अपनी बात

झारखण्ड के राजा रघुवर दास को सिर्फ बोलने और आदेश देने आता है, सुनिश्चित करना नहीं आता

26 सितम्बर। रांची का कार्तिक उरांव चौक। सीएम का काफिला प्रोजेक्ट बिल्डिंग जाने के क्रम में यहां रुकता हैं। सीएम सफाईकर्मियों से मिलते है। जरा देखिये, वे खुद क्या कह रहे हैं – “रांची के कार्तिक उरांव चौक पर सफाईकर्मियों से मिला। रांची नगर निगम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को निर्देश दिया कि इनका भुगतान आज शाम तक सुनिश्चित करें। अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि सफाईकर्मियों को प्रत्येक माह पारिश्रमिक का भुगतान हो सके।”

और सच्चाई क्या है? सीएम के इस नये आदेश और राज्य सरकार द्वारा सभी कर्मचारियों को दुर्गा पूजा से पहले वेतन देने का आदेश जारी करने के बावजूद रांची नगर निगम के करीब 450 कर्मचारी वेतन पाने से वंचित रह गये। उन्हें राज्य सरकार ने वेतन उपलब्ध नहीं कराया। वेतन नहीं मिलने से सारे के सारे कर्मचारी आक्रोशित हैं।

उनके परिवारों के सपने बिखर गये। साल का यह बड़ा त्यौहार ऐसे ही चला गया, पर सीएम और उनके मंत्रियों को देखिये, अपने लिए वेतन की बढ़ोत्तरी तक करवा ली, पर सामान्य नौकरीपेशा के लिए, वेतनवृद्धि तो दूर, जो उन्हें समय पर वेतन मिलना चाहिए, उसे भी दिलवाने में वे नाकामयाब रहे।

अब आप बताइये, इसके लिए कौन दोषी है, सिस्टम या झारखण्ड का राजा रघुवर दास। हद हो गई, सीएम और उनके मंत्रियों के लिए दुर्गापूजा का त्यौहार, त्यौहार और आम आदमी के लिए उनकी नजरों में दुर्गा पूजा कोई मायने नहीं रखता, तभी तो रांची नगर निगम से जूड़े 450 घरों में खुशियों की जगह मातम फैला है।