हेमन्त का दावा, रघुवर राज में भ्रष्टाचार का घी पीया ही नहीं, बल्कि शरीर में लपेटा भी जा रहा है

नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम पर आज दुसरा खुला पत्र जारी किया। इस पत्र में राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण स्ट्रीट लाइट योजना में चल रही गड़बड़ी एवं घोटालों को प्रमुखता से उठाया गया है, साथ ही राज्य में ध्वस्त हो रही पंचायती राज व्यवस्था पर भी सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया है, पूरे पत्र में राज्य सरकार की धज्जियां उड़ा दी गई हैं। प्रमाण के साथ दिये गये इस पत्र पर क्या राज्य सरकार ध्यान देगी या इसी तरह उनका कार्यकाल चलता रहेगा। जरा देखिये नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने आज के पत्र में लिखा क्या है?

माननीय मुख्यमंत्री जी,

आपके लगभग पांच साल के शासनकाल में भ्रष्टाचार को सदाचार बना दिया गया है। मैं आपके ही सरकार के विद्वान मंत्री के उस आरोप की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहुंगा, जिसमें उन्होंने आपके शासनकाल को परिभाषित करते हुए कहा कि ये सरकार विकास का कंबल ओढ़कर भ्रष्टाचार का घी पी रही है। आज रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी की स्थिति ये है कि अब भ्रष्टाचार का घी पीया नहीं जा रहा, बल्कि शरीर में भी लपेटा जा रहा है, कुछ दिल्ली में बैठे आकाओं को भी भेजा जा रहा है।

आज राज्य में खुदरा और थोक रिश्वतखोरी की चर्चा देशभर में हैं। खुदरा रिश्वतखोरी का आलम यह है कि अब अंचलाधिकारी रिश्वतखोरी में पैसे नहीं, जमीन का हिस्सा मांग रहे हैं, थाना में प्राथमिकी होता है और ठेका मिलता है। हर विभाग में सीधे मुख्यमंत्री और आला अधिकारी के नाम पर वसूली हो रही है। ऐसा लगता है मानो राज्य में अपराधियों द्वारा मांगी जानेवाली फिरोती भी शर्मिंदा है।

आपके सरकार के भ्रष्टाचार के मुकुट में नया मणि है ग्रामीण स्ट्रीट लाइट योजना। कहने को तो गांव में उजाला, लेकिन भीतर ही भीतर घोटाला। केन्द्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देश की अवहेलना कर आपकी सरकार ने  पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को मनोनयन के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट का काम बिना टेंडर के EESL को देकर 100 करोड़ रुपये की लूट आपकी सरकार कर रही है। मैं सरकारी खजाने की लूट की पूरी कहानी इस पत्र के माध्यम से जनता के सामने रख रहा हूं। मीडिया के बंधुओं से अनुरोध है कि आप सरकारी खजाने की इस लूट को जनता के सामने रखें।

14 वें वित्त आयोग मद की राशि से पंचायतों में तीन कार्य सरकार ने कराने का निर्णय लिया। पहले सभी पंचायतों में प्रति पंचायत 200 के हिसाब से LED लाइट युक्त स्ट्रीट लाइट लगाया जायेगा। दूसरा सभी राज्य के सभी टोलों (PTG, SC/ST टोलों को छोड़कर) सौर ऊर्जा आधारित लघु ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना का निर्माण कराया जायेगा। तीसरा पंचायतों में पेवर्स ब्लॉक सडक निर्माण का कार्य।

इसमें राज्य के 4562 पंचायतों में प्रति पंचायत 200 स्ट्रीट लाइट के हिसाब से 9,12,400 स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य मनोनयन के आधार पर EESL कंपनी को देने का संकल्प ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) के ज्ञापांक 520 दिनांक 08.03.2019 के द्वारा निर्गत किया गया है।

इस संकल्प में 24 वॉट के LED स्ट्रीट लाइट की कीमत रुपये 1350/यूनिट, आर्म क्लैप तार रुपये 415/यूनिट, लगाने की कीमत रुपये 120/यूनिट यानी कुल लागत रुपये 1885/यूनिट, EESL प्रशासनिक खर्च 3 प्रतिशत रुपये 56.55 यानी कुल राशि 1941.55+GST, साथ ही साथ प्रति लाइट 14.71 पैसा प्रति माह रख रखाव का खर्च देने का भी निर्णय हुआ है।

यहां उल्लेखनीय है कि EESL, LED बल्ब का खुद निर्माण नहीं करती है। बाजार में जब आप जायेंगे और सबसे अच्छी कंपनी का 24 वॉट का LED बल्ब लेना चाहेंगे, तो हैवेल्स कंपनी की 24 वॉट की स्ट्रीट लाइट अधिकतम 950 रुपये में मिल जायेंगे। आर्म क्लैप तार 200 रुपये में, लगाने की कीमत 100 रुपये में यानी कुल 1200 रुपये में, काम खत्म।

