अपनी बात

अगर सचमुच आपको आत्मग्लानि है तो स्वयं में सुधार लाइये नीतीश जी

मुजफ्फरपुर बालिका गृह की घटना से अगर आप सचमुच शर्मसार हैं या आत्मग्लानि के शिकार है, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, सबसे पहले आप अपने में सुधार लाइये, जो खुद को अच्छा सुनने की आदत आपने डाल ली है, सुशासन बाबू कहाने का जो शौक पाल रखा है, उसमें सुधार लाइये, जो आप कुछ पत्रकारों को, जो आपकी आरती उतारते हैं, उन्हें जो उपकृत करने का जो शौक पाल रखा है, उसमें सुधार लाइये।

जिसने आपकी पार्टी का कभी झंडा नहीं ढोया, जिसने कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया, महात्मा गांधी, सरदार पटेल तथा मौलाना आजाद को कभी समझने की कोशिश ही नहीं की और अचानक वो आपकी पार्टी में घुसा, कुछ आपकी पार्टी को चंदा दिया और आपने उसे टिकट दे दिया और ऐसे लोगों को चुनाव जीतवा कर नेता-विधायक बनाने का जो शौक पाल कर रखा हैं, उसमें सुधार लाइये, क्योंकि सिस्टम में जो लूपहोल होता है न, जिसके बारे में आपने कल जिक्र किया, ऐसे ही लोग सिस्टम में लूपहोल करते हैं, जिसका खामियाजा किसी नेता या आइएएस/आइपीएस का बेटा-बेटी या परिवार नहीं भुगतता, सामान्य लोग भुगतते हैं, उसमें न तो अनुसूचित जाति होता है न अनुसूचित जन-जाति, न पिछड़ा वर्ग, न सवर्ण, क्योंकि लूपहोल के शिकार सभी वर्गों के गरीब होते है, इसे गिरह पार लीजिये।

फिलहाल आप आत्मग्लानि का शिकार हुए हैं या नहीं, ये तो पता तब चलेगा, जब आप मुजफ्फरपुर कांड के दोषियों को, उनके किये की सजा दिला देंगे, हालांकि जो मुख्य आरोपी है, उसकी हंसी जिसने भी देखी है, वह बता रहा है कि बिहार में कानून-व्यवस्था का क्या हाल हैं? और कैसे वह उसे चुनौती देने में सक्षम हैं। सुनने में तो ये भी आया कि जैसे ही वह जेल में पहुंचा, उसे छुड़ाने के लिए बड़े-बड़े लोगों के संबंधित पुलिस अधिकारियों के यहां फोन तक चले गये, ऐसे में वे कौन लोग हैं, जो उसे बचाने के लिए लग गये, क्या ये पता लगाने में भी आत्मग्लानि हो रही है।

बिहार के मुजफ्फरपुर कांड ने पूरे देश में बिहार के कानून व्यवस्था, बिहार के सिस्टम, बिहार में चल रहे समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं, बिहार के आइपीआरडी, यहां के पत्रकारों के चरित्र की पोल खोलकर रख दी हैं, बिहार के लोगों ने बड़े सपने देखे थे कि चलो लालू का जंगलराज देखा था, अब नीतीश के आने से बिहार में सब कुछ ठीक हो जायेगा, पर मुजफ्फरपुर में बच्चियों के साथ हुए यौन शौषण और मौत ने, जंगलराज का वो रेखाचित्र खींचा हैं कि लोग भूल रहे है कि यहां सुशासन बाबू का शासन है।

ऐसे तो बिहार में किस नेता या देश में किस नेता पर आम जनता विश्वास करें, इसका भी एक बहुत बड़ा संकट है, क्योंकि आज ही दिल्ली में देखा गया कि कुछ नेता मोमबत्ती लेकर आक्रोशित नजर आ रहे थे, और कुछ दांत निपोड़ रहे थे, और वह भी मुजफ्फरपुर कांड के नाम पर, अब ऐसे में कोई जनता नेताओं पर कैसे विश्वास करें, इसलिए आत्मग्लानि का अर्थ समझिये और दोषियों को दंड दिलाइये, साथ ही ऐसी व्यवस्था करिये कि फिर कोई गरीब की बेटी, ऐसी हैवानियत का शिकार न बनें।