अपनी बात

बेरोजगार सेलिब्रेटिज को बुलाकर झारखण्ड के हुनरमंद CM रघुवर ने कराया ग्लोबल स्किल समिट

अपने सीएम रघुवर दास के हुनर की भी दाद देनी होगी, देखिये न, कल उन्होंने अपने होनहार आइएएस अधिकारियों के बदौलत, मुंबई की खाक छान रहे, बेरोजगार सेलिब्रटियों को बुलाकर, कितने शानदार ढंग से ग्लोबल स्किल समिट का आयोजन करवा लिया। यही नहीं, यहां के बेरोजगार युवकों, आइएएस अधिकारियों, पत्रकारों तथा इस समिट से जुड़े सभी लोगों का शानदार मनोरंजन भी करवा दिया और लगे हाथों दुबई में यहां के युवकों को ड्राइवर बनने तथा बर्मा, श्रीलंका तथा भूटान जैसे देशों में प्लम्बर बनने का सपना भी जगा दिया, भले ही यहां के युवा दूसरे देश में ड्राइवर या प्लम्बर बनने को तैयार हो या नहीं हो। हां एक बात और इन्होंने इसी प्रकार से एक लाख से अधिक की नौकरी दिलवा दी, इसका ढिंढोरा भी पीटवा लिया और अपनी जय-जयकार भी करवा ली, अब इसका असर दो महीने के बाद क्या होगा? वो बाद की बात है, पर अभी तो पूरे झारखण्ड में अपने सीएम और उनके प्यारे आइएएस अधिकारियों के हुनर की तो सभी कायल हो गये हैं।

एक सज्जन, तो इस ग्लोबल स्किल समिट में दूसरे देशों में ड्राइवर और प्लम्बर बनने का भाषण सुनकर इतने दिवाने हो गये कि वे पारा टीचरों से भी अनुरोध करने लगे, अरे क्या जरुरत हैं, पारा टीचर बनने की, हमेशा पारा रहोगे, अरे ग्लोबल स्किल समिट में आओ, ड्राइवर और प्लम्बर बन जाओ और एक नौकरी में दो चीज का मजा लों, पहली नौकरी और दूसरा विदेश घुमने का मजा, इतना आनन्द देनेवाला नौकरी दिलानेवाला, हमें लगता है कि पूरे देश में कोई हुनरमंद मुख्यमंत्री नहीं होगा, जो अपने देश के युवाओं को प्लम्बर बनाने तथा ड्राइवर बनाने का सपना देखता है, सचमुच यहां के हुनरमंद सीएम को बधाई। कमाल है, भाई वह कौन आइएएस है, जो अभिनेत्री महिमा चौधरी को रांची बुलवा लिया और वह भी एक गाना सुनने के लिए ‘जरा तस्वीर से तू निकल के सामने आ, मेरी महबूबा, मेरी महबूबा।’

उस आइएएस अधिकारी को यहां के बेरोजगार युवाओं को बताना चाहिए कि उसे यहां तक लाने के लिए कितनी राशि खर्च की गई। रोहित राय व चारु शर्मा को यहां तक बुलाने के लिए कितनी राशि खर्च की गई, क्या रांची में उद्घोषकों या उद्घोषिकाओं की कमी है? क्या उद्घोषणा करने की हुनर भी रांची के युवाओं में नहीं है, भई मुंबई से उद्घोषकों को आयात क्यों करवाया गया? ये किसके दिमाग की उपज है?

मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी का ये कहना कि झारखण्ड अब युवा शक्ति के रुप में पहचाना जायेगा, भला अगर कोई राज्य का बड़ा अधिकारी, एक आइएएस, एक मुख्य सचिव, ये कह रहा है कि बांगलादेश, बर्मा, और भूटान जैसे देशों में प्लम्बर बनके, दुबई में ड्राइवर बनके, अगर कोई राज्य युवा शक्ति बनने का ख्वाब देख रहा हैं, तो हमें उसकी बुद्धि पर तरस आ रही है। आप अपने बच्चों के लिए बेहतरी का प्रबंध कर रहे हो या राज्य के युवाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का प्रबंध कर रहे हो, आप यह कैसे और किस आधार पर कह रहे हो कि झारखण्ड युवा शक्ति बन जायेगा।

