झारखण्ड में सरकार कौन चला रहा हैं?  किसकी सरकार हैं?  जनता कन्फ्यूज्ड?

झारखण्ड में गजब की स्थिति हो गई है, कौन सी लड़की का कहां अपहरण हो जायेगा? कब उसे न्यूड कर उसका फोटो खींच वायरल कर दिया जायेगा? कब उसे चाकू से गोदकर फेंक दिया जायेगा? कहा नहीं जा सकता। सरकार कब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपनी छुद्र राजनीति के लिए उपयोग कर लेगी?  आप कह नहीं सकते, आश्चर्य इस बात की भी हैं कि राज्य सरकार किसी प्रश्न का जवाब विधानसभा में उत्तर कुछ देती है, जबकि उसके अधिकारी उसी प्रश्न का सूचना के अधिकार के तहत जवाब कुछ दे देते हैं? स्थिति तो यहां की इतनी खराब हो गई है कि राज्य सरकार जहां खुद प्रायोजक होती है, उसी में उसी के मंत्री इस प्रकार की गंदी हरकतें करते हैं कि एक विद्वान को डर के मारे अपना भाषण रोक देना पड़ रहा हैं। अराजकता ऐसी है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के सोशल साइट पर दो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का कब्जा हो जाता हैं, ऐसे में यहां सरकार कौन चला रहा हैं?  किसकी सरकार हैं? यहां जनता कन्फ्यूज्ड हैं, जो ईमानदार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है, मौनव्रत रख लिये हैं और सारे अनाचार-कदाचार को बिना रोक-टोक किये जा रहे हैं, ऐसे में इस झारखण्ड का भगवान ही मालिक हैं। मुख्यमंत्री के कनफूंकवें तो इतने मस्त है, कि वे जो चाहे, वो कर रहे हैं, जिसे पाये, उसे ठोकर मारकर चुप करा दे रहे हैं, स्थिति तो नाजुक ये हो गई कि भाजपा कार्यकर्ताओं को जिंदा जलाने का प्रयास किया जाता हैं, बेचारा भाजपा कार्यकर्ता हैरान रहता है कि वो किस पार्टी के लिए कार्य कर रहा है, जहां उसकी जान तक सुरक्षित नहीं।

