अपनी बात

भारतीय नक्षत्र कह रहे हैं, झमाझम नहीं, टूकड़ों में बरसेंगे, सामान्य बरसेंगे…

ऐसे तो भारत का मौसम विभाग बारिश को लेकर अपना तर्क देता ही रहता हैं, पर हमारे भारतीय मणीषियों ने भी नक्षत्रों के आधार पर बारिश कैसा होगा? इसका पूर्वानुमान लगा लिया करते थे, तथा उसी अनुरुप कृषि क्षेत्र में लगे लोगों तथा व्यापारिक क्षेत्र में लगे लोग, अपनी आगे की योजना बना लिया करते, आश्चर्य यह भी है कि भारतीय मणीषियों का कथन व पूर्वानुमान सटीक भी बैठता था।

हालांकि बारिश के नक्षत्र प्रारंभ हो चुके हैं, और ये नक्षत्र ठीक अंग्रेजी तिथियों के अनुसार ही बराबर आते रहते हैं, फिलहाल आर्द्रा नक्षत्र चल रहा हैं, और ये नक्षत्र कह रहा है कि उसके समय में पूरे देश में खण्ड वृष्टि होगी, यानी टूकड़ों में बारिश होगी, कहीं बरस गये तो खूब बरस गये, नहीं तो थोड़ा-बहुत हर जगह बरस जाया करेंगे, पर तृप्त होने नहीं देंगे और फिलहाल स्थिति भी वहीं संकेत दे रही हैं, इसे आप गलत भी नहीं कह सकते।

यहीं हाल पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुन ( जिसे बिहार में कनवा नक्षत्र भी कहते हैं।) का भी हैं, इन नक्षत्रों में भी टूकड़ों में बादलों द्वारा बारिश होगी, यानी सामान्य से भी कम,  जबकि पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुन, हस्त (जिसे बिहार में लोग हथिया नक्षत्र कहते हैं।) में सामान्य वृष्टि के योग हैं, यानी न बारिश कम होगी और न ही ज्यादा, सामान्य स्थिति रहेगी। चित्रा नक्षत्र में अल्पवृष्टि के योग हैं।

क. आर्द्रा – 22 जून को सायं 6.46 से प्रारंभ – खण्ड वृष्टि
ख. पुनर्वसु – 6 जुलाई को रात्रि 8.20 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि
ग. पुष्य – 20 जूलाई को रात्रि 9.47 से प्रारंभ – खण्ड वृष्टि

घ. आश्लेषा – 3 अगस्त को रात्रि 10.8 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि
ड. मघा – 17 अगस्त को रात्रि 8.56 से प्रारंभ – खण्ड वृष्टि
च. पूर्वा फाल्गुन – 31 अगस्त को सायं 5.37 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि

छ. उत्तरा फाल्गुन – 14 सितम्बर को दिन 11.47 से प्रारंभ – खण्ड वृष्टि

ज. हस्त – 27 सितम्बर को रात्रि 3.10 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि
झ. चित्रा – 11 अक्टूबर को दिन 3.40 से प्रांरभ – अल्प वृष्टि

यानी भारतीय नक्षत्रों के अनुसार इस बार झमाझम या भारी बारिश के योग किसी भी नक्षत्र में दिखाई नहीं पड़ रहे, पर कृषि के लिए ये बारिश बेहतर माने जा सकते है, क्योंकि अल्प वृष्टि से जहां सूखा और भारी बारिश से जहां बाढ़ की संभावना अधिक रहती है, सामान्य बारिश में न सूखा और न बाढ़ की संभावना रहती हैं।