राजनीति

“जो भाजपा को हरायेगा, वोट उसी को जायेगा” के तर्ज पर लड़ा जायेगा 2019 का विधानसभा चुनाव

2019  की लोकसभा चुनाव में भाजपा कार्यकर्ता एक बार फिर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जोर-शोर से जुटेंगे पर जैसे ही विधानसभा चुनाव आयेगा, राज्य में रघुवर दास को कुर्सी से नीचे उतारने के लिए जी-जान लगा देंगे। रघुवर दास से बेहद नाराज चल रहे भाजपा कार्यकर्ता सीएम के रुप में रघुवर दास को देखना पसन्द नहीं करते। भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि सर्वाधिक अपमान, अगर कार्यकर्ताओं का, अगर किसी के शासनकाल में हुआ है, तो वह सीएम रघुवर दास के शासनकाल में। आज भी झारखण्ड में भाजपा कार्यकर्ताओं की पहली पसंद सीएम के रुप में अर्जुन मुंडा है।

क्रुद्ध भाजपा कार्यकर्ता खुलकर कहते हैं कि वे विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीताने के लिए नहीं, भाजपा को बचाने के लिए रणभूमि में उतरेंगे, मतलब समझते रहिये। दूसरी ओर आम जनता में भाजपा के प्रति बढ़ती नाराजगी का भान, शायद भाजपा कार्यकर्ताओं को हो गया हैं। वे जानते है कि जनता फिलहाल राज्य सरकार से बेहद नाराज चल रही है, इसलिए वे आम जनता का कोपभाजन नहीं बनना चाहते, क्योंकि अंततः उन्हें उन्ही जनता के पास रहना होता है, जहां वे बसे होते हैं।

भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि आम जनता तो  इस सरकार से इतनी नाराज है, कि वो भाजपा का नाम लेते ही, उग्र हो जाती है। दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं में उपजी निराशा और अपनी ही सरकार के प्रति उपजे असंतोष का फायदा उठाने के लिए राज्य की कई विपक्षी पार्टियां उन कार्यकर्ताओं को अपने में मिलाने के लिए प्रयास शुरु कर दी है। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है जिन लोगों के लिए, जिन भाजपा नेताओं के लिए उनलोगों ने जान की बाजी लगा दी, वे ही अब उन्हें आंख तरेर रहे हैं, ऐसे में हम अपनी इज्जत भी गंवाएं और जान भी गंवाएं, ऐसा करने से भाजपा कार्यकर्ताओं को क्या फायदा?

सूत्र बताते है कि भाजपा कार्यकर्ताओं में उपजे अंसतोष और अपने ही सरकार के प्रति उपज रही घृणा भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। भाजपा के बड़े नेता भले ही दावे कर दें कि उन्होंने बुथ स्तर तक कमेटी बना दी है, पर ये बुथ स्तर तक बनी कमेटी ही उन्हें धूल चटाने के लिए काफी है। कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने अभी से ही विपक्षी पार्टियों के बीच तालमेल बिठाने का काम शुरु कर दिया है, ताकि आनेवाले समय में भाजपा में शीर्ष पर बैठे अहंकारी नेताओं का अहं धूल में मिला सकें। इधर भाजपा कार्यकर्ताओं में बढ़ती निराशा से विपक्षी नेताओं में हर्ष की लहर हैं।

सूत्र बताते है कि इस बार जब भी विधानसभा चुनाव होंगे। भाजपा बुरी तरह हारेगी। भाजपा कार्यकर्ताओं की रघुवर सरकार के प्रति बढ़ती नाराजगी और जनता में रघुवर सरकार के प्रति बढता गुस्सा, विपक्षी दलों में उमंग और उत्साह का कारण भी बन रहा है। स्थिति तो ऐसी हो गयी है कि जब भी विधानसभा चुनाव होंगे। झारखण्ड में जो भाजपा को हरायेगा, वोट उसी को जायेगा के तर्ज पर चुनाव होंगे। जिसका प्रभाव यह होगा कि भाजपा डबल डिजिट में भी आ पायेगी या नहीं, ये कहना फिलहाल मुश्किल है। हां, इतना तय है कि चुनाव जब भी होंगे, फायदा विपक्ष को ही होगा।