गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की चुनौती को CM हेमन्त ने किया स्वीकार, बुरी तरह फंस चुके है निशिकांत

इस बार गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे बुरी तरह फंस चुके हैं, शायद यही कारण है कि वे सोशल साइट पर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और उनके नेताओं के खिलाफ अनाप-शनाप बक रहे हैं, उनका अनाप-शनाप बकना ही यह बता देता है कि वे खुद ब खुद मुश्किलों में फंसते जा रहे है। दरअसल झामुमो ने सोशल साइट के माध्यम से सवाल रखा था कि आखिर निशिकांत दूबे मात्र दस साल में ही कैसे मैट्रिक पास कर गये।

यही नहीं जब दिल्ली विश्वविद्यालय का फैकल्टी ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज डंके की चोट पर कह रहा है कि 1993 के बैच में निशिकांत दूबे नामक व्यक्ति न तो यहां छात्र था और न ही पास आउट हुआ, तो फिर वे निशिकांत कैसे झामुमो को झूठा साबित करने में लगे हैं। आज तो सीएम हेमन्त सोरेन ने ही गजब ढा दिया और निशिकांत दूबे को कोट करते हुए फेसबुक पर लिख दिया

“माननीय सांसद निशिकांत जी ने मुझ पर कुछ आरोप लगाये हैं। माननीय सांसद जी, इसका जवाब आपको अगले 48  घंटे में कानूनी रुप से दिया जायेगा। देश और राज्यवासियों को अपने आचरण के अनुरुप गुमराह करना बंद करें। वैसे अपने को विद्वान कहनेवाले सांसद महोदय की डिग्री पर इतने सवाल क्यू है?”

इधर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एक प्रपत्र भी जारी किया है, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज की डीन सुनिता सिंह सेनगुप्ता ने, झारखण्ड के राजेश कुमार, इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस, सीआइडी को पत्र लिखा है। जिसमें वही बात लिखी है, जो झामुमो के नेता कहते आ रहे है, कि 1993 में निशिकांत दूबे नाम से किसी शख्स ने न तो फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में नामांकन कराया और न ही पास आउट हुआ। यह पत्र 28 जुलाई को लिखा गया है। अब सवाल उठता है कि जब निशिकांत दूबे वहां के स्टूडेंट ही नहीं थे, तो फिर वहां से उनको डिग्री कैसे हासिल हो गई?