डा. आनन्द मामले पर सरयू राय ने CM हेमन्त को लिखा पत्र, कांग्रेसी नेताओं को चेताया, स्वास्थ्य मंत्री पर गंभीर आरोप

डा. ओ पी आनन्द मामले को लेकर जमशेदपुर पूर्व के निर्दलीय विधायक सरयू राय चिन्तित है। उन्होंने इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा की जा रही जांच और डा. ओ पी आनन्द द्वारा दायर किये गये डिजिटल वाद पर ध्यान नहीं देने को लेकर सरकार की साख पर भी सवाल उठा दिये हैं। साथ ही कांग्रेस के उन नेताओं को चेतावनी दी कि उन्हें लगता है कि सरयू राय गलत हैं तो वे बयानबाजी छोड़ मुकदमा दायर करें, वे इसे झेलने को तैयार है।

सरयू राय के इस मामले में सक्रिय हो जाने पर अब एक तरह से क्लियर हो गया कि हेमन्त सरकार की इस मामले में किरकिरी होनेवाली है, क्योंकि इसके पूर्व भाजपा प्रवक्ता और फिर सरयू राय के कूद जाने पर ऐसा नहीं लगता कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता साफ-साफ निकल जायेंगे, क्योंकि जिस प्रकार का डिजिटल वाद डा. ओ पी आनन्द ने स्थानीय थाने में दायर किया है, वो चौकानेवाला हैं।

उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप लगाया कि वे अवैध रुप से डेढ़ करोड़ रुपये मांग रहे थे, नहीं तो अस्पताल को बंद करने की धमकी देने की बात कही थी। अब ये मामला पूरी तरह से जमशेदपुर की राजनीतिक गर्मी को बढ़ा दिया है,  एक ओर स्थानीय पुलिस पर स्वास्थ्य मंत्री के पक्ष में काम करने का आरोप लग गया, दूसरी ओर इस मामले को लेकर डाक्टरों में भी सुगबुगाहट दिखाई देने लगी है, अगर ऐसा होता है तो इस कोरोना काल में झारखण्ड में एक नई मुसीबत आम जनता को झेलनी पड़ जायेगी। इधर पूरे मामले को लेकर सरयू राय ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख डाली है, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस पर क्या निर्णय लेते हैं। पत्र इस प्रकार है…

माननीय मुख्यमंत्री,

झारखंड सरकार।

आदित्यपुर, सरायकेला-खरसांवा, के 111 सेव लाइफ अस्पताल के डा० आनन्द की गिरफ्तारी के संबंध में अखबारों में छपे मेरे वक्तव्य पर आपकी सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस के कतिपय नेताओं की प्रतिक्रिया राँची और जमशेदपुर के अखबारों में छपी है। प्रतिक्रिया में धमकी का पुट है। कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया की कतरन संलग्न करते हुए इसकी एक प्रति उद्धृत करना चाहता हूँ। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ताओं ने कहा है कि “कानून के जानकार सरयू राय को यह भी मालूम होना चाहिये कि गलत कार्यों को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ भी भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है।” उनको ऐसा लगता है, तो वे मुझपर मुकदमा करें, स्वागत है।

इस बारे में निम्नांकित सूचनाएं आपके समक्ष रखना चाहता हूँ –

  1. उपर्युक्त अस्पताल की जाँच सिविल सर्जन ने किया और 15.05.2021 को जाँच प्रतिवेदन सौंपा। इस हस्तलिखित एवं हस्ताक्षरित जांच प्रतिवेदन की टंकित प्रति हू-ब-हू निम्नांकित है:-

‘‘आज दिनांक 15.05.2021 को 02.00 बजे अपराह्न को 111 सेव लाइफ हॉस्पिटल, आदित्यपुर का निरीक्षण डॉ. बरियल मार्डी, सिविल सर्जन (प्रभारी), सरायकेला-खरसावाँ की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अंतर्गत निरीक्षण किया गया तथा बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के अंतर्गत विभिन्न पहलुओं को देखा गया। अस्पताल के चिकित्सक डॉ. रक्षित के द्वारा अस्पताल का भ्रमण करवाया गया, जिसमें कुल 7 रोगी कोविड-19 के भर्ती पाये गये ताकि उनमें से 2 मरीज वेंटिलेटर पर हैं जिनका नाम (1) अनिर्वन राय एवं (2) जोयल दास है।

