अपनी बात

कोरोना काल में सेवा कार्य को लेकर राजनीतिक दीवारें ढहीं, युवाओं ने मिलकर दिया झारखण्ड को सहारा

भले ही कोरोना ने हमारे जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया हो, हमारे अपनों में से कई के जीवन लील गया हो, पर सच्चाई यह भी है कि इस कोरोना ने ऐसे युवाओं को भी हमारे सामने लाकर खड़ा कर दिया, जिससे कोरोना के हालत ही कई स्थानों पर पस्त होते दीखे, हम यह कह सकते हैं कि जब-जब देश या समाज में इस प्रकार की परिस्थितियां बनेगी, जब जीवन पर संकट आयेगा तो निश्चय ही ऐसे युवाओं से लोगों की आस बनेगी, और ये युवा उन आशाओं को पूर्ण करने में कामयाब होंगे।

आम आदमी भी अब इस कोरोना काल में समझ चुका है कि उसका असली मददगार कौन है? कि जिसे एक बार पुकारा और  जब तक उसकी समस्या हल नहीं हुई, वो चैन से बैठा ही नहीं। कमाल तो इस बात की है कि ऐसे युवाओं के घर में खुद संकट कुंडली मार कर बैठा था, पर वो अपने घर के साथ-साथ समाज के दुख को भी अपना दुख समझ उसे कम करने का प्रयास कर रहा था, ऐसे ही युवाओं में एक नाम आता है –कुणाल षाड़ंगी का।

कुणाल षाड़ंगी पहले झामुमो के विधायक थे, आज भाजपा के प्रवक्ता है, पर सेवा में इनकी राजनीति हावी नहीं है, सेवा सेवा है, चाहे झारखण्ड हो या असम अथवा नेपाल अथवा और कोई जगह, जहां से भी उन्हें मदद के लिए आवाज लगाई गई, वे मदद करते दीखे, जबकि उन्हीं के इलाके के कई राजनीतिज्ञ आराम फरमाते दीखे, शायद यहीं कारण है कि जमशेदपुर के कई इलाकों ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इस शख्स का नाम बड़े सम्मान से लिया जाने लगा है।

कमाल है, गांव, प्रखण्ड, पंचायत, शहर, महानगर, नेता, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री हो या बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारी, सभी के साथ उनके मधुर संबंध और ये बड़े अधिकारी भी समझ रहे थे कि इस व्यक्ति ने राजनीति न चमकाकर लोगों को सेवा देने का मन बनाया है, इसलिए सभी ने इनके साथ मिलकर जनता की सेवा की और आज जनता इनसे खुश है। यह वही शख्स है कि आइपीएल की जगह पीपुल प्रीमियर लीग करवा दिया, ताकि लोगों को रक्त, प्लेटेट्स एवं प्लाजमा की दिक्कत इस कोरोना काल में न हो, और इनकी मदद के लिए भारतीय क्रिकेटर व बॉलीवुड के लोग भी आ पहुंचे।

इसी कोरोनाकाल में देखा गया कि झारखण्ड युवा कांग्रेस के अध्यक्ष कुमार गौरव भी मदद से पीछे नहीं हटते दिखाई पड़े, अपने क्षेत्र के लोग हो या झारखण्ड का कोई भी व्यक्ति, जिसने भी इनसे मदद मांगा, इन्होंने जमकर मदद की, सबसे बड़ी बात रही कि इनकी पार्टी का सत्ता में होने का फायदा भी इन्हें मिला और पार्टी ने भी जमकर इनकी मदद की, जिससे आम जनता को फायदा मिलता दिखा।

इसी तरह, पलामू के युवा सन्नी शुक्ला ने भी लोगों की मदद को ठानी। इन्होंने ही सबसे पहले पलामू में ऑक्सीजन की कमी को खत्म करने की शुरुआत की थी, जिससे राज्य सरकार पर दबाव भी बना था। इन्होंने पलामू प्रमंडल के लोगों को देश के हर कोने में मदद पहुंचाया। इन्होंने रक्त, ऑक्सीजन, बेड, दवाएं सब कुछ दिलवाने का काम किया। फंड रेजिंग से ले कर, समसामयिक मुद्दों को लेकर मुखर रहना इनकी पहचान रही है। किसी राजनीतिक पार्टी में न होने के बावजूद आज के दौर में सेवा कार्यों में आगे रहना, बताता है कि आनेवाले समय में समाज को इनसे इसी प्रकार लाभ मिलता रहेगा।

अब बात रांची के अतुल गेरा की, इस कोरोना काल में जिस प्रकार इन्होंने  रक्त की कमी को अपने शौर्य से पूरा किया, करवाया। इनकी जितनी भी तारीफ की जाय कम है। हालांकि ये आज से ही ऐसा काम नहीं कर रहे हैं। जो रक्तदान में दिलचस्पी लेते हैं, या जिन्हें रक्त की कभी भी जरुरी पड़ी हैं, वे इन्हें जानते हैं। पल भर में रक्त की आपूर्ति करवाने का मादा रखना, कोई सामान्य बात नहीं।

इस शख्स पर हर झारखण्डी को गर्व है, क्योंकि इन्होंने कभी भी धर्म-समुदाय नहीं देखा, सिर्फ ये देखा कि एक व्यक्ति को रक्त की जरुरत है, उसे बचाने की चेष्टा करनी चाहिए, ये लग गये, और आज ये किसी परिचय के मोहताज भी नहीं। हमारी कई मुलाकात है, मैं चाहता हूं कि ऐसा शख्स हमेशा मुस्कुराता रहा, क्योंकि इनकी मुस्कुराहट में ही झारखण्ड की मुस्कुराहट छुपी है।

ऐसे और भी कई युवा है, जिन्हें हम नहीं जानते, पर वे विभिन्न इलाकों में अपनी सेवा दे रहे हैं, हम कह सकते है कि इन्हीं युवाओं से झारखण्ड प्रगति की ओर बढ़ रहा है, कोरोना से लड़ रहा हैं, और जब तक ऐसे युवा निर्भीक तरीके से देश को अपनी सेवा देते रहेंगे, झारखण्ड का बाल-बांका नहीं हो सकता।