अपनी बात

ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए संघर्ष कर रहे आंदोलनकारियों को हेमन्त सोरेन का समर्थन

रांची के मोराबादी मैदान में ओल्ड पेंशन स्कीम सुविधा को पुनः बहाल करने को लेकर राज्य भर से विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारियों का महाजुटान हुआ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम की राज्य कमेटी की ओर से आयोजित इस पेंशन संघर्ष रैली को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए संघर्ष कर रहे आंदोलनकार कर्मचारियों की मांगे जायज है, क्योंकि जिन्होंने जीवन के महत्वपूर्ण पल देश व राज्य को दिये, उनकी वृद्धावस्था भी बेहतर ढंग से बीते, इसका ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि झामुमो की सरकार आनेवाले समय में झारखण्ड में बनती है, तो उनकी सरकार इस ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने पर गंभीरता से विचार करेगी और चाहेगी कि राज्य के विभिन्न विभागों में सेवारत कर्मचारी अथवा अधिकारी अवकाश प्राप्त करें तो उन्हें पूर्व की तरह वो सारी सुविधाएं मिले, जिनके वे हकदार है।

पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन झारखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि वे अपनी जायज मांग ओपीएस लेकर रहेंगे, क्योंकि इस पर उनका अधिकार है। महासचिव प्रदीप मंडल ने कहा कि यह पूरा मामला सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा है, इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि अगर एनपीएस खत्म नहीं किया गया तो इसके गंभीर दुष्परिणाम भी आनेवाले समय में दिखेंगे।

ज्ञातव्य है कि पूरे देश से ओल्ड पेंशन स्कीम हटाकर न्यू पेंशन स्कीम लागू करने का काम भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लागू किया था, जिसकी तीखी आलोचना पूरे देश भर में हुई थी। आश्चर्य है कि अटल बिहारी बाजपेयी ने देश में सेवारत अधिकारियों व कर्मचारियो को न्यू पेंशन स्कीम की सुविधा प्रदान कर दी और खुद तथा अपने जैसे नेताओं के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू रखा, क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी जानते थे कि आनेवाले समय में न्यू पेंशन स्कीम से कर्मचारियों और अधिकारियों को फायदा नहीं होगा और जो मजा ओल्ड पेंशन स्कीम में हैं, वो न्यू पेंशन स्कीम में नहीं, ये जानते हुए खुद तथा खुद जैसे नेताओं के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम चालू रखा।

राजनीतिक पंडित तो आज भी अटल बिहारी वाजपेयी के इस चतुराई पर व्यंग्य करने से नहीं चूकते और कहते है कि जब न्यू पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी थी, तो वाजपेयी ने सांसदों और विधायकों के लिए ये सुविधा क्यों नहीं दी, यानी एक ही देश में दो प्रकार की पेंशन सुविधा की शुरुआत क्यों कर दी? पूरे देश में जो भी केन्द्रीय कर्मचारी या राज्य कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत आ रहे हैं, वे आज भी अटल बिहारी वाजपेयी को इसके लिए माफ करने को तैयार नहीं है, भले ही भाजपा के लोग उन्हें कितना भी महान क्यों न कह दें।

जैसे ही वाजपेयी ने अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में दोहरी पेंशन प्रणाली चालू की, जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकार थी, वहां भी इसे लागू कर दिया गया, जबकि वामपंथी शासनवाली सरकार में आज भी ओल्ड पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है, जबकि अन्य राज्यों में ओपीएस की मांग के लिए देश भर में लाखों कर्मचारी संघर्षरत हैं और इनके संघर्ष को देखते हुए आज नहीं तो कल, केन्द्र की भाजपा सरकार और राज्य की भाजपा सरकारों को झूकना ही पड़ेंगा और अपनी गलतियों के लिए इन्हें माफी मांगनी ही पड़ेगी।