अपनी बात

रघुवर सरकार के पांच पूर्व मंत्रियों आप घबराना नहीं, एनोस को सजा होनी ही थी, क्योंकि वो भाजपाई नहीं था, आप तो…

रांची से प्रकाशित आज की सभी अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर एनोस एक्का और उनका परिवार छाया हुआ है। खबर ही ऐसी है कि यह खबर प्रथम पृष्ठ पर आनी ही थी। एनोस, उसकी पत्नी, भाई, साला और भांजा को सात-सात साल की सजा, 50-50 लाख जुर्माना हुआ है। यह सजा उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में हुई है, सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ए के मिश्रा की अदालत ने उन्हें यह सजा सुनाई है।

यह सजा सुनकर झारखण्ड का हर व्यक्ति आश्चर्यचकित है, आश्चर्यचकित इसलिए नहीं कि एनोस और उनके परिवारवालों को सजा हुई, बल्कि आश्चर्यचकित इस बात को लेकर है कि इस मामले में उन्हें सजा कैसे हो गई? आखिर एनोस एक्का को किसी ने दिमाग क्यों नहीं दिया कि वो भाजपा में शामिल हो जाये, अगर वे भाजपा में शामिल होते, तो निःसंदेह वे आराम से इस मामले से मुक्त भी हो जाते तथा भाजपा में रहकर आराम से मस्ती भी मार रहे होते।

जरा देखिये न जब तक रघुवर सरकार रही, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का चहेता बाघमारा का भाजपा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ कुछ हुआ, उलटे एक मामले में जहां उसे दो साल की सजा कन्फर्म थी, उसे डेढ़ साल की सजा सुना दी गई, और वह आराम से अपनी विधायकी भी बचा लिया, जबकि इसी प्रकार के मामले में झामुमो विधायक रहे अमित महतो को दो साल की सजा सुनाई गई और उनकी विधायकी सदा के लिए चली गई।

पांकी का भाजपा विधायक शशि भूषण मेहता सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड से आराम से बरी हो गया।भवनाथपुर का भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही एक घोटाले में फंसे होने के बावजूद शान से अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। अरे जिस आय से अधिक मामले में एनोस और उसके परिवार को सजा मिली है, ऐसे मामले में तो रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों को भी सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि जनसभा संस्था के पंकज यादव तो साफ कहते है कि रघुवर सरकार के भी पांच मंत्रियों की संपत्ति मात्र पांच सालों में 300 प्रतिशत से लेकर 1000 प्रतिशत तक बढ़ गई। ऐसे में तो ये भी इसी प्रकार की सजा के हकदार है।

जनसभा के पंकज यादव ने तो इनलोगों के खिलाफ झारखण्ड हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की है। पंकज यादव ने तो पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव, पूर्व समाज कल्याण मंत्री लूईस मरांडी, एवं पूर्व खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी द्वारा अर्जित संपत्ति की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से करवाने की मांग भी की है।अब सवाल उठता है कि क्या जिस प्रकार एनोस एक्का और उनके परिवार को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सजा सुनाई गई। क्या इतनी ईमानदारी, सरकार इन पूर्व पांच मंत्रियों पर भी दिखायेगी या इन्हें भाजपाई होने का लाभ मिलेगा?

सच्चाई तो यही है कि अब तक झारखण्ड पुलिस जिनका काम है, ऐसे लोगों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटाना, वो साक्ष्य जुटाने के बजाय, साक्ष्य मिटाने या साक्ष्य कमजोर करने का काम करती है, जिसका नतीजा होता है कि जिनकी सरकार होती है, वे अपने ढंग से अपने लोगों को बचाने का काम करते हैं, जिसका फायदा उन पार्टियों से जुड़े लोगों को मिलता है। चूंकि एनोस एक्का ने निरन्तर भाजपा से दूरियां बनाये रखी, जिसका दुष्परिणाम उन्हें देखने को मिला, नहीं तो वे आज रसगुल्ले खा रहे होते।

वे बोल रहे होते, कि न्यायपालिका ने उन्हें न्याय दिलाया, सत्य की जीत हुई, पर सच्चाई क्या है? वो देश की गरीब जनता जानती है, जिसकी सत्ता उसकी जय और जिसकी सत्ता नहीं, वो गये काम से, फिलहाल जिन्हें न्याय दिलवाना है, उन पर किसका कब्जा है, किसका कब्जा रहा है, सभी जानते है। बेचारा एनोस बुरा फंसा, जो आय से अधिक मामले में फिलहाल बम-बम कर रहे हैं, वे जरुर मन ही मन कहते होंगे। बेवकूफ था, आय से अधिक धन भी अर्जित किया और भाजपा में शामिल भी नहीं हुआ, ऐसे में तो उसे सजा मिलनी ही थी, इसमें आश्चर्य कैसा?