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पिता अस्पताल में, फिर भी दुसरे की सहायता करने में सबसे आगे हैं कुणाल, जनता का विश्वास जीतने में कुणाल के आगे रघुवर व सरयू भी फेल

मैं कभी भी भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला हूं, और न ही मिलने की चाहत है, पर कुणाल षाड़ंगी जैसे लोग मानवीय मूल्यों को लेकर जीते हैं, तो हमें बेहद खुशी होती है, क्योंकि ऐसे ही लोग इतिहास गढ़ते हैं, समाज को नई दिशा देते हैं। जरा देखिये न, जमशेदपुर में तो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी रहते हैं, रहने को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को धूल चटानेवाले सरयू राय भी रहते हैं,

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नेताओं याद रखो, यह समय टिव्टरबाजी का नहीं, पत्रकारों को मदद करने का हैं, मीडिया संस्थानों पर दबाब डलवाओ और उन्हें उनका हक दिलवाओ

इधर पत्रकारों का कोरोना संक्रमण से मरना जारी है। संख्या 20 को पार कर गई है, लेकिन क्या मजाल कि कोई भी राज्य का नेता या पत्रकार से नेता बना, नेता पत्रकारों के लिए कुछ कर जाये, सभी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कोई पत्रकारों के मरने के बाद, उसके बारे में झूठी श्रद्धाजंलि देकर अपना पिंड छुड़ा ले रहा हैं, तो कोई दो मिनट का मौन धारण कर, स्वयं को इस प्रकार जनता के समक्ष पेश आ रहा हैं, जैसे लगता है कि उसने गजब कर डाला है।

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कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगा धनबाद का अंकित अपने जन्मदिन पर 50वीं बार रक्तदान कर दिया संदेश, युवा कोरोना काल में मानवता के लिए आगे आएं

आज अंकित राजगढ़िया का जन्मदिन है। उस अंकित का जो कोरोना काल में कोरोना से पीड़ित लोगों व उनके परिवारों की बेहतरी के लिए हर प्रकार की सहायता करने में लगा है। वह तब से लगा है, जब से कोरोना की बीमारी का आगाज धनबाद में हुआ। उस वक्त से जब कोरोना के लिए वैक्सीनेशन की टेस्टिंग चल रही थी, उस वक्त भी वह टेस्टिंग में सबसे आगे था, और झारखण्ड से स्वयं को टेस्टिंग के लिए प्रस्तुत कर दिया।

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AISMJWA द्वारा पत्रकारों के हितों के लिए किया जा रहा संघर्ष रंग लाया, चारों ओर पत्रकारों के हितों की ही चर्चा

कोरोना काल में जहां पत्रकारों के हितों का दंभ भरनेवाले कुकुरमुत्ते की तरह उगे पत्रकारों के एसोसिएशन अपने-अपने घरों में बैठ कर कोरोना से खुद को मुक्त करने के प्रयास में लगे हैं, वही आल इंडिया शार्ट एवं मीडियम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन AISMJWA ने अपने प्रयासों से सत्तापक्ष और विपक्ष ही नहीं, बल्कि सामाजिक संगठनों/पत्रकार संगठनों की नींद तक उड़ा दी है।

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जमशेदपुर के आजाद नगर में मुस्लिम संगठनों द्वारा निर्मित आइसोलेशन सेंटर को नहीं मिल रही थी प्रशासनिक स्वीकृति, BJP नेता कुणाल ने लगाया जोर, मिली सफलता

दर्जनों मुस्लिम संगठन इस बात को लेकर लगे थे कि जमशेदपुर के आजाद नगर में दस बेडवाली आइसोलेशन सेंटर की प्रशासनिक स्वीकृति मिले, ताकि कोविड-19 से लड़ रहे लोगों को राहत मिल सकें। इन मुस्लिम संगठनों ने इसकी तैयारी तो कर ली, पर प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल रही थी, फिर क्या था? मामला भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी के पास पहुंचा, कुणाल षाड़ंगी ने इस मामले को प्रशासन तक लेकर पहुंचे और इस पर स्वास्थ्य मंत्री समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

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मृत पत्रकारों की जिम्मेवारी पहले मीडिया संस्थान लें, CM मीडिया हाउसों को मिलनेवाले सरकारी विज्ञापनों पर पत्रकारों के कल्याण के लिए दस प्रतिशत सेस लगाये, जो सिर्फ लाचार पत्रकारों पर खर्च हो।

