अपनी बात

खबरें प्रभात खबर की, पढ़े दैनिक भास्कर में, सीपी-प्रदीप भिड़े, किया अपशब्दों का प्रयोग

कमाल है, कोई अखबार ये कैसे सोच लेता है कि उसके घर में घटना घटेगी और दूसरों को पता ही नहीं चलेगा। वह यह क्यों सोचता है?  कि इस इंटरनेट युग में समाचारों को कोई पचा लेगा, अच्छा तो ये रहता कि वह इस समाचार को भी उसी प्रकार से प्रमुखता देता और जनता को निर्णय करने का अधिकार देता कि कौन सहीं है और कौन गलत? पर जब अखबार खुद ही न्यायाधीश बन जाये, तो इसमें कौन क्या कर सकता है?

दैनिक भास्कर के पृष्ठ संख्या एक पर दो कॉलम की खबर छपी है, शीर्षक है – मंत्री-कांग्रेसी नेता भिड़े, महिलाओं के सामने किया अपशब्दों का प्रयोग। ये घटना उस वक्त कल घटी, जब प्रभात खबर कार्यालय में यातायात सुधारने पर परिचर्चा चल रही थी। हम आपको बता दे कि यातायात को बिगाड़ने में प्रभात खबर का भी कम योगदान नहीं, पर उसने कल चर्चाएं आयोजित की। चर्चा चल ही रही थी कि कांग्रेसी नेता प्रदीप तुलस्यान ने कुछ ऐसी बात कहीं, जो नगर विकास मंत्री सीपी सिंह को नागवार गुजरा, उन्होंने टोका-टोकी की, फिर क्या था?  दोनों आपस में उलझ पड़े। जमकर अपशब्दों का प्रयोग किया और लोगों के सामने अपना सही चेहरा प्रस्तुत कर दिया। मामला बिगड़ता देख, जैसे-तैसे प्रभात खबर में कार्यरत लोगों ने प्रदीप तुलस्यान को सभागार से बाहर किया, तब जाकर मामला शांत हुआ।

याद करिये कुछ ऐसा ही मामला पिछले दिनों प्रभात खबर के द्वारा आयोजित कार्यक्रम रेडिशन ब्लू में हुआ था, जहां सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज को राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने अपमानित कर डाला था, उन्हें अपनी बात तक नहीं रखने दी और जैसे इस समाचार को प्रभात खबर ने अपने अखबारों में स्थान नहीं दी, ठीक उसी प्रकार कल की इस घटना को भी प्रभात खबर पचा गया। चलिए बधाई दैनिक भास्कर को, क्योंकि उसने अखबार नहीं आंदोलन वाले समाचार पत्र प्रभात खबर के सभागार में हुई घटना को जनता के समक्ष रख दिया।

और अब मंत्री सीपी सिंह और कांग्रेसी नेता प्रदीप तुलस्यान जरा आपलोग भी ध्यान से इसे पढ़िये। कल की ही घटना है, जब आप आपस में गाली-गलौज कर रहे थे, तब उसी समय एक दूसरे के घुर विरोधी यानी राजद प्रमुख लालू यादव तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे की शादी में एक ही जगह बैठे थे। एक-दो पत्रकार, इन दोनों को एक साथ जब बैठे देखे तो अपनी आदत के अनुसार, इन दोनों को खोदने की कोशिश की, पर इन दोनों ने खोदनेवाले पत्रकारों को वो जवाब दिया कि उस पत्रकार ही हवा निकल गई।

कहने का तात्पर्य है कि हम कहां जा रहे हैं? कहां बैठ रहे हैं? और उस जगह क्या जवाब देना चाहिए? आपलोगों को गिरिराज सिंह और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं से सीखने चाहिए, पर आप दोनों ऐसा करेंगे, सीखेंगे, हमें तो नहीं लगता, क्योंकि आप दोनों स्वयं में महान है। हमें आज भी वो दिन याद है। होली का दिन था, लाल कृष्ण आडवाणी अपने किताब के साथ चल पड़े सोनिया गांधी के आवास पर। जैसे ही सोनिया गांधी को पता चला कि लाल कृष्ण आडवाणी उनके आवास पर आ रहे हैं, सोनिया जी ने स्वयं अपने आवास के मुख्य द्वार पर आकर अभिनन्दन और स्वागत किया। ये है राजनीतिक दूरदर्शिता और परिपक्वता।

और अब बात प्रभात खबर से

आप अखबार हैं, आपका काम है, समाचार देना, न कि समाचार छुपाना, छुपाता कौन है?  आप खुद सोचिये, चिन्तन करिये, इस घमंड में मत रहिये कि आप हमेशा एक नंबर पर रहेंगे, जो कह देंगे, झारखण्ड की जनता सुन लेगी। परिस्थितियां बदल रही है, दैनिक भास्कर आपको हर समाचार पर आपको चाटा मार रहा हैं, आप नहीं समझ रहे हैं, अगर यहीं हाल रहा तो आनेवाला समय दैनिक भास्कर का है, क्योंकि जनता के पास कल विकल्प नहीं था, आज विकल्प है, क्योंकि जैसी हरकत आप कर रहे हैं, उससे लोगों की आपके खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसे आप जितना जल्दी समझ लें, उतना अच्छा है।