राजनीति

बदल गया बिहार के मतदाताओं का जायका, पहली पसन्द बन रही लालू की पार्टी, एनडीए को झटका

2019 के लोकसभा चुनाव में चाहे एनडीए कितना भी नाक रगड़ लें, इस बार उसे झटका लगना तय है। सर्वाधिक खामियाजा अगर किसी पार्टी को भुगतना पड़ेगा तो वह भाजपा है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में वो ही सर्वाधिक सीटे जीती थी, पर इस बार वैसा माहौल नहीं हैं। भाजपा के साथ जदयू के चले जाने के कारण, जदयू से भी लोगों का मोहभंग हो चुका है।

जो सवर्ण कल तक भाजपा और जदयू के परम्परागत वोटबैंक माने जाते थे, उनका भी इन दोनों दलों से मोहभंग हो चुका है। यादव और मुसलमानों की पहली और अंतिम पसन्द राष्ट्रीय जनता दल है, ये दोनों समुदाय इस बार किसी भी गफलत में पड़ना नहीं चाहते। इन दोनों समुदायों का कहना है कि बहुत विश्वास नीतीश पर कर लिया, अब इन पर विश्वास करना संभव नहीं।

यादव और मुस्लिम समुदायों में नीतीश कुमार पलटू राम के नाम से प्रसिद्ध हो गये है, जबकि लालू प्रसाद यादव के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती दीख रही हैं, चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद के प्रति लोगों का कहना है कि लालू को फंसाया गया है, जबकि इससे ज्यादा भ्रष्टाचार में लिप्त लोग खूब जमकर रसगुल्ले खा रहे हैं।

आश्चर्य इस बात की भी है कि अत्यंत पिछड़ा वर्ग में भी लालू प्रसाद की पार्टी काफी लोकप्रिय होती जा रही है, अगर यही माहौल चुनाव तक रहा तो यादव, मुस्लिम, सवर्ण, दलित और अत्यंत पिछड़ा वर्ग मिलकर, कही नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी की बैंड न बजा दें।

बिहार में राजनीतिक पैठ रखनेवाले राजनीतिक पंडितों की माने, तो बिहार में कभी भी प्रशांत किशोर फैक्टर काम नहीं करता है, यहां विशुद्ध रुप से जातिगत चुनाव होता है, नीतीश, लालू के साथ मिले तो भाजपा उड़ गई। नीतीश, लालू अलग-अलग लड़े, भाजपा निकल गई। इस बार लालू के साथ नीतीश नहीं है, पर एक समय था, जब नीतीश के साथ मुस्लिम मतदाता था, पर आज वैसा नहीं हैं, यह मुस्लिम मतदाता खुलकर, लालू की पार्टी के साथ है, तो ऐसे में नीतीश और मोदी की यहां अब नहीं चलनेवाली, क्योंकि इस बार लालटेन बिहार के घर-घर में दीखेगा। चाहे लालू जेल के अंदर रहे या लालू जेल के बाहर, क्योंकि जनता ने निर्णय कर लिया। नहीं चलेगी मोदी-नीतीश की यारी, बिहार में लालेटन सब पर भारी।