राजनीति

तमतमाए EX-CM रघुवर ने अधिकारियों को हड़काया, ये सोच रहे हो कि गंदगी फैलाकर रिटायरमेंट के बाद आराम कर लोगे, तो ये तुम्हारी भूल है

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इस प्रेस विज्ञप्ति को प्रथम दृष्टया देखे तो इसमें हेमन्त सरकार को धमकी भी दी गई हैं और दूसरी ओर प्रवचन की मुद्रा में राज्य के वरीय अधिकारियों को हड़काया भी गया है कि बाबू समझ लो, हरदम यहीं सरकार नहीं रहेगी, अगर हमारा सरकार आ गया तो तुम्हारी खैर नहीं। अगर इस धमकी और हड़कानेवाली इस प्रेस विज्ञप्ति का प्रभाव यहां के अधिकारियों पर पड़ गया, तो लो हो गई जांच और हो गई प्राथमिकी के साथ लाल बूझक्कड़ का खेल, और अगर प्रभाव नहीं पड़ा तो जो होना हैं, सो होगा ही।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो यहां जो भी IAS/IPS हैं, वे भले ही भारतीय संविधान की शपथ लेकर कलम या कुर्सी पकड़े हो, लेकिन कुर्सी मिलते ही उनकी प्रथम चाहत होती है कि ऐसे जगह पर उनका स्थानान्तरण हो, जिसमें माल भी मिलता रहे, उनकी पत्नी या पति हरदम मस्ती के झूले में झूलते रहे, भले ही पद जाने के बाद भिखमंगे वाली हालत ही ईश्वर क्यों न ला दें, इसी चाहत में ये वो सारे काम करते हैं, जिसमें वे अपनी जमीर तक बेंच देते हैं, ऐसा दृश्य यहां हमेशा दिखाई पड़ता हैं।

जैसे एक समय था कि रघुवर के शासनकाल में भी कई आइएएस/आइपीएस/सलाहकार थे, जो सोने के चम्मच से खाना खाया करते थे, अपने आगे किसी को लगाते नहीं थे, उन्हें लगता था कि अब ये सत्ता कभी खत्म ही नहीं होगी, वे हमेशा शुद्ध घी के लड्डू खाते रहेंगे, बम-बम करते रहेंगे, अपनी पत्नी और ससुर को मेवे खिलाते रहेंगे। इसी चक्कर में जमकर वो काम करते थे, जिससे आम आदमी की आह निकल जाती, ये किसी को भी झूठे केसों में फंसा देते। फिर सीएमओ से ही विभिन्न अखबारों को संदेश दिया जाता कि फंला के खिलाफ फलां थाने में केस किया गया हैं, जरा नून-तेल मिर्चाई लगाकर छाप दिया जाये।

और ये टूच्चे टाइप के  अखबार छापा भी करते थे, क्योंकि मामला विज्ञापन से  जुड़ा हुआ करता था, जबकि अपने पर पड़ती थी, तो ये कहने से भी नहीं चूकते कि कौवा, कौवा का मांस नहीं खाता, पर दूसरे पर आती तो खुद कौवा बनकर, कौवा का मांस खा जाया करते। ऐसी घटनाओं का मैं खुद गवाह हूं, और जब इन पर पड़ी तो लो हेमन्त सरकार को धमकी और अधिकारियों को प्रवचन की जन्मघूंटी पिलाने लगे, अरे वाह रे रघुवर जी, आप भी कितने भोले हैं न।

अभी भी आपको लगता है कि आप सत्ता में आयेंगे और आप मुख्यमंत्री बनेंगे, फिर से वे अधिकारी और आपके लोग उसी प्रकार से अपने विरोधियों व अच्छे लोगों को झूठे मुकदमें में फंसायेंगे, बड़ा गजब आदमी है भाई, कितने सपने वह भी सत्ता से जाने के बाद आप अपने मन में बसाए रखें हैं, अरे भाई हमेशा आप ही अपने हाड़ में हरदी लगवाइयेगा तो बाबू लाल मरांडी क्या झूमर और सोहर गाने के लिए भाजपा में गये हैं

आपने ये सोच लिया कैसे कि हेमन्त सरकार तीन साल बाद नहीं रहेगी, भविष्यवक्ता आप कब से हो गये, ये पंडितई वाला काम आपको कब से आ गया? अरे पहले विधायक तो बनिये, तब न आगे की बात होगी…। बेचारे रघुवर दास जी, ये हैं, इनकी प्रेस विज्ञप्ति, आप भी अगर इनकी प्रेस विज्ञप्ति का पोस्टमार्टम कर सकते हैं तो करिये, पता लग जायेगा, कि ये अपने मन में क्या-क्या छुपाए रखे हैं?

मीडिया के माध्यम से खबर मिली है कि झारखंड सरकार ने छह साल पुराने राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में नयी धाराएं जोड़ कर मुझे भी इसमें शामिल करने का प्रयास कर रही है। अगर ऐसा है तो इस निर्णय का मैं स्वागत करता हूं। पिछले लगभग चार साल से मामले की जाँच चल रही है लेकिन मामले में कुछ नहीं मिल पाया, तो मामले को जीवित रखने के लिए सरकार के इशारे पर कुछ काबिल अधिकारियों ने इसमें नयी धाराएं जोड़ने का प्रयास शुरू किया हैं।

झारखंड में पहली बार विद्वेष और बदले की राजनीति की शुरुआत हो रही है। लेकिन किसी को यह भूलना नहीं चाहिए कि यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है। दरअसल यह 2024 की तैयारी है। मुख्यमंत्री जी चुनाव तक यह मामला खींचना चाहते हैं। जो अधिकारी यह सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटारमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है। सभी की जिम्मेदारी तय की जायेगी।

गलत करके बचने की उम्मीद छोड़ दें। मेरा सरकार व उनके काबिल अधिकारियों से यह आग्रह है कि कानून की किताब से और जितनी तरह की धाराएं इस मामले में जोड़ी जा सकती हैं, उसे जोड़ कर लगा लें, मैं डरनेवाले लोगों में नहीं हूं। मेरा जीवन खुली किताब है, जो चाहे इसे पढ़ सकता है।