जरा देखिये इस सरकार की 10 अगस्त से लेकर 18 अगस्त 2017 तक की करतूत…

  • 10 अगस्त को रांची के एक स्कूल में घुस कर दिनदहाड़े एक छात्रा का अपहरण का प्रयास किया जाता है।
  • 10 अगस्त को ही अखबारों के माध्यम से पता चलता है कि दुमका बस स्टैंड से छात्रा को उठाया गया, दो दिनों तक हॉस्टल में बंधक बना कर रखा गया। एसपी कॉलज के हॉस्टल में छात्रा का न्यूड फोटो बनाकर डाला गया।
  • 11 अगस्त को स्वयं झारखण्ड सरकार एक विवादास्पद विज्ञापन निकालती है, जो महात्मा गांधी ने कभी कहा ही नहीं, उसे कोटेशन के रुप में जनता के सामने दर्ज कराती है और महात्मा गांधी के नाम को विवादास्पद बना देती हैं।
  • 12 अगस्त को सदन (विधानसभा) में सरकार कहती है कि मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर 26 करोड़, स्थापना दिवस और साहेबगंज पुल शिलान्यास के नाम पर नौ- नौ करोड़ खर्च किये। तीन लाख करोड़ का एमओयू किया और केवल सात हजार करोड़ रुपये ही निवेश हुए और सूचना के अधिकार के तहत सरकार का जवाब कुछ आता है।
  • 13 अगस्त को लापुंग में उग्रवादियों ने आनन्द वर्मा और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी।
  • 13 अगस्त को होटल रेडिशन ब्लू में रांची से प्रकाशित प्रभात खबर नामक एक अखबार प्रभात उत्सव कार्यक्रम कराता है, और उसी में राज्य का एक मंत्री, सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज को अपमानित करता है, उन्हें बोलने नहीं देता, संविधान में मिले अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रश्न चिह्न लगाता है, भय के मारे ज्यां द्रेज बोल नहीं पाते और अपना भाषण बीच में ही समाप्त कर देते हैं। दूसरी ओर भय कहिये या पैसे पर बिकी मीडिया, जो अखबार आयोजक है, वहीं इस समाचार को पूरी तरह पचा जाता हैं।
  • 14 अगस्त को बोकारो में निकले तिरंगा यात्रा पर एक गांव के लोग हमला कर देते हैं, और स्थानीय पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती हैं।
  • 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन धनबाद में एक छात्रा का अपहरण करने के बाद दुष्कर्म, दुष्कर्मियों ने चाकू से गोद डाला छात्रा को, पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की। जब राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कड़ाई की, तब जाकर छात्रा की मेडिकल जांच कराई गई।
  • 16 अगस्त को रांची के केतारीबगान में रोहित सिंह नामक भाजपा कार्यकर्ता को घर में घुसकर उसे जिंदा जलाने की कोशिश हो रही हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं।
  • 18 अगस्त को धनबाद में रेनबो ग्रुप कंपनी के चेयरमेन धीरेन्द्र रवानी को गोली मारकर हत्या कर दी जाती है।
  • 18 अगस्त – सदन में कुछ और सूचना के अधिकार के तहत उत्तर आया कुछ, दरअसल आरटीआइ कार्यकर्ता सुनील महतो ने सूचना के अधिकार के तहत उद्योग विभाग से जानकारी मांगी। जिसमें उदयोग विभाग ने बताया है कि मोमेंटम झारखण्ड के आयोजन और प्रचार-प्रसार में झारखण्ड सरकार ने 57 करोड़ 81 लाख रुपये खर्च किये हैं।
  • यहीं नहीं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, जो मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास है, वे खुद राज्य के गृह सचिव की अनुशंसा पर ऐसे अखबार को स्वीकृत सूची में डलवा देते हैं, जो स्वीकृत सूची में आने का अधिकारी भी नहीं हैं, यानि भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोड़ने के लिए राज्य का मुख्यमंत्री अग्रसर हैं और यहां उसके खिलाफ बोलनेवाला कोई नहीं।
  • सीएम और उनके कनफूंकवे मनोनयन के आधार पर ऐसा उधम मचा रहे हैं कि मत पूछिये। जो मुख्यमंत्री दाल भात योजना यहां की महिला स्वयं सहायता समूह चलाती थी, उसे टच स्टोन नामक कंपनी को दे दिया गया।
  • मनोनयन का ही आधार बनाकर एक लखटकिया कंपनी को करोड़ों का बिजनेस हाथो-हाथ थमा दिया गया सीएम की ब्रांडिंग के लिए और ये लखटकिया कंपनी जिनके इशारों पर, जिन कनफूंकवों की दया पर यहां आया, वह उसकी भी ब्रांडिंग के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं।

जनता से अनुरोध, जगिये, कनफूंकवें राज्य को लूट रहे हैं, कुछ मुट्ठी भर लोग राज्य को तहस-नहस करने में जुटे हैं, इनसे बचना-बचाना सभी का धर्म हैं, आगे आइये, क्योंकि यहां का विपक्ष खत्म हैं, मीडिया बिक चुकी है, एकता के सूत्र में बंधिये, कल ज्यां द्रेज को रोका हैं, कल हो सकता हैं, कि आपको भी रोकने की कोशिश करें, रुकना नहीं हैं, आगे बढ़ना हैं… कनफूंकवां मुक्त झारखण्ड बनाने के लिए, भ्रष्टाचार मुक्त झारखण्ड बनाने के लिए, मनोनयन की जगह गुणवत्तायुक्त कार्य के आधार पर राज्य को ले जाने के लिए अब संघर्ष ही एकमात्र रास्ता बचा हैं।