अपनी बात

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कौन है वो डाक्टर, जो मंत्रियों और विधायकों तक को कूटने का साहस रखता है, सरकार के लोग उससे थर-थर कापंते हैं

“जो भी लोग डा. ओ पी आनन्द को जानते है, उनको पता है कि वे मरीज के सामने किसी भी कानून-नियम, चीज को नहीं मानते। मैं लिहाज कर गया वरना इस जांच कमेटी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटता। मेरे सात मरीज कोविड और दो वेंटिलेटर पर है, इसलिए मैं लिहाज करके छोड़ दिया, वरना ऐसे मंत्री और ऐसे अधिकारियों को कूटके रख दूंगा।” ये संवाद है जमशेदपुर के 111 सेव लाइफ हास्पिटल के संचालक डा. ओ पी आनन्द के।

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ये तो एक ट्विट का कमाल है, नहीं तो जमशेदपुर का ग्रीन इण्डेन सर्विस वाला प्रेम को 1965 रुपये थोड़े ही लौटाता

प्रेम दीक्षित एक जागो संस्था नामक एनजीओ से जुड़े हैं। उन्होंने अपनी पत्नी गीता देवी के नाम से एक गैस कनेक्शन लेना चाहा और इसके लिए वे जमशेदपुर के डिमना सुमन होटल के नजदीक इण्डेन गैस एजेंसी चला रहे ग्रीन इण्डेन सर्विस के कार्यालय पहुंच गये। उन्होंने इस संदर्भ में ग्रीन इण्डेन सर्विस के कार्यालय में कार्यरत प्रतिनिधियों से बातचीत की। प्रतिनिधियों से बातचीत के क्रम में प्रेम दीक्षित ने कहा कि उनके पास चुल्हा मौजूद है, इसलिए उन्हें चुल्हा नहीं चाहिए, केवल गैस कनेक्शन चाहिए,

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सीखिये, जमशेदपुर के युवाओं से – जमशेदपुर में कोरोना पीड़ितों के लिए IPL की तर्ज पर PPL का आयोजन, प्लाजमा व रक्तदान करनेवाले बनायेंगे स्कोर, जिला प्रशासन, नेता व क्रिकेटर आये साथ-साथ

सचमुच सीखिये सीखना हैं तो जमशेदपुर के युवाओं से सीखिये। कुणाल षाड़ंगी से सीखिये। उनकी संस्था ने वो कर दिया है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। उन्होंने आईपीएल की तर्ज पर पीपीएल आयोजित करवा दिया है। मूल उद्देश्य कोरोना पीड़ितों को बेहतर सुविधा प्रदान करना, उनकी जानें बचाना हैं। उनके इस मुहिम में जिला प्रशासन और सुप्रसिद्ध क्रिकेटरों ने भी साथ देने का फैसला ले लिया हैं, किसी ने ठीक ही कहा है कि अगर युवा सोच लें कि हमें बेहतर करना हैं तो उन्हें रोका किसने हैं,

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पत्रकार मर गया, वो कहां का था ये बतायेंगे पर किस संस्थान से जुड़ा था? नहीं बतायेंगे, वाह रे दैनिक भास्कर, तू भी वहीं निकला

कल यानी 13 मई को रांची से प्रकाशित होनेवाले एक अखबार “दैनिक भास्कर” ने अपने “राजकाज” पृष्ठ पर पत्रकारों से जुड़ी समस्याओं को लेकर एक खबर छापी, जो झारखण्ड के सभी संस्करणों में दिखाई दी। हेडिंग थी – “झारखण्ड सरकार पत्रकारों को फ्रंटलाइन वॉरियर घोषित करे, बिहार, ओडिशा, बंगाल समेत छह राज्यों ने पत्रकारों को फ्रंट वारियर्स माना”। सब हेडिंग थी – “राज्य के 22 पत्रकारों की अब तक कोरोना संक्रमण से हो चुकी है मौत”।

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शादी में 11 से ज्यादा पर पाबंदी और टीकाकरण के उद्घाटन मात्र में बिना सोसल डिस्टेंसिंग के 17,  क्या ऐसे आप कोरोना से लड़ लेंगे?

