हेमन्त जी, आपने 14 अप्रैल तक सब कुछ बंद करा दिया, पर जिन पर कोरोनामुक्त करने की जिम्मेदारी हैं, उन सफाईकर्मियों के लिए क्या किया?

भाई हेमन्त सोरेन ने कोरोना वायरस को लेकर बहुत अच्छे निर्णय लिये हैं। 14 अप्रैल तक सिनेमाघर, स्वीमिंग पूल, म्यूजियम, चिड़ियाघर, छात्रावास, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय, कोचिंग सेंटर, मॉल आदि सब बंद करा दिये। यहां तक की कोरोना वायरस के संदिग्ध बच्चों के लिए आइसोलेशन से अलग वार्ड बनाने पर भी जोर दे दिया।

हालांकि हेमन्त सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय का श्रेय लेने की होड़ भी चल पड़ी। भाजपा नेता बाबू लाल मरांडी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका श्रेय लेने का दावा भी कर दिया, पर एक सवाल हमारा विधानसभा में बैठे सत्तापक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए संघर्ष कर रहे भाजपाइयों से हैं कि जिस कोरोना वायरस की डर से आपने अपने लिए और संभ्रांत लोगों के लिए इतनी अच्छी व्यवस्था कर दी, चिंताएं जता दी, और जो कोरोना वायरस मुक्त वातावरण बनाने के लिए अपनी एड़ी-चोटी एक किये हैं, पसीने बहा रहे हैं, उनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए आप सभी ने क्या किया?

जरा देखिये, इस तस्वीर को जो हमने नीचे दी है, ये तस्वीर है, धनबाद की। इस तस्वीर को भेजा है, अनिल बांसफोड़ ने, जो सफाईकर्मी परिवार से आते हैं। उन्होंने हमसे सवाल किये हैं, उन्होंने पूछा है कि भैया आप बताइये, कि जिनके लिए उनके लोग यानी सफाईकर्मी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, सफाई अभियान में लगे हैं, आप सरकार से पूछिये कि उनके लिए मास्क का प्रबंध क्यों नहीं?

उनके लिए कचरे उठाने के लिए हाथों में क्लब्स क्यों नहीं? गंदगी से बचने के लिए उनके पैरों में जूते क्यों नहीं? कूड़े-कचरों पर जिंदगी बिता देनेवाले इन सफाईकर्मियों को अगर कोरोना वायरस जकड़ लेगा तो फिर जिनके लिए 17 मार्च से 14 अप्रैल तक जो विलासिता व आरामदायक संस्थाओं को बंद कर दिया गया, उनका क्या होगा?

समाजसेवी महेन्द्र प्रताप तो साफ कहते है कि अत्यंत दुखद स्थिति है, जो व्यक्ति पूरे शहर की सफाई करता है और लोगों को गंदगी से मुक्ति दिलाता है, वह खुद असुरक्षित है, सफाई कर्मचारियों को ना उचित ड्रेस, न मास्क, न जूता, न हैंड क्लब्स मिलता है, एक तरफ आप कोरोना से लड़ रहे हैं, पर जो समाज, कोरोना से आपको बचायेगा, उसके लिए आपने अब तक किया क्या है?

समाजसेवी रामेश्वर जी का कहना है कि दरअसल इनके लिए कोई सुरक्षा ही नहीं, क्योंकि ये इन्सान ही नहीं बल्कि आजाद भारत के गुलाम है, आज सारी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी बन गया पर इन सफाईकर्मियों के लिए नहीं, क्योंकि कोरोना वायरस नाम की बीमारी तो सिर्फ इन्सानों में होती हैं, और ये हैं शोषित गुलाम, तो फिर इनका सुध कौन लेगा?

कमाल है, आजकल कोरोना वायरस को लेकर खुब चर्चाएं चल रही है। मास्क बांटे जा रहे हैं, पर किनके बीच? जिन्हें ज्यादा जरुरी नहीं, पर जिन्हें ज्यादा जरुरी हैं, उनके पास न तो मास्क हैं, न हैंड क्लब्स हैं और न ही जूते और न ही विधानसभा, जहां इन सफाईकर्मियों के लिए कोई सदन में सवाल उठा सकें।

हालांकि जब वोट का दिन आयेगा तो फिर देखिये, इन नेताओं की बोलियां – कैसे, कैसे नाना प्रकार के पक्षियों का आवाज निकालेंगे और इन्हें अपने पक्ष में कर, वोट लेने का तिकड़म निकालेंगे, पर आज क्या हो रहा है, सभी देख रहे हैं। पर, अनिल बांसफोड़ तुम भूलना नहीं, मैं जब तक जिन्दा हूं, आवाज उठाता रहूंगा, चाहे तुम्हारी बात कोई सुने अथवा नहीं सुने। वो हर बात उन तक पहुंचाउँगा, जहां वो बात पहुंचनी चाहिए।