राजनीति

सीएम रघुवर के राज में जनता कंगाल, भाजपाई मंत्री, बोर्ड-निगम के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष मालामाल

सीएम रघुवर दास ने एक बार फिर वही किया, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। कल कैबिनेट की बैठक में सीएम रघुवर दास ने मंत्रियों, बोर्ड-निगमों के अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों पर जमकर कृपा दृष्टि बरसाई। दोनों हाथों से इनके वेतन और भत्तों पर जनता के पैसे लूटाए। कल कैबिनेट ने दर्जा प्राप्त मंत्रियों, बोर्ड-निगम के अध्यक्ष/उपाध्यक्षों और सदस्यों के वेतन में भारी वृद्धि का फैसला लिया।

अब चूंकि फैसला ले लिया गया है, इसलिए दर्जा प्राप्त भाजपाई कैबिनेट मंत्रियों को 41,600 रुपये के बदले 1,11,000 रुपये प्रति माह, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों को 39,600 रुपये के बदले 96 हजार रुपये प्रति माह, सरकारी विभागों के अधीन चल रहे लोक उपक्रमों में नियुक्त अध्यक्षों को 75,000 रुपये प्रतिमाह, उपाध्यक्षों को 50,000 रुपये प्रति माह और सदस्यों को 25,000 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे, अगर राज्य सरकार के किसी लोक उपक्रम के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को मंत्री या राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त हैं तो उसे दर्जा प्राप्त मंत्री का ही वेतन मिलेगा।

राज्य के पारा शिक्षक, आंगनवाड़ी सेविकाएँ, मनरेगा के मजदूर राज्य सरकार के आगे नाक रगड़ रहे हैं। वे बार-बार राजधानी रांची आकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। सीएम रघुवर दास से कह रहे हैं कि थोड़ा हमारे उपर भी कृपा दृष्टि बरसाओ हुजूर, पर इन पारा शिक्षकों, आंगनवाड़ी सेविकाओं, मनरेगा के मजदूरों पर सीएम रघुवर दास की कृपा दृष्टि नहीं बरसती, पर भाजपाई मंत्रियों, विभिन्न बोर्डों-निगमों में बने भाजपाई अध्यक्षों-उपाध्यक्षों पर जमकर कृपा दृष्टि बरसती हैं।

आश्चर्य है कि इस घटिया स्तर की सोच की कोई यहां आलोचना नहीं करता, सभी सीएम रघुवर की आरती उतारते हैं, सत्ता की चाटूकारिता और सीएम की चमचई का हद ये है कि धनबाद में बैठा मेयर अपने आका, सीएम  रघुवर दास के नाम पर एक सड़क की घोषणा कर देता है, जब पूरे राज्य में मेयर और सीएम के इस कार्य की थू- थू होती है, तब जाकर सीएम का टवीट दिखाई देता है कि उनके नाम पर सड़क न बनाई जाये, किसी महापुरुष के नाम पर रखी जाये।

हद हो गई है, राज्य के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, गांवों में सड़कों की स्थिति ठीक नहीं हैं, पूरे राज्य में स्कूलों में ताला लटकाने का काम सरकार ही कर रही हैं। ठेकेदारों-अभियंताओं-मंत्रियों की तिकड़ी ने विकास योजनाओं में लूट मचा रखी हैं। राज्य में रोजगार के नाम पर युवकों को पांच-छह हजार की नौकरी थमा दी जा रही है, जिसे कोई भी युवा करने को तैयार नहीं, पर भाजपाई मंत्रियों को देखिये, इनके बोर्ड निगम के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों को देखिये, वे सीएम रघुवर पर बलिहारी जा रहे हैं, बलिहारी हो भी क्यों नहीं? क्योंकि सीएम रघुवर उनके वेतन-भत्ते का कितना ख्याल रखते हैं, दुनिया में ऐसा सीएम और कहां मिलेगा? जो जनता के पैसे को राज्य के भाजपाई मंत्रियों, बोर्ड-निगम के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के वेतन-भत्ते पर फूंक देता हैं।