बकोरिया कांड में शामिल दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने में लगे हैं सीएम रघुवर – भाकपा माले

भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने झारखण्ड उच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आज रांची में कहा कि 8 जून 2015 को झारखण्ड पुलिस के आला अधिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से उग्रवादी अपराधिक संगठन जेजेएमपी के साथ मिलकर कई मासूम बच्चों सहित बकोरिया के 12 निर्दोषों को रात में घर से बुलाकर ठंडे दिमाग से हत्या कर दिया था।

जनार्दन प्रसाद का कहना था कि दरअसल ये कोई मुठभेड़ ही नहीं था, माओवादियों को उखाड़ फेकने के नाम पर यह पुलिस-जेजेएमपी गठजोड़ द्वारा ठंडे दिमाग से किया गया जनसंहार था, जिस नरसंहार में कई मासूम बच्चे भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि इस घटना के घटित होने के बाद भाकपा माले तथा एआईपीएफ द्वारा घटना की जांच की गई थी, भाकपा माले द्वारा इस घटना को सार्वजनिक किये जाने के बाद भी पुलिस के आलाधिकारियों ने, न सिर्फ सीआईडी जांच के जरिये प्रभावित किया, बल्कि हर संभव प्रशासनिक तरीके अपनाकर, इस घटना को दबाने की कोशिश की।

आज मृतक परिवारों के अथक संघर्ष का परिणाम है कि मामला सही रुप में उजागर हुआ है, तब जाकर भ्रष्टाचार के घाव से मवाद निकल रहे हैं, सीबीआई को घटना की जांच का जिम्मा देने के बजाय, भाकपा माले की मांग है कि उच्च न्यायालय के किसी सिटिंग जज की देखरेख में इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाये, चूंकि उस दौर के एडीजी एम वी राव के जांच को जिस तरह रोका गया, प्रभावित किया गया, तथा इस मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों का, जांच को प्रभावित करने के लिए तबादला किया गया, यह बताता है कि मुख्यमंत्री की भूमिका हत्यारों को बचाने का ही दिखता है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस नरसंहार में शामिल दोषी पुलिस अधिकारियों पर धारा 302 का मुकदमा चलाया जाय, ताकि इस नरसंहार के प्रभावित परिवारों को सही में न्याय मिल सके, ऐसे भी सीआईडी की जांच ने, राज्य सरकार व राज्य के पुलिस अधिकारियों की कारगुजारियों को जनता के सामने लाकर रख दिया है कि यहां सरकार और उसकी पुलिस किस प्रकार आम जनता को अपनी गोली का शिकार बना रही है।