  1. श्री अनिर्वन राय दिनांक 03.05.2021 से भर्ती हैं, इनको दिनांक 09.05.2021 से वेंटिलेटर में रख कर ईलाज किया जा रहा है. तथा इनको Inj. Pipzo, Inj. Enoxaparin, Inj. Remdisivir, Inj. Vareoycine, Inj. Meropenom तथा अन्य आवश्यक दवाईयाँ दी गयी है तथा आवश्यकता अनुसार आवश्यक प्रोटोकोल के तहत ईलाज किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा बताया गया कि बिल का भुगतान समय-समय पर किया जाता है तथा मौजुदा समय पर मरीज के परिजन अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
  2. श्री जोयल दास 13.05.2021 से अस्पताल में भर्ती हैं तथा दिनांक 13.05.2021 से अस्पताल में भर्ती हैं तथा दिनांक 13.05.2021 से High Flow ऑक्सिजन तथा बंच में रखा जा रहा तथा Inj. Pipzo4.5 mg, Inj. Enoxaparin, Inj. Remdisivir, Inj. Vareoycine, Inj. Meropenom तथा आवश्यक दवाईयाँ एवं जाँचें प्रोटोकोल के तहत किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा बताया गया कि इनके परिजन के द्वारा समय-समय पर बिल का भुगतान किया जाता है। मरीज के परिजन अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।

अस्पताल प्रबंधन के द्वारा बताया गया कि कई मरीज ईलाज कराने के बाद बिल का भुगतान छुट्टी के समय नहीं किया है। जैसे गायत्री श्रीवास्तव (भर्ती की तिथि 14.04.2021) तथा उनकी दिनांक 22.04.2021 को अस्पताल में हो गयी। आदित्य सांडिल तथा कई अन्य ऐसे मरीज हैं जो बिल का भुगतान किये बिना भाग गये हैं। अस्पताल प्रबंधन द्वारा बताया गया कि छुट्टी के समय स्वास्थ्य मंत्री के करीबी होने का दबाव दिया जाता है जिसका शिकायत माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से अस्पताल प्रबंधन द्वारा बताये जाने की भी बात प्रबंधन द्वारा बताया गया।

अस्पताल परिसर के अंदर सभी वार्डों में मिला कर कुल 8 मरीज भर्ती हैं, जिनमें कुल 7 कोविड के हैं तथा 1 कैंसर का है। कोविड के सातों मरीज जो आईसीयू वार्ड में भर्ती हैं उनका ‘बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल कलर कोडेड बिन्स’ में नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन से बायो मेडिकल वेस्ट संबंधी कागजात मांगे गये, जिनमें से सिर्फ बिल सं. 1193, दिनांक 01.07.2020 उपलब्ध कराया गया।

जिसमें पार्टी का नाम ‘111 सेवा सदन हॉस्पिटल’ लिखा गया है तथा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाया गया तथा अग्निशमन विभाग से संबंधित दस्तावेज (लिखित) उपलब्ध नहीं कराया गया। डॉ. ओ. पी. आनन्द के द्वारा बताया गया कि विगत कुछ दिनों पूर्व अग्निशमन विभाग द्वारा चार special Fire Antigun लगाये गये हैं तथा इस संबंध में कोई भी कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया।

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अंतर्गत रेट चार्ट किसी सार्वजनिक स्थल पर दर्शाया नहीं गया है तथा रिस्पेशन पर उपलबध रहने की बात कही गयी जो उपलब्ध है। बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत बायो जेनेटिक लेबर धनबाद (रामगढ़) का निबंधन प्रमाण पत्र दिखाया गया। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट किसी सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शित नहीं किया गया था, जो मांगने पर दिखाया गया एवं साथ-साथ दिवाल पर लगाया गया।

