अपनी बात

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जरा दिमाग पर जोर डालिये और सोचिए, अगर राहुल कोई IPS या भाजपा नेता होता तो क्या फैसला आता?

जनता बहुत भोली होती है, और झारखण्ड के पुलिसवाले उससे भी ज्यादा भोले होते हैं, जरा देखिये न कल अदालत ने इंजीनियरिंग छात्रा से दुष्कर्म व हत्या के एक मामले में दोषी राहुल को फांसी की सजा क्या सुना दी? सभी खुश है, पर ये भूल गये कि इसके ठीक एक दिन पहले निचली अदालत ने सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी भाजपा नेता शशिभूषण मेहता को और इस कांड में संलग्न छः लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया, वह भी साक्ष्य के अभाव में।

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अखबारों-चैनलों पर बिना एक पैसे खर्च किये हेमन्त ने महागठबंधन को झारखण्ड में दिलाई अपार सफलता

झारखण्ड में विधानसभा के पांचों चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और इस पांचों चरणों के चुनाव संपन्न हो जाने के बाद जो परिणाम आ रहे हैं, वे बता रहे है कि इस बार हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड में महागठबंधन की सरकार बनना तय हैं और रघुवर दास के कुशासन का अंत होना सुनिश्चित है। कमाल है, जिस प्रकार से राज्य की भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले तक…

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रघुवर सरकार का बंटाधार, परिवर्तन की बही बयार, झारखण्ड में ले लो भैया, अबकी बार “हेमन्त सरकार”

झारखण्ड विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान आज संपन्न हो गया। संथाल की सभी 16 सीटों पर मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गये हैं। संथाल की सभी सीटों पर जनता का रुख परिवर्तन का रहा। हर मतदान केन्द्र पर कमल मुरझाता दिखा और तीर धनुष, हाथ और लालटेन इतराता नजर आया। शायद उसे आभास हो गया है कि 23 दिसम्बर के बाद का दिन महागठबंधन का है, और ऐसे में अब उसी की चलनेवाली है।

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संभावित भारी पराजय से घबराए CM ने एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष को दी गाली, हेमन्त ने SC/ST एक्ट के तहत रघुवर के खिलाफ FIR कराई दर्ज

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास महान हैं, वे ऐसे ही हाथी नहीं उड़ा देते हैं, उन्हें हाथी उड़ाने में महारत हासिल हैं, वे कुछ भी कर सकते हैं, वे किसी भी जाति-समुदाय को गालियां दे सकते हैं, वे गालियां सदन में भी दे सकते हैं और गली-मुहल्लों, चुनावी सभाओं में भी दे सकते हैं। शायद उन्हें इसका विशेषाधिकार हैं। इधर राज्य के अखबारों व चैनलों को भी सीएम रघुवर द्वारा विपक्ष के खिलाफ किये जा रहे आपत्तिजनक शब्दों के…

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अंत-अंत तक भाजपा भक्ति में लीन “प्रभात खबर” ने हेमन्त को नीचा दिखाने, महागठबंधन को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

भाजपा भक्तम्, मोदी प्रियम्, रघुवरसमक्षनतमस्तकम्, भाजपाकार्यकर्तायाः आनन्दवर्द्धनम्, भाजपाभजनगायकम् आदि पर्यायवाची शब्दों से विभूषित रांची से प्रकाशित अखबार “प्रभात खबर” ने चुनाव प्रचार के अंत-अंत तक अपने व्यवहारों से सिद्ध कर दिया कि उसकी भाजपा भक्ति का कोई विकल्प झारखण्ड में नहीं हैं।

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PM मोदी ने दुमका और बरहेट में चुनावी सभा कर इस बात की स्वयं पोल खोलकर रख दी कि भाजपा हेमन्त से फिलहाल कितनी डरी हुई है

ऐसे तो लोकतंत्र में कोई भी कही भी जाकर चुनाव प्रचार कर सकता है और अपनी पार्टी के पक्ष में जनता से वोट की अपील कर सकता है, पर राजनीति में भी एक मर्यादा होती है, और लोग आम तौर पर उस मर्यादा को निभाते भी है। पूरा झारखण्ड ही नहीं, बल्कि जो झारखण्ड की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं, उन्हें भी पता है कि सत्ता के प्रबल दावेदार एवं भावी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन दो सीटों दुमका और बरहेट से चुनाव लड़ रहे है,

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जिन मीडिया हाउस को कल CM ‘रघुवर’ में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में ‘हेमन्त’ आने लगे

कमाल की बात है, ये मीडिया हाउस में बैठे लोग भी न, जनता व नेताओं को कितना बेवकूफ समझते हैं, जरा देखिये न कल तक जिन मीडिया हाउसों को सीएम रघुवर में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में हेमन्त सोरेन आने लगे हैं। जो कल तक मुख्यमंत्री रघुवर दास के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल के साथ सेल्फी लेकर स्वयं को धन्य महसूस करते थे, फेसबुक में डाला करते थे,

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इधर मतदान के चरण बढ़े, उधर हेमन्त सोरेन जनता के बीच सर्वग्राह्य हुए, झामुमो का मान भी बढ़ाया

पूत कपूत तो का धन संचै, पूत सपूत तो का धन संचै। इस लोकोक्ति को वर्तमान नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने आखिरकार सार्थक कर दिया। हेमन्त सोरेन ने अपने विरोधियों को बता दिया कि वो सपूत हैं और अपने पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन द्वारा पोषित एवं सिंचिंत पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को कैसे आगे बढ़ाना हैं, कैसे उसे शिखर पर लाना है, अच्छी तरह जानते हैं।

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भाजपाइयों से आग्रह, अपनी क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए बच्चों के भविष्य से मत खेले, उन्हें अपना शिकार न बनाएं

इन दिनों देखने को मिल रहा है, कि बड़ी संख्या में भाजपा वाले बच्चों को पार्टी का झंडा हाथ में थमा दे रहे हैं। यहीं नहीं बच्चों के माथे पर पार्टी की टोपी तो गले में पार्टी का पट्टा भी डालने से परहेज नहीं कर रहे, चूंकि बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें सही-गलत का अंदाजा होता नहीं, वे किसी की भी बातों तथा इन रंग-बिरंगे झंडों व पट्टों में जल्द उलझ जाते हैं और फिर इनका भावनात्मक शोषण इन दलों द्वारा शुरु हो जाता है।

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चौथे चरण में भी महागठबंधन का पलड़ा भारी, कम मतदान से भाजपा को लग सकता है झटका

पहले, दूसरे, तीसरे और अब चौथे चरण के मतदान ने साबित कर दिया कि जनता परिवर्तन की राह पर चल पड़ी है। स्थिति ऐसी है कि लोग वर्तमान सरकार से इतने नाराज है कि मतदान केन्द्र तक जाना जरुरी नहीं समझ रहे और घरों में सिमटे रहे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। जिस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया था, इस बार दूरियां बना ली।

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