यानी प्रति स्ट्रीट लाइट लगभग 700 रुपये ज्यादा भुगतान करना है। अब जरा हिसाब लगाइये, कुल 4562 पंचायतों में 9,12,400 स्ट्रीट लाइट लगाने में प्रति लाइट 700 रुपये अतिरिक्त खर्च का मतलब 63,84,80,000 रुपये राशि के लूट की व्यवस्था सरकार ने कर ली। अगर पंचायत की लाभुक समिति इस कार्य को स्वयं करती है तो प्रति पंचायत एक लाख दस हजार रुपये की राशि का बचत होगा। इतना ही नहीं, सरकार इसके रखरखाव के मद में पैतीस हजार तीन सौ चार रुपये प्रतिवर्ष प्रति पंचायत के दर से EESL को 16,10,56,848 रुपये प्रतिवर्ष भुगतान करेगी।

प्रश्न सिर्फ करोड़ों रुपये के घोटाले का नहीं है, बल्कि सरकार के इस खेल से पंचायती राज व्यवस्था के कुंद हो जाने का खतरा है। हमारी पंचायती राज संस्थाएं मात्र रबर की स्टाम्प की भूमिका में जायेंगी। मुखिया का काम सिर्फ चेक काट कर सरकार की चहेती EESL को भुगतान करने कर देने मात्र का रह गया है। पंचायती राज की मूल भावना सत्ता के विकेन्द्रीकरण की थी, ताकि पंचायत स्तर से अपने विकास का कार्य जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ग्राम सभा की सहमति से कर सकें, परन्तु इस मनोनयन के खेल से पूरी पंचायती राज की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

अब पंचायत स्तर पर 14वें वित्त आयोग मद से किये जाने वाले दूसरे कार्य पर नजर डालें। राज्य के सभी टोलों में (PTG, SC/ST टोलों को छोड़कर) सौर ऊर्जा आधारित लघु ग्रामीण पाइप योजना का निर्माण कार्य इसका खेल भी बड़ा निराला है। इसने पंचायतों के सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग (पंचायतीराज) के सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से निर्गत पत्र ज्ञापांक संख्या 374, दिनांक 15.02.2019 के द्वारा कहा गया है कि सोलर पैनेल एंड मोटर पम्प का अधिष्ठापन एमएनआरइ के एप्रूव्ड वेंडर से आपूर्ति लेकर किया जायेगा।

आपको यहां यह जानना जरुरी है कि भारत सरकार के मिनिस्टर ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल इनर्जी डिपार्टमेन्ट ने अपने पत्र के माध्यम से 23.11.2017 को स्पष्ट कर दिया था कि हमने वेंडर को एप्रूव्ड करने का काम बंद कर दिया है, इसलिए किसी काम में एप्रूव्ड वेंडर का कंडीशन नहीं लगाया जाय, परन्तु झारखण्ड सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इन्हें तो भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डूबकी लगानी है, इसलिए एमएनआरइ एप्रूव्ड वेंडर से आपूर्ति लेने की बाध्यता कर दी गई है। झारखण्ड में 2017 के पूर्व एमएनआरइ के मात्र दो ही एप्रूव्ड वेंडर है। यानी पूरे राज्य में इन्हीं दो वेंडरों को सप्लाई देनी है और इस सप्लाई के खेल में लगभग करोड़ों का खेला होना है।

प्रश्न उठता है कि जब एमएनआरइ ने एप्रूव्ड वेंडर की बाध्यता 2017 में खत्म कर दी है, तो राज्य सरकार ने 2019 में एप्रूव्ड वेंडर की बाध्यता क्यों लगाई? सरकार के इस पत्र की आड़ में जिला स्तर के पदाधिकारियों ने पूर्व के दो एप्रूव्ड वेंडर से सप्लाई लेने का आदेश पंचायतों को निर्गत कर दिया। उप विकास आयुक्त गोड्डा ने तो बकायदा एप्रूव्ड वेंडर का नाम लिखकर आदेश निर्गत कर दिया कि पूरे जिले में इसी वेंडर से आपूर्ति ली जाय। जबकि होना तो यह चाहिए था कि देश में लगभग 10 कंपनियां हैं जो डीसी मोटर बनाती है, इसमें किसी का उत्पाद लेने की बात हो तो शर्त यह होती कि एमएनआरइ के एप्रूव्ल लैब से इनको टेस्टेड किया हुआ हो, तब सही कीमत पर क्रय हो सकता था।

इसका सबसे दुखद पक्ष यह है कि सरकार पंचायती राज की संरचना ग्राम सभा की प्रमुखता एवं चुने हुए मुखिया को पंगु बनाने का खतरनाक खेल, खेल रही है। मैं इस खुले पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री जी से मांग करता हूं कि भ्रष्टाचार के नये रास्ते खोजने के क्रम में पंचायती राज संस्थाओं को पंगु करने का प्रयास बंद किया जाय, एवं चुने हुए मुखिया एवं ग्रामसभा के अधिकार को समाप्त करने का खेल बंद किया जाय, इस ग्राम सभा की स्वायत्तता को बरकरार रखा जाय एवं चुने हुए मुखियाओं को स्वतंत्र रुप से काम करने दिया जाय। साभार।

भवदीय

हेमन्त सोरेन