकार का ये हाल है, अभी एक साल शेष है, देखिये क्या-क्या होता हैं। झारखण्ड में वर्तमान सरकार की ये स्थिति साफ बताती है कि यहां अंधेरा कायम है।