अपनी बात

पंच अखबार, भानु सप्तमी और विनय वर्मा का यह अद्भुत फैसला

आज सुबह-सुबह हमारे परम मित्र विनय वर्मा जी का व्हाटसएप्प मैसेज आया। व्हाटसएप्प मैसेज में रांची से एक नये हिन्दी अखबार पंच के उदय की खबर थी। मुझे आश्चर्य हुआ कि आज माघ शुक्ल सप्तमी यानी भानु सप्तमी यानी भारतीय ऋषियों-महर्षियों के कथनानुसार भगवान भास्कर के प्राकट्योत्सव के दिन, रांची से नये अखबार का अचानक उदय, आखिर क्या संकेत दे रहा है?

जब मैंने विनय वर्मा जी को फोन लगाया और पूछा कि आज अचानक नये अखबार का सूत्रपात रांची से आपने कर दिया। आखिर आज का दिन ही आपने क्यों चुना? क्या आपको पता है कि आज के दिन का क्या महत्व है? उन्होंने बड़ी ही सहजता से कह दिया कि आज के दिन की विशिष्टता के बारे में उन्हें पता नहीं हैं, तब मैंने उन्हें बताया कि आज भानु सप्तमी है, आज अचला सप्तमी है, आज रथसप्तमी है, भगवान भास्कर के प्राकट्योत्सव का दिन है।

आज भारत में एक दिव्य ब्राह्मण होते हैं, जिन्हें शाकद्वीपीय कहा जाता हैं, उनके लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण होता हैं, वे आज के दिन को बड़ी ही भव्यता से मनाते हैं, साथ ही जो सूर्यवंशीय हैं, उनके लिए भी आज का दिन काफी महत्व रखता है। भगवान राम चूंकि सूर्यवंशीय थे, इसलिए उनके लिए भी ये दिन काफी  महत्वपूर्ण रखता था। बताया जाता है कि प्राचीन काल में भारतीय मनीषी आज के दिन को बड़ी ही भव्य तरीके से मनाते थे।

आज भी झारखण्ड ही नहीं, बल्कि बहुत सारे राज्यों में अचला सप्तमी मनाई जा रही है, और जहां भी ये उत्सव मनाया जा रहा है, वहां भगवान भास्कर का पूजार्चन, आदित्य हृदय का सामूहिक पाठ, भगवान भास्कर के नाम पर हवनादि, आरती-सामूहिक पुष्पांजलि एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम धूम धाम से संपन्न हो रहा है। इसी बीच आज के दिन एक नये अखबार का रांची से प्रसारित करने का संकल्प बताता है कि विनय वर्मा के उपर ईश्वरीय कृपा है, क्योंकि ईश्वर कब किससे कब और क्या करा लें, कोई नहीं जानता।

आम तौर पर हमने देखा है कि जब व्यक्ति के पास किसी प्रकार का कोई कष्ट अचानक आता हैं तो वह घबरा जाता है। वह रोने लगता है। वह आसन्न संकट को देख शोक करने लगता है कि आखिर ये क्यों हो रहा हैं? उसने क्या गलती की?  कि उसे ये दुख उठाना पड़ रहा हैं, वह यह नहीं समझ पाता कि जो दुख आया है, वह एक तरह से अपने अंतः में सुख का सुंदर बीज छुपाकर, उस दुख उठा रहे व्यक्ति में एक नये सुख के पौधे का अंकुरण करने का अपने साथ सामग्री भी लाया है।

इस महत्वपूर्ण वाक्यांश को आप इस तरह समझ सकते हैं, कि अगर मंथरा, कैकई के कान नहीं भरती, और कैकई दशरथ से राम को वन गमन और भरत को राजगद्दी की मांग नहीं करती तो क्या भगवान राम को अपना पुरुषार्थ दिखाने को मौका मिलता? रावण मारा जाता? इधर भरत को भाइयों में श्रेष्ठ होने का मौका मिलता? नहीं मिलता, इसलिए प्रकृति या ईश्वर आपके साथ जो भी करता है, उस कर्म की गति को समझिये, जब आप इसे समझ लेंगे तो फिर आप आसन्न कष्ट के मर्म को जान लेंगे और फिर शुरुआत होगी नई ऊर्जा की, नई शक्ति की और फिर उदय होगा एक नया अखबार।

कुछ दिन पूर्व, जब हमारी मुलाकात सूचना भवन में विनय वर्मा से हुई थी, तो वे दुखी थे, पर मैंने उस दिन भी कहा था कि आप को क्या हैं? जब आप राष्ट्रीय सागर को उठाकर एक अच्छा मुकाम दिला सकते हैं तो आपको दुसरे अखबार को उठाकर फिर से नये मुकाम दिलाने में क्या मुश्किल हो सकती है?

ईश्वर के मर्म व संदेश को समझिये और लीजिये, आज का व्हाट्सएप्प मैसेज ने हमें बता दिया कि विनय वर्मा, एक स्पेशल व्यक्ति हैं, जो पत्थर पर भी धान उगा सकते हैं। भानु सप्तमी के दिन उनका लिया गया यह फैसला और आज रांची में दिखा ये अखबार अवश्य रंग लायेगा और लोगों को बतायेगा कि बस संकल्प और इच्छा शक्ति की जरुरत हैं, फिर आप वो कर सकते हैं कि आप कल्पना नहीं कर सकते।

ऐसे भी विनय वर्मा के बारे में क्या लिखूं, पूर्व में भी उनकी एक थॉट ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में धमाल मचा दिया था, जो मेरे से संबंधित थी, किसी ने उन्हें कहा कि कृष्ण बिहारी मिश्र का आर्टिकल को अपने अखबार में स्थान देते हैं, विज्ञापन नहीं मिलेगा, उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। सचमुच इतनी जीवटता के लिए एक बधाई तो देना ही पड़ेगा, विनय वर्मा जी को। लगे रहिये विनय जी, आप ने बहुत लोगों को प्रेरणा दी है। बहुत-बहुत बधाई।