अस्पताल प्रबंधन बताये कि अस्पताल के सभी लाइसेंस वैध हैं एवं अप-टू-डेट हैं जो रजिस्ट्रेशन का नवीकरण के समय सिविल सर्जन कार्यालय में जमा किया गया है जिसकी सत्यता जाँचने के बाद रिन्युअल हुआ है। रेट लिस्ट प्रदर्शिका एलईडी लाइट में बनाने के लिए दिया गया है जिसमें कोविड के कारण विलम्ब हो रहा है।

जाँच समिति के सदस्य डॉ. बरियल मार्डी एवं डॉ. अनिर्वन महतो सरकार द्वारा निर्धारित पैकेज रेट में कौन-कौन सी सुविधाएँ और कौन-कौन सी दवाओं को जोड़ कर बनाया गया है, का आधार अथवा उल्लेख कहीं नहीं है क्योंकि अस्पताल का इसका ब्योरा कभी उपलब्ध नहीं कराया गया है, क्योंकि अलग-अलग प्रोटोकोल में एवं अलग-अलग बीमारियों में विभिन्न तरह के एवं विभिन्न राशि के दवाओं का प्रयोग होता हैं, जाँच समिति के सदस्यों के द्वारा इसकी जानकारी के लिए दूरभाष से सिविल सर्जन कार्यालय से मांग कर तत्काल उपलब्ध नहीं कराया जा सका है तथा शोध उपलब्ध कराने की बात डॉ. मार्डी द्वारा कहा गया।

डॉ. ओ पी आनन्द ने आश्चर्य जताया कि एक विधायक के ईलाज में कई करोड़ खर्च कर सकती है तो वह किस आधार पर पैकेज रेट तय कर रही है। माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा अस्पताल के विरूद्ध मौखिक जाँच का आदेश देना अनुचित प्रतीत होता है। ऐसे में जब अस्पताल प्रबंधन दिन रात मेहनत करके कोविड मरीजों के प्राण रक्षा में लगे हैं, ऐसे में पैकेज रेट अपूर्ण और अप्रसांगिक है, को आधार बनाकर 111 सेव लाइफ हॉस्पिटल, आदित्यपुर के ऊपर आघात है।

उक्त बातें डॉ. ओ. पी. आनन्द के द्वारा बतायी गयी। उन्होंने बताया कि ऐसे में यह एक हतोत्साहित करने वाली कारवाई है। जाँच का आधार उपलब्ध नहीं होने के कारण अस्पताल प्रबंधन ने काउंसिल के चेयरमेन से इस जाँच प्रक्रिया को निरस्त करने का आग्रह किया तथा उन्होंने जाँच कमिटी के अध्यक्ष से अनुरोध किया कि माननीय स्वास्थ्य मंत्री को सूचित करें कि उनकी इस कारवाई के विरूद्ध में, अस्पताल प्रबंधन तत्काल प्रभाव से कोविड मरीजों का इलाज, नये मरीज का इलाज करने से इंकार करता है, इसकी जानकारी सभी सबंधित पदाधिकारियों को दे देने की बात कही गयी।

अस्पताल प्रबंधन ने जाँच कमिटी का पूर्ण सहयोग किया एवं सभी जरूरी फाईलें उपलब्ध करायी गयी। जाँच कमिटी के द्वारा कोविड 19 के पैकेज रेट सभा की समाप्ति तक नहीं उपलब्ध कराया गया, ऐसे में पैकज रेट की मौखिक शिकायत की जाँच को जानबुझकर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जाँच में बदल दिया गया। सरकार की इस कारवाई में मरीजों को वेंटिलेटर तो दूर ऑक्सिजन तक उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को अस्पताल के जाँच में लगा देना अनुचित प्रतीत होता है।

