अपनी बात

CM रघुवर का दावा गलत, आज भी शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच करने जा रहे हैं लोग

राज्य की रघुवर सरकार ने कल दावा किया कि झारखण्ड का शहरी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो गया। शहरी क्षेत्रों के खुले में शौच से मुक्त होने के साथ ही अपना झारखण्ड, गुजरात व आंध्रप्रदेश के बाद तीसरा राज्य बन गया, जिस राज्य का सारा शहरी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त है। जैसे ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस बात की घोषणा की, सीएम रघुवर दास के चरणों में लोटनेवाले पत्रकारों का समूह उनका हृदय से अभिनन्दन करने लगा, ठीक उसी प्रकार जैसे गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में कई प्रसंगों में लिखा है कि भगवान श्रीराम को देखते ही हनुमानजी का हृदय पुलकित हो उठता है।

आज कई अखबारों ने इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया है, और राज्य के सीएम रघुवर दास की इस उपलब्धि के लिए उनकी स्तुति गाई है, जबकि सच्चाई यह है कि राज्य सरकार कितना भी दावा कर लें, पर सच्चाई कुछ दूसरा ही बयां कर रहा है। जैसे ही हमें पता लगा कि सीएम ने दावा किया है कि राज्य का पूरा शहरी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो गया हैं। मैं सुबह की प्रतीक्षा करने लगा, जैसे ही सुबह हुआ, मैं उन स्थानों पर पहुंचा, जहां लोग शौच करने के लिए सबेरे-सबेरे निकलते हैं।

मैंने पाया कि स्थितियां नहीं बदली, आज भी लोग बड़े ही शान से बोतल पकड़कर, खुले में शौच के लिए निकल पड़े और खुले में शौच कर राज्य सरकार के दावे की पोल खोल दी। आप ये तस्वीर देखिये, जो आज सुबह की है।

धनबाद की अगर रुख करें, तो वहां वासेपुर में एक ऐसा इलाका है, जहां का एक वर्ग, आज भी सर पर मैंला ढोने का काम कर रहा हैं। ये खबरें समय-समय पर कई चैनलों और अखबारों की सुर्खियां भी बनती रही, आज भी एक अखबार ने इसे सुर्खियां बनाई है, पर क्या मजाल कि राज्य के अधिकारियों के कान पर जूं रेंगी हो। इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए कई बार राशियां उपलब्ध कराई गई, पर ये राशि गई कहां,? इसका भी जवाब सरकार और उनके अधिकारियों को नहीं है।

अपनी पीठ थपथपाने तथा राज्य को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए अनैतिक कार्यों को करने से भी नहीं चुकी सरकार और उनके अधिकारी जब खुले में शौच करने जा रहे लोगो के लूंगी जब्त कर रहे थे तो जरा सरकार बताये कि जो लोग आज तक धनबाद में कुछ लोगों से मैला ढोवाने का काम किया, उनके खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई करने जा रही है?

हद हो गयी, आज भी राज्य के कई प्रमुख शहरों में खुले में शौच से मुक्त होने का दावा खोखला साबित हो रहा है, पर मुख्यमंत्री और उनके कनफूंकवें बड़ी मस्ती में कल पीठ थपथपा रहे थे और अब एक झलक सीएम के मकान देने के बात की, तो बस इस खबर को पढ़ लीजिये, राज्य के अधिकारी क्या कर रहे हैं?  कैसे प्रधानमंत्री आवास योजना की इतिश्री कर रहे हैं, उसका सुंदर उदाहरण है, दैनिक भास्कर में छपी आज की यह खबर।