अपनी बात

नागरिकता संशोधन कानून पर भारत की स्थिति बिल्कुल घर फूटे गंवार लूटे जैसी, ज्यादातर भारतीय CAA के पक्ष में

एक लोकोक्ति है – घर फूटे गंवार लूटे। आज नागरिकता संशोधन कानून पर कुछ लोग बवाल मचाये हुए हैं, हालांकि उससे किसी को खतरा नहीं है, बल्कि लाभ उन्हें मिलने जा रहा है, जो पाकिस्तान, बांगलादेश, अफगानिस्तान आदि देशों में धर्म के नाम पर सताये जा रहे हैं, जिनकी बहू-बेटियों को शादी के मंडप तक से उठा लिया जाता हैं, और वे चूं तक नहीं कर पाते, वहां की पुलिस छोड़िये, कानून तक कोई उनकी मदद नहीं कर पाती।

ईश निन्दा के नाम पर तो इन देशों में इनके साथ कैसा अमानवीय अत्याचार होता है, वो पूरा विश्व देखता है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इन्हीं सभी बातों को देख नागरिकता संशोधन कानून लाई ताकि इन देशों में सताये जा रहे हिन्दू,बौद्ध, जैनी, सिक्ख, इसाई आदि आराम से भारत आकर सम्मानपूर्वक जी सकें और इसको लेकर अब कानून भी बन चुका है, जिसका विरोध सत्ता से बाहर हुई विपक्ष और एक समुदाय जो हमेशा से ही भाजपा के खिलाफ रहा हैं, सड़कों पर उतरा हुआ है।

इन सड़कों पर उतरे हुए लोगों को हवा दे रहे हैं, वे लोग जिन्हें सुबह-शाम, उठते-बैठते, मोदी और शाह के सपने आते हैं, जिन्हें मुस्लिमों के मरने पर मॉब लिंचिंग नजर आती है, पर लोहरदगा में जब नीरज को लोहे के रॉड से मारकर लहुलूहान कर दिया जाता हैं, तो उन्हें यह मॉब लिंचिग नजर नहीं आती, जब लोहरदगा में एक समुदाय के लोग सुनियोजित तरीके से सीएए के समर्थन में निकाली गई रैली के खिलाफ जमकर गुंडागर्दी करते हैं तब उन्हें यह मॉब लिंचिंग नजर नहीं आती।

आजकल ये विभिन्न शहरों में भारतीय संविधान और गांधी के आदर्शों की दुहाई दे रहे हैं, तिरंगे फहरा रहे हैं, पर वंदे मातरम् बोलने पर धर्म खतरे में नजर आने लगता है, हांलाकि इनके आंदोलन में कौन लोग शामिल हो रहे हैं, यह देश की जनता जान रही हैं। इनका आंदोलन भी एक खास जगह पर होता है, जहां इनके लोग बड़ी संख्या में मौजूद हो, साथ ही इनकी सभा में कौन लोग जाते हैं, जो या तो कांग्रेसी है या वामपंथी, जिन्हें मोदी-शाह व भाजपा के नाम पर ही चिढ़ होती हैं, और जब ऐसी चिढ़ होगी तो वहां से क्या निकलेगा? सबको समझ में आनी चाहिए।

इधर कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की एक जनसभा में ठीक ही कहा कि ये सीएए के नाम पर जो विरोध हो रहा हैं, वह दरअसल एक प्रयोग है। सचमुच यह प्रयोग ही तो है, इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजाइन है, जो राष्ट्र को खंडित करने वाला है, अब तो भारत के विरोध के लिए हद से गुजर जानेवाले देशों का भी इन्हें समर्थन मिल रहा है।

जरा देखिये पाकिस्तान और मलेशिया जैसे देशों की जिनकी औकात भारत जैसे देश के सामने खड़े होने की नहीं हैं, वह नागरिकता संशोधन कानून पर हमारे देश को आंखें दिखा रहा हैं। पाकिस्तान का एक मंत्री हैं फवाद, अब ये फवाद है या मवाद, मैं नहीं जानता, वह दिल्ली के लोगों को कह रहा है कि भाजपा को हराइये, अब दिल्लीवालों को सोचना है कि पाकिस्तान के मंत्री फवाद या मवाद की बात सुननी है या देश देखना है।

इधर सुनने में आया कि 751 सदस्यीय यूरोपीय संघ संसद में 626 सदस्यों ने ड्राफ्ट प्रस्तावों के जरिये नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के साथ ही कश्मीर के मुद्दे पर भी निन्दा कर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की। आखिर इन देशों को भारत के खिलाफ आग उगलने का मौका किसने दिया? जाहिर है भारत में रहनेवाले वैसे लोग जो भारत को टूकड़े-टूकड़े में देखना चाहते हैं, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि जयचंदो का जमाना चला गया, अब हर घर में पृथ्वी राज चौहान बैठा है।

उन्हें नहीं पता कि जो वे सीएए के नाम पर नौटंकी कर रहे हैं, उस नौटंकी का फायदा आनेवाले समय में भाजपा को मिलने जा रहा है, यह ब्रह्मवाक्य है। आप देखते रह जाइयेगा, 2024 में फिर से भाजपा भारत में झंडा लहरायेगा। अगर नौटंकी करनेवालों को लगता है कि भारत में एक ही एनडीटीवी और रवीश कुमार ही देशभक्त चैनल हैं और बाकी देशद्रोही तो भूल जाये, रवीश से ज्यादा देशभक्तों की फौज सीएए के पक्ष में मैदान में डटी हुई है।

कमाल है, आप सीएए के विरोध में महीनों सड़क जाम कर बैठ जाइये तो ठीक और दुसरा एक दिन भी सीएए के समर्थन में निकल जाये तो आप उसके सर फोड़िये, उसे सबक सिखाइये, ये नहीं चलेगा, शांतिपूर्वक आंदोलन करिये और दूसरे को भी करने दीजिये, अफवाहे न सुनिये,न फैलाइये। अगर गोपाल गलत हैं, तो शरजील इमाम को भी बोलिये कि वह गलत हैं, अगर तबरेज की मौत पर जब आंसू बहाते हैं तो नीरज की मौत पर भी आंसू बहाइये।

जिन्होंने लोहरदगा में दंगे फैलाये, उनके खिलाफ भी आवाज बुलंद कीजिये, नहीं तो आपके आंदोलन का नाम तो पीएम मोदी ने प्रयोग रख ही दिया, करते रहिये प्रयोग, और भी लोग प्रयोग करेंगे, जनता निर्णय करेगी, कि क्या गलत और क्या सही है? फिलहाल आपके सीएए के विरोध और नफरत की आंधी ने, भारत विरोधी देशों को बोलने का जो मौका दिया है, उससे कोई भी भारतीय खुश नहीं होगा, और होगा भी कैसे, क्योंकि आपने सीएए के मुद्दे पर न तो पाकिस्तान, न ही मलेशिया और न ही यूरोपीयन संघ को गलत कहा।