अपनी बात

खुद बाहरी और दूसरे को बाहरी बता रहे, और ये बतानेवाले दूसरा कोई नहीं, अपने ही CM रघुवर दास है

कल राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास बरहरवा-गोड्डा के दौरे पर थे। जहां उन्होंने बड़े-बड़े कार्यक्रम किये, लोगों को सपने दिखाये, झामुमो और झारखण्ड नामधारी पार्टियों को खूब भला-बुरा कहा, और खुद को दुध का धूला एवं महान राजनीतिज्ञ साबित करने में कोई कोताही नहीं बरती। इसी बतकही में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कह डाला कि आप यहां के स्थानीय लोगों को मौका देकर, विकास योजना में सहयोग करें।

जमशेदपुर से आकर चुनाव लड़नेवाले को भगाइये, जिसे एक भाजपा भक्त अखबार ने प्रमुखता से स्थान दिया है। अब सवाल उठता है कि इसी राज्य में जमशेदपुर है, जमशेदपुर कोई बिहार, ओड़िशा या छत्तीसगढ़ में नहीं हैं, यानी जमशेदपुर का कोई व्यक्ति दूसरी स्थानों पर जाकर, झारखण्ड में ही चुनाव न लड़ें पर बिहार और छत्तीसगढ़ के लोग आराम से यहां चुनाव लड़े और मंत्री और मुख्यमंत्री तक बन जाये।

कमाल है, मुख्यमंत्री रघुवर दास की सोच की, खुद बाहरी है, और यहां के लोगों को स्थानीय और बाहरी का मंत्र देकर इसे विकास से जोड़ दे रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सच पूछा जाये, तो राज्य में ज्यादातर भाजपा नेता, जो शीर्ष पदों पर मौजूद हैं, वे असल में बाहरी है, बाहर से आये हैं, और सांसद-विधायक बन गये, मंत्री बन गये, मुख्यमंत्री तक बन गये और जो लोग इसी मिट्टी में जन्में, पले-बढ़े, अब उसे ही ये बाहर के लोग बाहरी बताने लगे, तो इसे आप क्या कहेंगे।

मुख्यमंत्री रघुवर दास का ये बयान आनेवाले समय के लिए खतरे की घंटी है, कहीं ये बाहरी लोग ही यहां के मूलवाशिंदों को बाहरी कहकर भगाने का काम न शुरु कर दें, इसलिए यहां के राजनीतिक दलों व मूलवाशिंदों को मुख्यमंत्री की इस भाषा पर ध्यान देना चाहिए और इस पर कड़ा प्रतिवाद दर्ज कराना चाहिए।