रघुवर जबहिं “संजय कुमार” त्यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा।।
श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड में एक बहुत ही सुंदर चौपाई है, जो बताता है कि अहंकारी रावण का अंत कब सुनिश्चित हुआ? चौपाई है – रावन जबहिं बिभीषण त्यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा।। अर्थात् रावण ने जिस दिन बिभीषण (धर्म) का त्याग किया, उसी दिन वह भाग्यहीन हो गया और यह भी सुनिश्चित हो गया कि रावण का अंत सुनिश्चित है।
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