अपनी बात

पर शर्म बेच खाये सरकार बहादुर को शर्म नहीं आती, क्या करें आदत से मजबूर है…

कल रांची में एक जबर्दस्त घटना घटी, झारखण्ड चैंबर ऑफ कामर्स ने भारत सरकार द्वारा झारखण्ड के इंडस्ट्रियल पार्क की रैंकिग पर जारी रिपोर्ट पर प्रश्न चिह्न खड़े कर दिये और यहीं नहीं इसे पूरी तरह से फर्जीवाड़ा बता दिया। झारखण्ड चैंबर के अध्यक्ष दीपक मारु और उद्योग उप समिति के चेयरमैन अजय भंडारी के शब्दों में झारखण्ड के उद्योगपति इस रैंकिंग पर हंस रहे हैं।

सच्चाई यह है कि यह रैंकिंग का खेल निराला है, कौन सा राज्य या कहां का मुख्यमंत्री कब प्रथम से तृतीय स्थान के बीच आ खड़ा होगा, कब सर्वश्रेष्ठ हो जायेगा, कुछ कहां नहीं जा सकता, क्योंकि इसमें जो खेल होता है, उसे दरअसल खुला खेल फर्रुखाबादी कह सकते हैं, क्योंकि ये सारे रैंकिंगवाले काम से संबंधित लोगों का सच्चाई से कोई वास्ता नहीं होता। चूंकि हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी इंडस्ट्रियल पार्क में बताया गया है कि झारखण्ड ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यहां तक की गुजरात को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है। जिसको लेकर यहां के उद्योगपतियों में बहुत ही निराशा है, उनका कहना है कि यह रैंकिंग विश्वसनीय नहीं है, और इसका सच से कोई लेना देना नहीं।

दीपक मारु के अनुसार यह रैंकिग का खेल है, जो उद्योग विभाग और कंसल्टेंट को बहुत शूट करता है, चूंकि इसमें लगे लोगों को रैंकिंग मैनेजमेंट में महारत हासिल है, इसलिए ये कुछ भी कर सकते है। टाटीसिलवे इंडस्ट्रियल एरिया को पूरे देश में पांचवा स्थान देना, वहां के उद्योगपतियों के जख्मों को कूरेदने जैसा है। टाटीसिल्वे की घटिया सड़कें, बदतर कानून व्यवस्था और बिजली का सबसे खराब हालात के कारण जहां उद्योगपति परेशान है, वहां इसे बेहतर करने के बजाय सरकार को गलत रिपोर्ट देने का काम जो यहां कंसल्टेंट कर रहे हैं, वह बताता है कि यहां के हालात कैसे है?

दीपक मारु का कहना है कि झारखण्ड में स्थापित 60 औद्योगिक क्षेत्रों मेंसे 30 औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति की जानकारी ली गई, जिसमें अधिकांश में आधारभूत सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है, उसके बावजूद देश में शीर्ष रैंकिग प्रदान करना, बताता है कि यहां सब कुछ गड़बड़झाला है। चैंबर का कहना है कि जल्द ही इसकी सही जानकारी केन्द्रीय उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को दी जायेगी।

अजय भंडारी का कहना था कि 2016 में एनसीएइआर ने राज्यों पर इन्वेस्टर कॉन्फिडेन्स की रैंकिग जारी करने पर झारखण्ड को 14वां स्थान दिया था, 2017 में झारखण्ड चार स्थान लूढ़ककर 18 वें स्थान पर आ गया और 2018 में केवल बिहार से एक स्थान उपर था, वह भी सबसे नीचे से। इसका अर्थ होता है कि निवेशकों का झारखण्ड में दिलचस्पी नहीं है, ऐसे हालात में समझा जा सकता है कि इंडस्ट्रियल पार्क की रैंकिग पर जारी रिपोर्ट फर्जी है या सत्य के निकट।