  1. डा० आनन्द ने दिनांक 17.05.2021 को एक वाद ऑनलाइन दाखिल किया, कारण कि इसे स्थानीय पुलिस ने स्वीकार नहीं किया (प्रति संलग्न है)
  2. सरायकेला-खरसांवा जिला के उपायुक्त ने इस मामले में अपर उपायुक्त की अध्यक्षता में एक 7 सदस्यीय जाँच टीम गठित किया। इस जाँच समिति ने 18 बिन्दुओं पर अस्पताल प्रबंधन से जवाब माँगा। समिति ने अभी तक जाँच प्रतिवेदन नहीं सौंपा है। समिति द्वारा पृच्छित ये 18 बिन्दु निम्नवत हैं:-
  1. शिकायतकर्ता 1. स्वेता साह (मो0-7903846966), 2. ज्योत्सना झा एवं निधि झा (मो0-9681951969) एवं 3. प्रीति कुमारी (मो0-9326311606) के शिकायत की प्रति जाँच के दौरान समिति द्वारा 111 सेव लाइफ हॉस्पिटल, आदित्यपुर के मालिक डॉ. ओ. पी. आनन्द को उपलब्ध करा दी गयी है, जिसका स्पष्टीकरण लिखित रूप से साक्ष्य सहित जाँच समिति को उपलब्ध करायी जाय।
  2. विगत 14 दिनों का आपके अस्पताल में लगे सीसीटीवी का कम्प्लिट फूटेज उपलब्ध करायी जाय।
  3. अस्पताल के ड्यूटी रोस्टर के अनुसार विगत 02 वर्षों का मानव संसाधन (एचआर) की सूची उपलब्ध करायी जाय।
  4. अस्पताल में कार्यरत टेक्नीकल/नान टेक्नीकल कर्मियों की विगत 02 वर्षों का पेरोल उपलब्ध करायी जाय।
  5. अस्पताल में कार्यरत टेक्नीकल/नान टेक्नीकल चिकित्सा पदाधिकारी/कर्मियों एवं आउटसोर्स अथवा ऑनकॉल चिकित्सा पदाधिकारियों की शैक्षणिक/प्रशैक्षणिक योग्यता संबंधी प्रमाण पत्र उपलब्ध करायी जाय।
  6. पिछले 03 वर्षों का आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत ईलाज किये गये अथवा ईलाजरत रोगियों का विस्तृत विवरणी यथा मरीज का नाम, पता, रोग का नाम, अस्पताल में भर्ती की तिथि, उपचार करने वाले चिकित्सक का नाम एवं रजिस्ट्रेशन संख्या, चिकित्सीय जाँच, ईलाज में उपयोग दवाई/उपकरण आदि की विवरणी सहित ईलाज में हुए व्यय राशि की विवरणी उपलब्ध करायी जाय।
  7. पिछले 3 वर्षों का मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के अंतर्गत इलाज किये गये अथवा इलाजरत रोगियों का विस्तृत विवरणी यथा मरीज का नाम, पता, रोग का नाम, अस्पताल में भर्ती की तिथि, उपचार करने वाले चिकित्सक का नाम एवं रजिस्ट्रेशन संख्या, चिकित्सीय जाँच, ईलाज में उपयोग दवाई/उपकरण आदि की विवरणी सहित ईलाज में हुए व्यय राशि की विवरणी उपलब्ध करायी जाय।
  8. पिछले 3 वर्षों का अस्पताल का आय-व्यय का डाटा तथा बैंक अकाउंट डिटेल उपलब्ध करायी जाय।
  9. विगत 2 माह का अस्पताल द्वारा खरीद-बिक्री की गयी दवाई एवं उपकरणों आदि का बिल-भाउचर उपलब्ध करायी जाय।
  10. अस्पताल को ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए आपूर्तिकर्ता के साथ की गयी एमओयू की प्रति उपलब्ध करायी जाय।
  11. विगत 2 वर्षों में अस्पताल द्वारा किये गये शल्य क्रिया (सर्जरी) की संख्या, रोग रोगी एवं चिकित्सक तथा चिकित्सा का विवरणी सहित सूची उपलब्ध करायी जाय।
  12. अग्निशमन विभाग द्वारा फायर सेफ्टी हेतु अस्पताल को प्राप्त अनुज्ञप्ति व अनापत्ति प्रमाण पत्र की छाया प्रति उपलब्ध करायी जाय।
  13. जैव अपशिष्ट पदार्थों (बीएमडब्लू) का निस्तारण हेतु आउटसोर्स एजेन्सी के साथ किये गये एकरारनामा की प्रति उपलब्ध करायी जाय।
  14. पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड, आदित्यपुर से प्रदूषण नियंत्रण के संदर्भ में अस्पताल को प्राप्त प्रमाण पत्र उपलब्ध करायी जाय।
  15. अस्पताल स्थापित भूमि का वैध कागजात, नगर निगम से पारित बिल्डिंग का नक्शा तथा अद्यतन मालगुजारी रसीद (रेंट रिसिप्ट) उपलब्ध करायी जाय।
  16. अस्पताल द्वारा इलाज किये गये एवं इलाजरत कोविड 19 रोगियों की विस्तृत विवरणी तथा किन-किन रोगियों में इंजेक्शन रेमडीसिविर का व्यवहार किया गया है एवं कितनी मात्रा में की गयी है का विवरणी उपलब्ध करायी जाय।
  17. इंजेक्शन रेमडीसिविर अस्पताल के किन-किन स्त्रोतों से उपलबध हुआ है एवं कितनी मात्रा में उपलब्ध हुआ है, अस्पताल को प्राप्ति की तिथि, बैच नं., उत्पादन की तिथि, समाप्ति की तिथि एवं खपत तथा बचत (बैलेंस) की विरणी उपलब्ध करायी जाय।
  18. वैध ड्रग लाइसेंस की छाया प्रति उपलब्ध करायी जाय।