मैं कहता हूं कि राज्य के आइएएस व आइपीएस बताएं कि उनके घर के कितने बच्चे इस ग्लोबल स्किल समिट का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं, तथा दुबई में जाकर ड्राइवर बनने या लंका, बर्मा तथा भूटान में प्लम्बर बनने को तैयार हैं, ऐसा थोड़े ही है कि यहां जितने भी आइएएस या आइपीएस हैं, सभी के बच्चे होनहार और काबिल ही हैं। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सच्चाई को जानती है कि राज्य में युवाओं के साथ क्या खेल हो रहा हैं? तभी तो उन्होंने मंच से ही कह दिया कि कहीं ऐसा न हो कि ये बच्चे, जिन्हें आज नौकरी मिली हैं, दो महीने बाद ही अपने घरों पर नजर आने लगे कि उन्हें वहां वेतन इतना नहीं मिल रहा था कि उससे गुजारा चल सकें।

हद तो यहां के पत्रकारों ने भी कर दी, वो कहावत है न, आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास, ये कहावत चरितार्थ कर दी, खूब महिमा चौधरी के आगे-पीछे सेल्फी लेने को मचल उठे, हालांकि महिमा चौधरी के साथ सेल्फी लेनेवाले में अधिकारियों का समूह भी था, सेल्फी लेकर इतना वो खुश था, जैसे लगता था कि उसे ब्रह्मानन्द की प्राप्ति हो गई हो, ईश्वर की प्राप्ति हो गई हो, वह महिमा चौधरी के साथ सेल्फी लेने के बाद अपने लोगों को उसे जल्द व्हाट्सएप भी कर रहा था, जिससे लोगों को पता चले कि वो कितने स्पेशल है।

जबकि ठीक इसी प्रकार की एक घटना दिल्ली में घट रही थी, रांची में तो एक अभिनेत्री, जिसे कोई मुंबई में स्थान ही नहीं दे रहा, फिल्मों से कब की आउट हो चुकी है, उसके लिए मारा-मारी हो रही थी, और उधर वर्तमान में फिल्म जगत में धाक जमानेवाले अभिनेता-अभिनेत्रियों का दल पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ सेल्फी लेने को मचल रहा था, जो बहुत वायरल भी हुई, तो झारखण्ड के युवाओं व पत्रकारों आपको कैसा बनना है? ये आप जरुर सोचिये, प्रमाण मैं दे चुका हूं।

सीएम रघुवर के हुनर के चक्कर में पड़ेंगे, तो बर्मा, लंका, भूटान और दूबई जैसे कई देशों के चक्कर लगा आयेंगे, पर अपना सुख-चैन खो देंगे, भविष्य खो देंगे, न तो परिवार को सुख दे पायेंगे और न ही आपको परिवार का सुख मिलेगा, गुलाम बनें रहेंगे, आप खुद सोचिये, सीएम के सोशल साइट पर जाकर एक लड़की जिसे साढ़े बारह हजार की नौकरी मैसूर में मिली है, दिखाया जा रहा है, आप स्वयं बताइये जब रांची में रहकर साढ़े बारह हजार में आप ठीक से जीवन-यापन नहीं कर सकतें, तो आप केरल जैसे राज्यों में कैसे जीवन यापन कर पायेंगे?

यहां यह भी देखा गया कि जिन्हें नियुक्ति पत्र देने की बात हो रही थी, किसी को दरअसल नियुक्त पत्र दिया ही नहीं जा रहा था, नियुक्ति पत्र की जगह ऑफर लेटर था, जिसमें न नौकरी देनेवाले संबंधित अधिकारी का न तो हस्ताक्षर था और न ही मुहर था। उस ऑफर लेटर में पद का नाम भी नहीं दिया गया था, बल्कि उस ऑफर लेटर में ऑन जॉब ट्रेनिंग लिखा हुआ था। एक पिस्का नगरी की लड़की जिसे वेतन 6300 रुपये दिये गये थे, उसे केरल में सिलाई-बुनाई करने के लिए ऑफर लेटर मिला था। ग्लोबल स्किल समिट में शामिल एक कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार ने विद्रोही 24 को बताया कि इससे अच्छा है कि आदमी रांची में भीख मांगकर अपनी जीवन चला लें, ये यहां के बेरोजगार युवकों के साथ क्रूर मजाक है, धोखा है।