जब आप लोगों को बोलने का मौका देंगे। विपक्ष को बोलने का मौका देंगे तो वे सवाल दागेगें ही, क्योंकि उनका तो विशेषाधिकार है, आपकी गलतियों पर अंगूली उठाने का, और ये अधिकार झारखण्ड की ही जनता ने उन्हें दिया हैं, क्योंकि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठाया है, फिर आप कहेंगे कि वे बाल का खाल निकाल रहे हैं, तो यहां तो आप गलत है। अखबारों/चैनलों का क्या है? वे तो अपना कर्तव्य निभा नहीं रहे, उन्हें तो जैसे ही पता चलता है कि एक पृष्ठ का विज्ञापन आ रहा हैं तो उछल पड़ते हैं, और जिन्हें नहीं मिलता है,

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पत्रकारों के हित में इन्दर सिंह नामधारी ने CM हेमन्त को किया ट्विट, कहा पत्रकारों को फ्रंट वॉरियर घोषित करे सरकार

झारखण्ड के पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए राज्य के प्रथम विधानसभाध्यक्ष इन्दर सिंह नामधारी भी कूद पड़े हैं। इस कोरोना काल में पत्रकारों की हो रही मृत्यु तथा उनके परिवारों की दयनीय दशा देख वे आजकल बहुत दुखी है, साथ ही जो पत्रकार कोरोना पोजिटिव होकर विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं, वे चाहते है कि वे जल्द शीघ्र स्वस्थ हो, पत्रकारिता की मुख्यधारा में आकर समाज व राज्य के हित में कार्य करें।

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AISMJWA के समन्वयक प्रीतम सिंह ने झारखण्ड के CM को लिखा पत्र, पत्रकारों की समस्याओं की ओर कराया ध्यान आकृष्ट

AISMJWA के बिहार-बंगाल-झारखण्ड समन्वयक प्रीतम सिंह भाटिया ने झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन को पत्र लिखकर, पत्रकारों की समस्याओं की ओर अपना ध्यान आकृष्ट कराया है। यह पत्र उन्होंने सीएम हेमन्त सोरेन को इ-मेल के जरिये संप्रेषित किया है। उन्होंने अपने पत्र में कोरोना से मृत पत्रकारों के लिए आर्थिक सहयोग देने की विशेष अपील की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए उनकी एसोसिएशन पिछले सात सालों से लगातार प्रयासरत है।

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“सरकार के भरोसे रहकर हम अपने व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्वों से पीछे नहीं भाग सकते” मतलब साथी हाथ बढ़ाना

इस देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं, जो अपने सपने को पूरा करने और कुछ अलग करने के लिए बंधी-बंधाई नौकरी तक छोड़ देते हैं। लेकिन क्या सोचा है कि इस कोविड काल में ऐसे युवा किन परेशानियों से दो चार हो रहे हैं। आइये, हम आपको जमशेदपुर के साकची में फ़ूड स्टॉल संचालिका पूनम सिंह के हालात से रूबरु कराते हैं जो आज अपने बच्चे के स्कूल की फीस भी नहीं भर पा रही हैं।

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नहीं रहे अपने भावों से सभी के हृदय को गुदगुदा कर आध्यात्मिक रसपान करानेवाले स्वामी हितेषानन्द

आज सबेरे-सबेरे हृदय को वेध देनेवाली समाचार का सामना हुआ, जब हमको चाहनेवाले बिन्दु झा जी का फोन आया और उन्होंने सबेरे-सबेरे यह समाचार दिया कि स्वामी हितेषानन्द जी नहीं रहे। योगदा सत्संग मठ में उन्होंने बीती रात अंतिम सांस ली। यह समाचार सुनते ही मैं अवाक् रह गया। अवाक् इसलिए कि अब कभी भी स्वामी हितेषानन्द जी के वे भाव देखने को नहीं मिलेंगे और न ही वो आध्यात्मिक सुख प्राप्त होगा, जो उनके मुख से निकलनेवाले शब्दों-वाक्यों से सभी को प्राप्त होते थे।

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डूब मरो “दैनिक जागरण” वालों एवं “धनबाद प्रेस क्लब” से जुड़े पत्रकारों

डूब मरो “दैनिक जागरण” वालों एवं “धनबाद प्रेस क्लब” से जुड़े पत्रकारों, तुम्हारे सामने तुम्हारा साथी पत्रकार मर गया और तुम उसके शोकाकुल परिवार के साथ खड़े भी नहीं हो सकें, उसकी मदद भी नहीं कर सकें। “दैनिक जागरण” ने तो वहीं किया जो वह करता आया है, उसने विजय रजक की मृत्यु की खबर तो छापी, पर ये नहीं लिखा कि वह काम कहां करता था? किसके लिए करता था?

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