महोदय, उपर्युक्त विवरण स्वतः स्पष्ट हैं. अब सवाल उठता है कि

  1. सिविल सर्जन की जाँच समिति, जिसने क्लिनिकल एस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत जाँच किया था, की रिपोर्ट को क्यों नजरअंदाज कर दिया गया?
  2. उपायुक्त द्वारा गठित दूसरी जाँच समिति का प्रतिवेदन आये बिना डा. आनन्द को जेल क्यों भेज दिया गया?
  3. जिस वाद के आधार पर डा. आनन्द को जेल भेजा गया उसका समुचित अनुसंधान क्यों नहीं हुआ?
  4. अनुसंधान अधिकार बहाल हुए होंगे तो उन्होंने किस भाँति अनुसंधान किया और क्या रिपोर्ट दिया, इस रिपोर्ट के गुण-दोष पर वरीय अधिकारियों ने क्या मीमांसा किया?
  5. डा. आनन्द द्वारा दायर डिजिटल वाद और सिविल सर्जन की जाँच में उनके कथन को अनुसंधान का बिन्दु क्यों नहीं बनाया गया?
  6. उपायुक्त द्वारा गठित जाँच समिति द्वारा निर्धारित जाँच के 18 बिन्दुओं की प्रासंगिकता तथ्य संग्रह के लिये है या परेशान करने के लिये?

महोदय, उपर्युक्त विवरण पर अपना मंतव्य दिये बगैर मैं यह कार्य आपके विवेक पर छोड़ता हूँ। डा. आनन्द ने या उनके अस्पताल प्रबंधन ने गलतियाँ की हैं, तो उन्हें उनका दंड तो मिल गया। जमानत पर छूटकर वे मुकदमा लड़ेंगे और भावी रणनीति तय करेंगे, परंतु यदि उनके विरूद्ध कोई सुनियोजित साजिश हुई है, तो इसके लिये उत्तरदायी व्यक्तियों को भी नहीं बख्शा जाना चाहिये।

सरकार की नुमाइंदगी करने वाले और सरकारी कार्यक्रमों को मूर्त रूप देने वाले ऐसे लोगों की करनी से सरकार की साख पर बट्टा लगता है। इनकी करनी सरकार को महँगी पड़ती है। कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में अस्पतालों और सरकारी नुमाइन्दों के लिये यह एक सबक है।अनुरोध है कि इस बारे में विधिसम्मत कारवाई करेंगे। सधन्यवाद,

सरयू राय