निःशुल्क एंबुलेस को लेकर अपना पीठ थपथपा रहे CM रघुवर को हिन्दुस्तान ने दिखाया आइना

कल यानी 14 अक्टूबर को झारखण्ड के अति होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फोटो के साथ राज्य के सभी प्रमुख अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर फुल पेज कलर में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सौजन्य से एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था, जो राज्य में बेहतर एंबुलेंस सेवा को समर्पित था, आखिर क्या था, उसमें?

उसमें लिखा था कि “…ऐसा हुआ है पहली बार, जरूरतमंदों तक पहुंच रही है एंबुलेंस, अब तक तीन लाख से ज्यादा मरीजों को मिला त्वरित इलाज, निःशुल्क एंबुलेंस के लिए डायल करें 108, ऐसे ही तो करती आई है, अच्छे काम, सच्ची सरकार, रघुवर सरकार, काम किया हैं… और करेंगे”

और आज यानी 15 अक्टूबर को ही रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार का पृष्ठ संख्या सात देखिये, घटना साहिबगंज की हैं, जिसमें एक फोटो के साथ समाचार छपा है, जिसमें दो युवा बांस की बहंगी के सहारे एक गर्भवती महिला को सदर अस्पताल ले जा रहे हैं, अखबार ने हेडिंग में लिखा है “बांस के सहारे अस्पताल पहुंची गर्भवती, बदहाल व्यवस्था।”

यानी एक दिन भी नहीं बीते, राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के उस विज्ञापन को आज के इस समाचार ने ऐसा करारा तमाचा मारा हैं, कि शायद स्वास्थ्य मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री का कान जरुर झनझना गया होगा, पर ज्यादातर लोगों का मानना है कि कान झनझनाना तो दूर, ये लोग ऐसी समाचार को नोटिस भी नहीं लिये होंगे, क्योंकि इन लोगों को ईश्वर ने बड़े ही फुर्सत में बनाया हैं। 

ये अनोखे जीव हैं, और फिलहाल इन्हें आगामी चुनाव और उसमें ‘अबकी बार 65 पार’ के अलावे कुछ दिख ही नहीं रहा, इसलिए अगर हमलोग ये सोचते है कि राज्य के के स्वास्थ्य मंत्री और राज्य के अति होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के चेहरे पर इससे शिकन भी आया होगा, तो यह हमारी मूर्खता हैं।

हिन्दुस्तान अखबार ने तो लिख डाला है कि राज्य में 108 एंबुलेंस का लाभ कितना मिल रहा है, उसकी बानगी गत रविवार यानी 13 अक्टूबर को देखने को मिली, जब एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक गर्भवती महिला को प्रसव कराने बांस के सहारे सदर अस्पताल पहुंचाया गया, महिला को इस तरह अस्पताल जाते देख सभी हैरत में पड़ गये।

गर्भवती छोटा बेतौना का रहनेवाले मरांग सोरेन की पत्नी चिता हांसदा है, महिला की सास बड़की मुर्मू का आरोप है कि 108 एंबुलेस के लिए ग्रामीणों ने प्रयास किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। चूंकि पैसे के अभाव में उन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए उन लोगों ने बांस का सहारा लिया, अब जरा सोचिये बांस की बहंगी बनाकर लाने के क्रम में अगर बांस टूट जाती तो क्या होता?

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो राज्य सरकार को लगता है कि वह विज्ञापन के सहारे, लोगों की आंखों में धूल झोंककर मतहरण कर लेंगी तो वह गलत सोच रही हैं, सारे लोग अन्य राजनीतिक दलों में बैठे लोगों की तरह लालची नहीं, कि टिकट या कुछ पाने की लालच में जैसे भाजपा में शामिल हो जा रहे हैं, उसी प्रकार जनता भी इनके बहकावे या लालच में आकर इनके पक्ष में वोट डाल ही देंगी, राज्य सरकार जितना जल्दी अपनी मूर्खता पर विराम लगा दें, उतना ही अच्छा हैं।

और जो सच्चाई हैं, उसे स्वीकार कर, जो भी दो महीने बचे हैं, उसमें जनता की सेवा करें, नहीं तो भाड़े के लाये गये जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, वोट में परिवर्तित हो जायेगी, ये दिवास्वपन ही रह जायेगा, इससे अधिक कुछ नहीं, क्योंकि जनता को मालूम हो गया है कि यहां काम नहीं करनेवालों की जमात उनकी छाती पर मूंग दल रही हैं, और इसको सबक सिखाने का वक्त बस दो महीने के अंदर अब मिलने ही वाला है।

One thought on “निःशुल्क एंबुलेस को लेकर अपना पीठ थपथपा रहे CM रघुवर को हिन्दुस्तान ने दिखाया आइना

  • October 15, 2019 at 3:02 pm
    Permalink

    अति होनहार मुख्यमंत्री …को सही आइना दिखा रहे हैं आप .

Comments are closed.