कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगा धनबाद का अंकित अपने जन्मदिन पर 50वीं बार रक्तदान कर दिया संदेश, युवा कोरोना काल में मानवता के लिए आगे आएं

आज अंकित राजगढ़िया का जन्मदिन है। उस अंकित का जो कोरोना काल में कोरोना से पीड़ित लोगों व उनके परिवारों की बेहतरी के लिए हर प्रकार की सहायता करने में लगा है। वह तब से लगा है, जब से कोरोना की बीमारी का आगाज धनबाद में हुआ। उस वक्त से जब कोरोना के लिए वैक्सीनेशन की टेस्टिंग चल रही थी, उस वक्त भी वह टेस्टिंग में सबसे आगे था, और झारखण्ड से स्वयं को टेस्टिंग के लिए प्रस्तुत कर दिया।

जब कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए उनके परिवारवाले भी नहीं आगे आ रहे थे, तो यह प्रशासन से उनके लिए गुहार लगाने, बेहतर व्यवस्था कराने में टिव्टर व फेसबुक आदि सोशल साइट का भी सहारा लिया, जब स्थितियां बिगड़ी तो लोग अंकित के साथ आये। आज “दाता का दरबार” एवं “मारवाड़ी यूथ ब्रिगेड” के युवा उसके साथ मिलकर कोरोना पीड़ितों की सेवा में लग चुके हैं, जिसका फायदा धनबादवासियों को मिल रहा है।

कल यानी 10 मई की बात है, पवन कुमार, उम्र 45 साल, बैंक कालोनी निवासी की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई। पवन की पत्नी तीन माह से गर्भवती है, उसके माता-पिता बुजूर्ग है और दो छोटे भाई है। पवन के परिवार के लोगों ने अंकित से अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी, अंकित ने तुरन्त अपने साथियों चतुर्भुज कुमार, बंटी विश्वकर्मा, शाहिद अंसारी, रविशेखर आदि को फोन लगाया, सभी आ पहुंचे और पवन का अंतिम संस्कार बेहतर ढंग से करा दिया। इसके पहले भी वह इस प्रकार का काम कर चुका है।

आज अंकित का जन्म दिन था, उसने अपना जन्मदिन कुछ अनोखे ढंग से मनाया, उसने आज पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल धनबाद में जाकर पचासवीं बार रक्तदान कर, एक कीर्तिमान बना दिया, ताकि लोगों को रक्त की कोई कमी नहीं हो। अंकित यह काम हमेशा करता रहा है, और लोगों को इसके लिए जगाता भी रहता है, अब सवाल उठता है कि अंकित के जैसे लोग कितने हैं?

वह आज भी कहता है कि स्वास्थ्य सचिव हो तो नितिन मदन कुलकर्णी जैसा, उसने जब कभी याद किया, नितिन मदन कुलकर्णी मदद करने को हमेशा तैयार रहे, लेकिन के के सोन की तो बात ही निराली है, आज के के सोन स्वास्थ्य सचिव के पद से अलग हो गये, एक तरह से ठीक ही हैं, क्योंकि उनसे कोई आम आदमी को तो फायदा नहीं था।

अंकित कहता है कि कोरोना संक्रामक रोग है, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि लोग मानवीयता भूल जाये, लोग अपनों को भूल जाये, यही तो समय हैं, लोगों को अपनापन दिखाने का, यही तो समय है लोगों को खुश रखने का, ऐसे में सेवा के इस पल को हम क्यों खोने दें, क्यों नहीं और लोगों को खुशियां देकर उनके मनोबल को बढ़ाएं।