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आज तीज है, इसी भादो शुक्लपक्ष तृतीया यानी तीज के दिन पार्वती ने अपने तपोबल से शिव को प्राप्त कर लिया था

बिहार और उत्तर-प्रदेश के इलाके में जब-जब भाद्रपद शुक्लपक्ष हस्तनक्षत्र युक्त तृतीया तिथि जिसे कुछ लोग तीज भी कहते हैं, आता है। बड़ी संख्या में इस इलाके की महिलाएं अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए निर्जला व्रत रखती है। रात भर जागकर नृत्य गीतादि कर भगवान शिव और पार्वती की आराधना करती है, ताकि उनका सौभाग्य उनके आशीर्वाद से पुष्पित-पल्लवित होता रहे।

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गुरु पूर्णिमा पर विशेषः सदा जीवंत रहते हैं सद्गुरु – स्वामी ईश्वरानन्द गिरि

जिस तरह पश्चिम में “फादर्स डे” और “मदर्स डे” मनाने का रिवाज़ है (अब तो यह भारत में भी प्रचलन में आ रहा है), उसी तरह भारत में “गुरूज़ डे”  मनाने की बहुत प्राचीन प्रथा है। लेकिन इसे हम गुरु पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं जो हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन पड़ता है। यह पर्व गुरु को समर्पित होता है, और इस दिन पूरे भारत में शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके द्वारा दिखाये गए मार्ग पर निष्ठा के साथ चलते रहने का पुनः संकल्प लेते हैं। 

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योगदा सत्संग मठ में मना परमहंस योगानन्द का जन्मोत्सव, भक्ति रसधारा में डूबे श्रद्धालु

आज परमहंस योगानन्द जी की जयन्ती हैं। रांची के योगदा सत्संग मठ में आज परमहंस योगानन्द जी का जन्मोत्सव धूम-धाम से मनाया गया। बड़ी संख्या में देश-विदेश से परमहंस योगानन्द पर श्रद्धा लुटानेवालों की भीड़ यहां जुटी और भक्ति रसधारा में खुद को डूबोने में इन्होंने अपना ज्यादा समय बिताया। आज सुबह से ही योगदा सत्संग मठ का नजारा देखने लायक था।

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क्या है तीज, कब और किसे करना चाहिए, सबसे पहले किसने किया और इसका क्या फल मिलता है?

बिहार और उत्तर प्रदेश की महिलाओं के लिए तीज काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है। जैसे उत्तर भारत और पश्चिम भारत में करवा चौथ की मान्यता है, ठीक उसी प्रकार बिहार और उत्तर प्रदेश में तीज की मान्यता है। ज्यादातर सौभाग्यवती-सुहागिनें स्त्रियां इस व्रत को बहुत ही धूमधाम से करती हैं तथा ग्रुप में करती है, कही-कही अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को करती है, क्योंकि मान्यता है कि पार्वती ने शिव को पाने के लिए इस व्रत को तब किया था, जब वो अविवाहित थी।

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आधुनिक भारत के महान अवतार महावतार बाबाजी जो ईश्वरीय कार्य के लिए सहस्राब्दियों से आज भी जीवित हैं

आपको आश्चर्य होगा कि इस पृथ्वी पर और खासकर भारत के उत्तर में हिमालय में स्थित बद्रीनाथ की गुफाओं में पिछले सहस्राब्दियों से एक महामानव आज भी स्थूल शरीर के रुप में हमारे बीच विद्यमान है, जो महावतार बाबाजी के नाम से जाने जाते हैं। महावतार बाबाजी का सबसे पहला परिचय महान आध्यात्मिक गुरु परमहंस योगानन्द जी ने 1946 ई. कराया था, जब उन्होंने इसकी सबसे पहली चर्चा “ ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” में की।

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गुरु पूर्णिमा के अवसर पर परमहंस योगानन्द के प्रति भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत समन्वय दिखने को मिला योगदा सत्संग मठ रांची में

आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर योगदा सत्संग मठ में अपने गुरु परमहंस योगानन्द के प्रति भक्ति और श्रद्धा निवेदित करने के लिए भक्तों में अद्भुत समन्वय दिखने को मिला। इस  दौरान सभी ने एकताबद्ध होकर, अपने गुरु के चित्र के समक्ष भक्ति और श्रद्धा निवेदित कर, उनके बताये गये मार्गों पर आजीवन चलने का संकल्प भी लिया।

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अपने शिष्य पर कृपा-वृष्टि करने के लिए एक सद्गुरु को शरीर में बने रहने की कोई आवश्यकता नहीं

जिस तरह पश्चिम में “फादर्स डे” और “मदर्स डे” मनाने का रिवाज है (अब तो यह भारत में भी प्रचलन में आ रहा है)। उसी तरह भारत में “गुरुज डे” मनाने की बहुत प्राचीन प्रथा है, लेकिन इसे हम “गुरु पूर्णिमा” के नाम से मनाते हैं, जो हर वर्ष “आषाढ़ पूर्णिमा” के दिन आता है। यह पर्व गुरु को समर्पित होता है और इस दिन पूरे भारत में शिष्य अपने गुरु की पूजा करते है और उनके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर निष्ठा के साथ चलते रहने का पुनः संकल्प लेते हैं।

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बस कुछ दिन ही शेष हैं, विलम्ब न करें, सपरिवार जाकर रांची के जगन्नाथपुर में रथयात्रा का आनन्द लें

झारखण्डे जगन्नाथः। ऐसे तो ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर से चालीस किलोमीटर अवस्थित पुरी में निकलनेवाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है, पर झारखण्ड की राजधानी रांची के जगन्नाथपुर में भी निकलनेवाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी कम प्रसिद्ध नहीं हैं। इस दिन पूरा रांची भगवान जगन्नाथ के दिव्य रथ को स्पर्श करने, उसे खींचने के लिए जगन्नाथपुर में उमड़ पड़ता है।

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योग आत्मा का विज्ञान है, यह किसी खास धर्म की विरासत नहीं, इस पर सभी का अधिकार – ईश्वरानन्द

योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आज योगदा सत्संग मठ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया। इस आयोजन में सम्मिलित योग साधकों को संबोधित करते हुए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने कहा कि चार साल पूर्व भारत सरकार के अद्भुत प्रयास, प्रभु के आशीर्वाद तथा संपूर्ण विश्व के देशों में योग के प्रति जगी भूख ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प लिया

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16 जून को योगदा सत्संग मठ में क्रिया योग व ध्यान को लेकर स्वामी ईश्वरानन्द गिरि का विशेष व्याख्यान

अगर आप सही मायनों में योग को जानना चाहते हैं, योग में आपकी दिलचस्पी हैं, अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का सही-सही लाभ उठाना चाहते हैं, 21 जून के दिन को आप यादगार बना लेना चाहते हैं, पूरे विश्व में भारत का नाम गर्व से उपर उठाना चाहते हैं, तो आपके लिए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया ने एक बहुत बड़ा मौका दिया हैं, योग को जानने का, योग को समझने का।

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