अपनी बात

चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की आवश्यकता

लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के बाद देश में तीसरी बार कोई प्रधानमंत्री बना है, जिसका नाम है – नरेन्द्र मोदी। जिसने देश की सेना का मनोबल बढ़ाया और उस सेना ने भारत चीन और भूटान की सीमा डोका –ला में चीन द्वारा कराये जा रहे सड़क निर्माण का विरोध ही नहीं किया, बल्कि एक महीने से उस पर रोक लगा रखी है, बेशक सीमा पर तनाव है, तो इस तनाव का जिम्मेदार चीन है और उसकी विस्तारवादी नीतियां। तिब्बत को हड़पने के बाद, उसका ध्यान भूटान और भारत के उस इलाके पर है, जहां वह चाहता है कि उसके झंडे लहराये। वह समझता है कि 1962 की तरह, इस बार भी वह जंग जीत जायेगा, जबकि इस बार की स्थिति उसके ठीक उलट है।

चीन और पाकिस्तान विश्वासयोग्य नहीं

हमें यह मान लेना चाहिए कि हमारे देश के आस-पास दो ऐसे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान है, जिस पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता। चूंकि दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता है, इस नीति को अपनाकर चीन ने पाकिस्तान की हर गैर-जिम्मेदाराना हरकतों और वहां चल रहे भारत-विरोधी ताकतों को खुलकर मदद की, पर धन्य है भारतीय जो सब कुछ जानते हुए भी चीन के सामानों को इस प्रकार से खरीदते और उसकी आर्थिक और सैन्य शक्ति को मजबूत करते है, जिसे देखकर चीन भी आश्चर्य करता है, कि यह कैसा देश है? जिसकी जमीन पर कब्जा करने के लिए हम अपने नागरिकों से आनलाइन मंतव्य मांगते है, नीतियां बनाते है कि कब और कैसे भारत के एक बहुत बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लें? फिर भी यहां के लोग चीन के घटिया स्तर के सामानों का नियमित प्रयोग करते है। ये सत्य भी है।

चीन के सामानों का बहिष्कार करें भारतीय

पूरा भारत चीन के सामानों से पटा हुआ है, यहां तो लोग दिवाली में पूजा के लिए गणेश और लक्ष्मी तक की प्रतिमा चीन से मंगा रहे है और उसका आर्थिक संवर्धन कर रहे है, इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है? और उसी से ताकत इकट्ठा कर चीन हमारे ही जमीन पर कब्जा करने के लिए वह सारी हरकतें कर रहा है, जिसे हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते। जरा देखिये, चीन की गुंडागर्दी, उसने उधर चीन सीमा पर भारतीय सेना द्वारा सड़क निर्माण रोक देने पर, हमारे मानसरोवर यात्रा पर निकले तीर्थयात्रियों को नाथुला के पास ही रोक दिया और आगे जाने नहीं दिया, इधर दूसरी ओर भारत के कई राज्यों की सरकारें चीन के प्रतिनिधिमंडल से निवेश संबंधी वार्ताएं कर रही थी। उसका सुंदर उदाहरण झारखण्ड है, जहां मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रोजेक्ट बिल्डिंग में चीनी प्रतिनिधिमंडल से निवेश को लेकर 3 जुलाई को खुलकर वार्ताएं की।

चीन के ग्लोबल टाइम्स की भाषा दोयम दर्जे की

उधर चीन की सरकारी एजेंसी ग्लोबल टाइम्स खुलकर गुंडागर्दी की बात करता है, वह बराबर भारत को धमकी देता है, ऐसा कोई दिन नहीं हो, जिस दिन उसने भारत के खिलाफ विषवमन न किया हो, जबकि भारत की सरकारी एजेंसियों ने कोई ऐसी बात नहीं की, जिससे ये पता चलता हो कि भारत ने किसी के साथ भी गलत व्यवहार किया हो। कुछ भारतीय पत्रकार भी है, जो चीन में जाकर अपनी गतिविधियों को चला रहे है, तथा चीन से लाभ लेकर भारत के खिलाफ विषवमन करनेवाला आलेख या वक्तव्य जारी करते है।

सचमुच हम 1962 वाले भारत नहीं

रक्षा मंत्री अरुण जेटली का यह बयान सही है कि चीन को समझ लेना चाहिए कि भारत 1962 वाला भारत नहीं है, दूसरी ओर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शुआंग का यह बयान कि चीन भी 1962 वाला नहीं है, स्पष्ट कर रहा है कि चीन को अपनी सैन्य ताकत का घमंड हो चला है, वो समझ रखा है कि अपनी सैन्य ताकत से जैसे पाकिस्तान जैसे देश को अपनी मुट्ठी में रखता है, उसी प्रकार भारत को भी रख लेगा, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान हर प्रकार से एक फेल स्टेट है, जो अपने जन्म से ही वैशाखी पर चलने के सिवा कुछ किया ही नहीं और इससे ज्यादा की उसकी सोच भी नहीं। पाकिस्तान की मजबूरी है चीन से दोस्ती, हमारी मजबूरी नहीं। हम तो कहेंगे कि जिस दिन भारत का एक-एक बच्चा चीन की सामानों की जगह भारतीय सामानों से प्यार करने लगेगा, उसका उपभोग करने लगेगा, चीन धूल चाटने लगेगा। चीन को आर्थिक और सैन्य शक्ति के रुप में हमने उभारा है, उसकी हर प्रकार से मदद कर और आज वहीं चीन हमें ही आंख दिखा रहा है, क्या आप उसके इस आंख तरेरने से डर जायेंगे या मुकाबला करेंगे? भारतीय सेना सीमा पर अपना जौहर दिखा रही है, थोड़ा भारत के अंदर रह रहे 125 करोड़ भारतवासी भी जौहर दिखाये, चीन के सामान का बहिष्कार करें, उसकी होली जलाये, चीनियों का प्रतिकार करें, भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाये, अपने बच्चों को देश से प्यार करना सिखायें, फिर देखिये चीन की हेकड़ी न निकल जाये तो फिर कहना। हम भूटान की भी इस बात पर तारीफ करेंगे, जिसने चीन को बताया है कि वह जो कर रहा है, वो गलत है। कुल मिलाकर देखा जाये डोका-ला मुद्दे पर चीन की हर प्रकार से हार सुनिश्चित है। अंततः चीन को मान लेना चाहिए कि हिंदी-चीनी भाई-भाई का जमाना गया, हम जानते है कि तुम पाकिस्तान के परम मित्र हो, तुम कभी हमारे नहीं हो सकते, तुम एक नंबर के शत्रु हो और अब हम तुम्हारे किसी भी बातों में आनेवाले नहीं।