इसमें कोई दो मत नहीं, कि आप में वो जज्बा है, कि आप बहुत कुछ कर सकते हैं, करना चाहते हैं, पर सच्चाई यह भी है कि जब भी आप कुछ बेहतर करना चाहते हैं, कोरोना नामक बिमारी उन बेहतर कार्यों पर ब्रेक लगा दे रही हैं। कोरोना की पहली लहर बीत जाने के बाद लगा था कि अब झारखण्ड तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा, लेकिन कोरोना की दुसरी लहर ने फिर से विकास की गति पर ब्रेक लगा दी और फिर आप कोरोना को रोकने में ही सारी ऊर्जा लगा दी।

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मौसमी चौधरी की 12वीं पुण्य तिथि, मदर्स डे पर मां तापसी ने लगाई न्याय की गुहार, पहले पुलिस और अब CBI पर बिकने का आरोप

आज ट्रेनी एयर होस्टेस मौसमी चौधरी की 12वीं पुण्य तिथि है। कोविड को देखते हुए मां तापसी चौधरी ने सार्वजनिक जगह पर कोई कार्यक्रम नहीं किया बल्कि घर पर ही मौसमी चौधरी को श्रद्धांजलि दी। सामाजिक कार्यकर्ता राधाकांत ओझा के घर पर मौसमी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और शंख बजाकर श्रद्धांजलि दी गई। जमशेदपुर के चर्चित इस कांड के बारे में सभी जानते हैं कि आहा संस्थान की ट्रेनी एयर होस्टेस मौसमी चौधरी को होटल सोनेट से 9 मई को संदिग्ध परिस्थितियों में टीएमएच लाया गया था,

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“सुनिए सरकार, मर रहे हैं पत्रकार” लिखनेवालों, आपने ये क्यों नहीं बताया कि दिवंगत 17 पत्रकार किस संस्थान में काम करते थे? आपने श्रद्धाजंलियों पर कैंची कैसे चला दी?

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पता हैं, यहां के विपक्षी दलों के नेताओं को पता हैं, यहां तक की झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष को भी मालूम है, विभिन्न प्रकार की एनजीओ चलानेवाले लोगों को भी पता है कि राज्य में किन-किन मीडिया संस्थानों में काम करनेवाले पत्रकार अब तक कोरोना काल में मर चुके हैं और कितने अभी विभिन्न अस्पतालों में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं, पर दुर्भाग्य इन पत्रकारों का देखिये कि जिन संस्थानों के लिए काम करते हैं,

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बहरागोड़ा के मास्रा गांव की घटना, कोविड संक्रमित परिवार के साथ ग्रामीणों का अमानवीय व्यवहार, कुणाल के एक ट्विट पर जगा प्रशासन, हुई सख्ती, मिली राहत

कोरोना महामारी के तेज़ी से फ़ैलते संक्रमण के बीच मानवता को झकझोरने वाले मामले भी अब प्रकाश में आ रहे हैं। संक्रमित लोगों की हौसला अफजाई की जगह, चंद लोग उनके साथ उपेक्षित और विभेदपूर्ण आचरण कर रहे हैं। ऐसा ही वाक्या शुक्रवार को पूर्वी सिंहभूम ज़िले के बहरागोड़ा प्रखंड के मास्रा गांव में घटित हुआ। बहरागोड़ा के मास्रा गाँव में एक परिवार का सदस्य कोविड संक्रमित हुआ। जानकारी मिलने पर स्थानीय लोग उसके साथ विभेदपूर्ण और अमानवीय आचरण करने लगे।

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कोरोना के खिलाफ मिली सफलता, भारत ने बनाई कोरोना की दवा, औषधि महानियंत्रक ने दी इमर्जेन्सी अप्रूवल

 

आज बहुत ही सुंदर खबर देखने व सुनने को मिली, जब रक्षा मंत्रालय ने यह बताया कि उसने कोविड के खिलाफ चल रही जंग में एक अच्छी सफलता हासिल की है, और उसकी बनाई गई दवा को भारत के औषधि महानियंत्रक ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मजूंरी दे दी है, इस खबर से निश्चय ही, उन लोगों को बहुत ही राहत महसूस हुआ होगा, जो फिलहाल कोरोना से जंग लड़ रहे हैं तथा इसके खिलाफ चल रही देशव्यापी लड़ाई में निस्वार्थ भाव से लगे हैं,

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