राजनीति

फिर पुरानी पद्धति से राज्यसभा की दोनों सीटों पर जीत हासिल करने में लगी भाजपा

भाजपा विधायक दल की बैठक में, पिछली बार की तरह झारखण्ड की राज्यसभा की दोनों सीटों पर कैसे कब्जा जमाया जाय? इसको लेकर भाजपा के विधायकों ने अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा और प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह के साथ बैठकर खूब मगजमारी की। एक बार फिर पिछली बार की तरह साम-दाम-दंड-भेद कर राज्यसभा की दोनों सीटों पर भाजपा का परचम लहराने का दिमाग लगाया गया, पर इस बार भी दोनों सीटों पर भाजपा को जीत मिल जाये, ऐसा संभव नहीं दीखता, फिर भी भाजपा के धुरंधरों ने अनिश्चित को निश्चित करने का बीड़ा उठाया है।

अगर भाजपा दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करती हैं, तो चुनाव अवश्यम्भावी हैं, साथ ही एक बार फिर झारखण्ड में अनैतिक तरीके व येन-केन-प्रकारेन से चुनाव जीतने की मनोवृत्ति स्पष्ट रुप से दीखेगी, जिससे विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावना बढ़ेगी। एक तरह से देखा जाय तो भाजपा के पास जितने विधायक है, उस हिसाब से उसे एक सीट पर सफलता मिलनी तय है, पर दूसरी सफलता के लिए उसे तिकड़म लगाने पड़ेंगे, वह तिकड़म कैसा होगा? आप सभी समझ सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि पिछली बार राज्यसभा के चुनाव में जो स्थितियां उत्पन्न हुई थी, उसे लेकर चुनाव आयोग ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, तथा इस संबंध में झारखण्ड के दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था, पर राज्य की रघुवर सरकार ने चुनाव आयोग की बातों को हवा में उड़ा दिया, हालांकि इसको लेकर विपक्षी दलों ने सदन से लेकर सड़क तक राज्य सरकार के इस कृत्य का विरोध किया था, तो क्या एक बार फिर इसी तरह का दृश्य झारखण्ड में दिखाई पडेगा, या नैतिकता के आधार पर एक सीट भाजपा और दूसरी सीट पर विपक्ष को सफलता मिलेगी।

फिलहाल जब तक भाजपा अपना निर्णय खुलकर नहीं सुना देती, सभी असमंजस में हैं, पर विपक्ष भी इस बार ताल ठोक दिया है कि भाजपा कुछ भी कर लें, इस बार भाजपा की गलतफहमी दूर करने के लिए सारा विपक्ष एकजुट है। इधर कांग्रेस-झामुमो की नजदीकियां, तथा भाकपा माले का ये कहना कि भाजपा के खिलाफ उसका वोट जायेगा, इससे स्पष्ट है कि इस बार विपक्ष की स्थिति काफी मजबूत है।