अपनी बात

अमित शाह की भाषा देखिये, विरोधियों को चोर, वेश्यावृत्ति करनेवाला तक कह देते हैं

ये हैं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की भाषा, जो अपने विरोधियों को चोर कहता है, भाड़े के टट्टू कहता है, शराब पीकर वेश्यावृत्ति करनेवाला कहता है, तब ऐसे में भाजपा के सामान्य या छोटे कार्यकर्ता किसी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं, तो क्या गलत करते हैं या हिंसा करते हैं, तो क्या गलत करते हैं, अब तो किसी को गाली देना भाजपा के शिष्टाचार में समा गया हैं।

ऐसा, मैं इसलिए लिख रहा हूं कि कल ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया से जुड़े कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने विरोधियों के लिए निम्नस्तरीय भाषा का प्रयोग किया। भाषा थी – (1) अभी सारे चोर एकजूट हो गये हैं। (2) सभी भाड़े के टट्टू हैं, वह हमारे चेतक से जीतना चाहते हैं। (3) शराब पीकर वेश्यावृत्ति करनेवाले, हमसे क्या सवाल पूछेंगे। यानी इस प्रकार की भाषा क्या बताता है, ये चिन्तन करने की आवश्यकता हैं।

हमें लगता है कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी, जो अपने विपक्षी दलों के नेताओं के लिए सदन में गालियों का प्रयोग, गढ़वा में ब्राह्मणों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, जिसके खिलाफ पूरे राज्य में ब्राह्मणों ने प्रदर्शन किया, फिर भी इस व्यक्ति ने क्षमा नहीं ही मांगा और धृष्टता से, घमंड के साथ सीना फूलाए रखा, जमशेदपुर में महिलाओं के लिए चुगली करनेवाली बताना, ये बताता है कि ये रघुवर दास, जरुर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से ऐसे संस्कार सीखे होंगे, क्योंकि जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष की भाषा ऐसी हैं, उसके मुख्यमंत्री की भाषा में भी समानता दीखेगी ही।

हमने भाजपा के कई नेताओं के भाषण सुने हैं, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, जनता दल से भाजपा में गये हुकुमदेव नारायण यादव तक के भाषण सुने हैं, पर इनके मुख से अमर्यादित भाषा का प्रयोग, अपने विरोधियों के लिए, मैंने आज तक नहीं सुना, ये जो नया ट्रेंड अपने विरोधियों के लिए गाली देनेवाला जो भाजपा में नया-नया शुरु हुआ हैं, यकीन मानिये, ये ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा, क्योंकि यहां की जनता इस प्रकार की भाषा न सुनना चाहती है और न सुनने की आदी हैं, चूंकि अभी नये-नये लोग पूर्ण बहुमत में सत्ता में आये हैं, निरन्तर प्रगति पथ पर बढ़ रहे हैं, अभी धक्का नहीं लगा है, 2019 में जैसे  ही ब्रेक लगेगा, सब गर्मी छिटक जायेगी, तब तक के लिए अमित शाह ही क्यों?

भाजपा के सारे ऊपर से लेकर नीचे तक के नेता-कार्यकर्ता अपने विरोधियों को गाली से नवाजे, क्योंकि अब तो आपका शीर्षस्तर का नेता ही विरोधियों को भाड़े का टट्टू, चोर, वेश्यावृत्ति करनेवाला कहता हैं तो आप क्यों चुप रहेंगे, और आप कहेंगे कि ऐसा नहीं हैं तो रांची से ही प्रकाशित एक अखबार जिसका नाम प्रभात खबर हैं, आपके आका का समाचार बड़ा ही विस्तार से छापा हैं और आपके आपके आका के गाली को भी बड़ी सुंदर जगह, उसने अखबार में दी हैं, क्योंकि अब तो गाली देना, गाली सुनना और गाली पढ़ना भी भारत के संस्कार में समा गया हैं, क्योंकि ये नई भाजपा हैं, जो गालियों से सभी का स्वागत करती हैं।