अपनी बात

बिरसा के परिवारों को सम्मान से वंचित रखनेवाले, CM रघुवर को स्थापना दिवस मनाने का अधिकार नहीं

झारखण्ड अपने स्थापना के 18 वें वर्ष में हैं। दुर्भाग्य इस झारखण्ड का है कि इस राज्य में वर्तमान में चल रही रघुवर  सरकार ने स्वयं के द्वारा लिये गये निर्णयों से राज्य की जनता के स्वाभिमान को सर्वाधिक ठेस पहुंचाया, ऐसे-ऐसे निर्णय लिये, जिन निर्णयों को सुन और देख यहां की जनता अपना माथा पकड़ ली। जिस भाजपा के नेता जातिवाद से स्वयं को अलग रखते थे, इस राज्य के मुख्यमंत्री ने ऐसा जातिवाद फैलाया कि इस जातिवाद के मकड़जाल से भाजपा अब कभी नहीं निकल पायेगी, और इसी में फंसकर जो हाल राष्ट्रीय जनता दल तथा अन्य पार्टियों का हुआ, इसका भी होना तय है।

रघुवर दास इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री और पूरे देश में पहले भाजपा नेता बने, जिन्होंने पं. दीन दयाल उपाध्याय की जन्मशती पर, उनके ही विचारधारा का श्राद्ध कर दिया। बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, यहां तक की दिल्ली में जाकर जातीय रैलियों में भाग लिया और भाजपा के पूर्व के शीर्षस्थ नेताओं की आत्मा को ठेस पहुंचाई। रघुवर दास इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, जिनके शासनकाल में कई किसानों ने आत्महत्या कर, अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी।

लोग सामान्य बिमारियों में मृत्यु को प्राप्त हो गये, लोगों को शववाहन तक नहीं मिल सका और एक पिता अपने नन्हे से बच्चे के शव को लेकर, अस्पताल से श्मशान घाट तक पहुंच गया। घटना गुमला की थी। भूख से बिलबिलाते और मरते लोगों की संख्या तो बहुतायत है। हाथी उड़ाने का दंभ भरनेवाला राज्य का मुख्यमंत्री मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर लोगों को बरगलाता रहा पर किसी भी देश के निवेशकों ने यहां आने की रुचि नहीं ली। कहने को तो लोग अब ये भी कहने लगे हैं कि आनेवाले समय के लिए रघुवर दास, दूसरे मधु कोड़ा साबित होंगे।

एक दुष्कर्म की शिकार बेटी को खो दिया पिता, जिसकी बेटी को दुष्कर्मियों ने जिंदा जला दिया था, जब उस पिता ने धुर्वा के एक कार्यक्रम में सीएम रघुवर दास से मिलने की कोशिश की और जिस प्रकार से सीएम रघुवर दास ने उसे बेइज्जत कर बाहर किया, भला इस राज्य की जनता या देश की जनता कभी उस  घटना को भूल सकती है क्या? गढ़वा में एक जाति विशेष के लोगो को अपमानित करना, फिर सदन में विपक्षी दल के नेता के प्रति आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करना, ये सब अभी भी झारखण्ड की जनता के जेहन में  हैं।

नीति आयोग ने तो समय-समय पर यहां की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की हमेशा पोल खोलती रही है। कानून व्यवस्था का तो यहां वो हाल है कि यहां की राज्यपाल को यहां के पुलिस महानिदेशक का क्लास लेना पड़ता है, फिर भी कानून व्यवस्था नाम की चीज यहां दिखाई नहीं पड़ती, जहां वीवीआइपी रहते है, यानी सीएम हाउस, गवर्नर हाउस, नेता प्रतिपक्ष का आवास, वहां भी अपराधी आराम से अपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर निकल जाते हैं।

इनके शासनकाल में तो, यहां के पुलिस अधिकारियों का तो एकमात्र काम रह गया हैं, बेकसूरों को फंसाना और अपराधियों को सम्मान के साथ पेश आना, ऐसे में यहां की जनता क्या करेगी? हाल ही में बकोरिया कांड में झारखण्ड हाई कोर्ट का आया फैसला राज्य के पुलिस के क्रियाकलापों की धज्जियां उड़ा कर रख दिया, जब झारखण्ड हाई कोर्ट ने बकोरिया कांड को सीबीआई के हाथों सौंप दिया।

विकास की बात करनेवाले मुख्यमंत्री रघुवर दास कर क्या रहे हैं, तो वे अपने लिए विधानसभा भवन बनवा रहे हैं, न्यायालय भवन बनवा रहे हैं, पत्रकारों के लिए प्रेस क्लब बनवा रहे हैं, अरे भाई इन भवनों के बनने से आम आदमी को क्या मतलब?  आप ये बताओं की आपने जो वायदा किया था उन वायदों का क्या हुआ?  कहां हैं –मेट्रो रेल, मोनो रेल। कहां हैं राजधानी में बननेवाला वो पांच फ्लाई ओवर , जिसका आपने वायदा किया था। क्या हुआ हरमु नदी का, वो नाली कैसे बन गई, किसने नाली बनवाया?

रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाय पर बचन न जाई कहनेवाली सरकार, सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर क्लियर स्टैंड क्यों नहीं रखती। कहां गया कृषि सिंगल विंडो सिस्टम? आखिर स्कूलों को क्यों सदा के लिए बंद किया जा रहा हैं? शराब को अपने हाथों में लेकर बेचने का काम करनेवाली सरकार बताये कि आज पारा शिक्षक आपसे नाखुश क्यों हैं? रसोइया संघ के लोग सड़कों पर प्रदर्शन क्यो कर रहे हैं?

पूरे राज्य में बिजली के लिए हाहाकार क्यों हैं? डिजिटल झारखण्ड बनानेवाली सरकार, डिजिटल के मुद्दे पर पिछड़ क्यों रही हैं? राज्य सरकार द्वारा बहुप्रचारित-बहुप्रतीक्षित खाद्य आपूर्ति विभाग में अनाज के बदले शुरु की गई डीबीटी योजना पूरी तरह फेल क्यों हो गई, सरकार को अपना फैसला वापस क्यों लेना पड़ गया? कहां है तकनीकी विश्वविदयालय, कहां है खेल विश्वविद्यालय?

कहां गया आपका आदर्श गांव? भगवान बिरसा मुंडा की बड़ी-बड़ी प्रतिमा बनानेवाली यह सरकार बताये कि भगवान बिरसा मुंडा की परपोती गांव में पकोड़ियां क्यों बेच रही हैं, आखिर बिरसा मुंडा की परिवार से आनेवाली असरीता जब जिंदगी और मौत से जूझते हुए अपने प्राण त्याग दी, तब कौन से लोग उसे देखने के लिए अस्पताल गये? मुख्यमंत्री पारदर्शिता की बात करते हैं, ईमानदारी की बात करते है, भ्रष्टाचार मुक्त झारखण्ड की बता करते हैं, तो सीएम रघुवर ही बताएं कि देवघर में अफसरों की बीवियों ने बड़ी ही बुद्धिमानी से करोड़ों की जमीन, घर बैठे-बैठे  कैसे अपने नाम करवा ली?