पानी से लबालब हैं छठ तालाब, छठव्रतियों को अनहोनी से बचाने के लिए विशेष प्रयास की जरुरत

रांची के सारे तालाब लबालब भरे हैं। छठ आने में मात्र 20 दिन शेष है। इस बार बारिश के सभी नक्षत्रों ने अपनी ऐसी उपस्थिति दर्ज कराई हैं कि रांची के सभी क्षेत्रों में भूगर्भ जलस्तर में अच्छी खासी वृद्धि हुई हैं। सही मायनों में, अगर रांची की जनता, इस वर्षा जल का संरक्षण बेहतर ढंग से की होती तो स्थिति कुछ और बेहतर होती। इधर दुर्गा पूजा भी खत्म हो गया। सफाई व्यवस्था का क्या हाल था? बिजली की इस दौरान क्या स्थिति थी?  सभी जानते है, क्या इस बार की दीपावली और छठ में भी यहीं हाल होगा, यह केवल महसूस कर लोग सहम जा रहे हैं।

नगर विकास विभाग हो या नगर निगम इन पर विश्वास करनेवाला मूर्ख ही होगा। स्वच्छता के नाम पर इनके द्वारा हो रही नौटंकी, नेताओं तथा इनके पिछलग्गूओं द्वारा साफ जगहों पर झाड़ू लेकर फोटो खिचाने तथा उसे अखबार में पैसे देकर छपवाने का एक फैशन सा चल रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि आज भी आदिवासी बहुल इलाकों में जाकर देखे तथा वहां न कोई नगर निगम है और न ही नगरपालिका, पर सफाई ऐसी कि आप दांतों तले अंगूली दबा लें।

यहीं हाल शहरी क्षेत्रों में छठ के दौरान होनेवाली सफाई का है। शायद नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को लगता है कि छठ आने पर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा होनेवाली सफाई कार्य से जब काम निकल ही जाता है तो क्या जरुरत है छठ तालाबों की सफाई कराने की? उसका उदाहरण है कि इनकी नींद तब टूटती है, जब छठ के मात्र कुछ दिन शेष रहते हैं, जबकि होना यह चाहिये कि सफाई जितनी जल्दी हो, शुरु हो जाना चाहिए, ताकि छठ तालाब समेत छठ तालाब की ओर आनेवाली सारी सड़कें, छठ वत के आने के पूर्व ही स्वच्छता से जगमगा जाये।

इस बार रांची के विभिन्न छठ तालाबों में लबालब पानी बताता है कि इन छठ तालाबों में पानी इतना भर गया है कि यहां छठव्रतियों का व्रत करना भी खतरे से खाली नहीं हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हाल ही में, रांची में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान एक की मौत डूब जाने से हो गई, ये घटना आसन्न संकट की ओर हमें संकेत दे रहा है। नगर विकास विभाग और नगर निगम को चाहिए कि ऐसी घटना से निबटने के लिए कोई ठोस योजना बनाएं ताकि लोग किसी अनहोनी की शिकार न हो जाये। जरुरत आज से ही इस पर ध्यान देने की है, नहीं तो स्थितियां और बिगड़ेंगी।

विभिन्न छठ पूजा समितियों को भी चाहिए कि अपने इलाकों में अभी से ही ठोस योजनाएं बनानी शुरु कर दें तथा उस पर अमल करें, जहां छठ तालाब हैं, वहां की स्थिति-परिस्थिति को देखते हुए, इसकी सूचना पूर्व में ही स्थानीय प्रशासन को दे दें, ताकि वे भी सुरक्षा की सारी इंतजाम पहले से ही कर लें, क्योंकि बिना प्रशासनिक सहयोग और आपसी तालमेल के हम बेहतर लाभ न तो स्वयं ले सकते हैं और न ही छठव्रतियों को बेहतर सेवा दे सकते हैं।