अपनी बात

काश झारखण्ड का हर थाना चुटिया थाने और थानेदार रवि ठाकुर जैसा होता, ताकि कोई ममता दर-बदर ठोकरे…

आज ममता खुश है, धीरे-धीरे उसके सारे दुख-दर्द खत्म होते जा रहे हैं। अब उसने अपने पांच बेटियों में से एक की शादी भी कर चुकी है, बाकी चार बेटियों की भी शादी हो ही जायेगी, एक बेटा भी पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन जायेगा ऐसा उसे विश्वास हो चुका है। उसका यह विश्वास बहुत बढ़ा-चढ़ा है, और यह ऐसे ही नहीं हुआ, ये विश्वास रुपी ताले की चाबी बने हैं, रांची के चुटिया के थानेदार रवि ठाकुर।

रवि ठाकुर इसी प्रकार का काम करते रहते हैं, पिछले महीने विद्रोही24 ने बताया था कि उन्होंने कैसे एक बच्ची जो रांची में अपनी मां के साथ रहती है, उससे एक बिल्डर ने छह लाख रुपये ले लिये थे, और देने में आना-कानी कर रहा था, लेकिन जैसे ही उस बच्ची ने उनका दरवाजा खटखटाया, बिना किसी शिकायत या प्राथमिकी दर्ज कराये ही, उसके छह लाख रुपये दिलवा दिये और आज उन्होंने सड़क दुर्घटना में मृत एक रिक्शावाला मोहन झा के परिवार को नई दिशा दे दी।

आज स्थिति यह है कि उस रिक्शावाले की पत्नी ममता देवी से बात करिये तो वह रवि ठाकुर का नाम लेने से नहीं चूकती। वह यह भी बताती है कि एक वकील साहेब जिनका नाम राहुल पांडेय है, उन्होंने भी बहुत सहारा दिया, खाने को राशन तथा समय-समय पर हर प्रकार की जरुरतों को उसके तक पहुंचाते रहे, जबकि चुटिया थानेदार रवि ठाकुर के उनके उपर बहुत उपकार है, भगवान ऐसे लोगों को हर प्रकार से आनन्द दें।

ममता से कल ही विद्रोही24 मिला और जब उसने अपने दर्द बताने शुरु किये तो दिल ही दहल गया। वह बताती है कि वो अपने पति और बच्चों के साथ चुटिया के ही सैटेलाइट मैदान के पास एक झोपड़ी में रहती थी। उसके पति रिक्शा चलाते थे और उसी से उसके परिवार का गुजारा होता था। 24 दिसम्बर 2019 के दिन ऐसी घटना घटी कि उसके पांव से जमीन ही खिसक गई।

एकमात्र कमानेवाला उसका पति मोहन झा, सड़क दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त कर चुका था। घर में इतने भी पैसे नहीं थे कि अंतिम संस्कार भी कर सकें। उसी वक्त चुटिया थाने के इंस्पेक्टर साहेब रवि ठाकुर ने दो हजार रुपये तत्काल उपलब्ध कराये और अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। घर में खाने को अनाज नहीं थे, सारे घर के बच्चे और वो अंधकार में डूब चुके थे, उन्होंने खाने-पीने की व्यवस्था कराई तथा उसके बाद से हमेशा मेरे परिवार का ख्याल करने लगे।

ममता देवी बताती है कि इसी बीच उसे पता चला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाये गये जन-धन योजना बैंक खाते से उस परिवार को दो लाख रुपये भी मिलते हैं, जिनका खाता होता है, उसके पति मोहन झा का भी खाता था, उनके मौत होने के बाद, वो बैंक गई, पर किसी ने उसकी सुनी नहीं, बार-बार टहला दिया जाता, क्या करें, बैंककर्मियों के इस व्यवहार तथा हाथ में एक भी पैसे नहीं रहने के कारण, एक दिन तो लगा कि वो अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर लें, पर जब हमने थानेदार रवि ठाकुर को इस बात की जानकारी दी, तो उन्होंने मदद करने की ठानी।

इस मामले में रवि ठाकुर से पुछने पर वे बताते है कि दरअसल यह सब सिस्टम का दोष है, सिस्टम इस प्रकार जकड़ा है कि इसे बदलने में समय लगेगा। लेकिन हमने ममता देवी को कहा कि वो इस मामले को देखते हैं, वे खुद बैंक गये और बैंक प्रबंधक से इस संबंध में बातचीत की, कौन-कौन से कागजात चाहिए, सारी जानकारी ली और फिर पुलिस जिप्सी से ही ममता देवी को जहां-जहां से कागजात लाने की आवश्यकता पड़ी, लग गये, थोड़ी देर हुई, परेशानी हुई, पर उन्हें खुशी है कि दो लाख रुपये की राशि स्व. मोहन झा की पत्नी ममता देवी को प्राप्त हो चुकी है, और इसे पाकर वो बहुत खुश है।

ममता देवी इन दिनों उज्जवला योजना के तहत गैस सिलिण्डर लेने का प्रयास कर रही है, जिसे दिलाने में रवि ठाकुर की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। आजकल वो चुटिया के पावर हाउस रोड में रहती है, इसके पूर्व वो जहां रहती थी, आस-पास के लोग भी बताते है कि जिस दिन ममता के घर हादसा हुआ था, उस हादसे को देख किसी का भी आत्मा हिल जाता, लेकिन चुटिया थाना प्रभारी ने जिस प्रकार से मदद करने की ठानी और आज भी मदद करते हैं, वैसा कोई थाना प्रभारी तो हमलोगों ने आज तक नहीं देखा।

ममता बताती है कि अब वो चुटिया में ही एक छोटा सा मकान किराये पर ले ली है, जो बैंक से दो लाख रुपये मिले हैं, उसी से वो स्वरोजगार शुरु करना चाहती है, शायद वह चाय का दुकान खोलकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर, आगे की ओर बढ़ना चाहती है। ममता बताती है कि जब उसके रिक्शाचालक पति की मौत हुई थी, तो लगा था कि उसकी दुनिया खत्म हो गई, पर आज लगता है कि नहीं दुनिया चल रही है, वो यह कहते नहीं थकती कि वो जब भी चुटिया थाने आती है, तो लगता है कि मंदिर पहुंच गई।

ममता बताती है कि यह वह समय था, जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा था, हमारे पास खाने को लाले थे, छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाय, कोई सुनने व जाननेवाला नहीं था, पति की मौत ने उसे अंदर से तोड़ दिया था, पर ऐसे समय में अगर किसी ने मदद करने की ठानी तो एक वकील साहेब राहुल पांडेय और दूसरे चुटिया थाने के रवि ठाकुर।

राहुल पांडेय अनाज-राशन की व्यवस्था कराते, तो रवि ठाकुर साहेब ने राशन के साथ-साथ, बैंक से दो लाख रुपये भी दिलवाये जो कभी मिलनेवाले नहीं थे, इन्होंने कई बार पैसों से मदद की, हमारे बच्चे आज भी उन्हें भगवान से कम नहीं मानते, क्योंकि हमलोगों के जीवन में तो यह शख्स भगवान ही बनकर आये हैं, स्थिति ऐसी है कि चुटिया थाने में काम करनेवाले कई पुलिसकर्मियों को ममता के बच्चे अपने परिवार के सदस्य की तरह ट्रीट करते हैं, काश ऐसा दृश्य हर थाने में दिखे, जो मैंने कई बार चुटिया थाने में दिखे।