अपनी बात

राज्य सरकार की नाकामी से पूरे राज्य में तबाही, आधा दर्जन की मौत, बाजारों में पसरा सन्नाटा

इन दिनों हो रही भारी वर्षा ने राजधानी रांची समेत पूरे झारखण्ड में तबाही मचा दी है। रांची के कई इलाकों में घरों में पानी प्रवेश कर गया है। राजधानी रांची के कई इलाकों में बाढ़ सा दृश्य है। बच्चों के स्कूल बंद करा दिये गये है। बाजारों में सन्नाटा पसरा है। भारी बारिश ने पशुओं के चारा पर भी संकट खड़ा कर दिया है। इस बारिश ने राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं की भी पोल खोल कर रख दी है। हरमू नदीं के सौंदर्यीकरण का हाल ये है कि सरकार द्वारा हरमू नदी को जो नाली बना दिया गया था, वह नदी का रुप धारण कर, अपनी विकरालता दिखा रही है, कई स्थानों पर डायवर्सन बह चुके है, तो कई पुलों और सड़कों के उपर पानी का बहाव जारी है।

नगर विकास विभाग निष्क्रिय, गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूटा

नगर विकास विभाग ने जो सौंदर्यीकरण के नाम पर नालियां बनाई थी, उन नालियों में बारिश का पानी नहीं जा पाने के कारण कई इलाकों में बाढ़ सा दृश्य है। भारी बारिश से पेड़ों का उखाड़ना जारी है, रांची में कल ऑटो पर एक पेड़ गिर जाने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गये, कई घरों के दिवारों का टूटना तथा कई मकानों के ध्वस्त होने की भी खबर है। कई गांवों के अपने – अपने जिला मुख्यालयों से भी कटे होने की खबर है। भारी बारिश के जारी रहने, विद्युत व्यवस्था ठप होने तथा कोई हालत में सुधार नहीं होता देख और नागरिकों के गुस्से को देख कल देर रात सरकार जगी और आनन-फानन में कुछ निर्णय लिये। जल संसाधन विभाग व पेयजल विभाग के अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गयी है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के सभी उपायुक्तों को दिशा-निर्देश जारी किये है, तथा आपदा प्रबंधन विभाग को राहत कार्य पर ध्यान देने का निर्देश जारी किया है।

बाजारों में सन्नाटा, सब्जियों की दुकानें बंद, चारो ओर पानी ही पानी

इधर लगातार बारिश होने से बाजार में सब्जियों का आना बंद है, कई जगहों पर आज भी सब्जियों के दुकान नही खुले। सब्जी कारोबार में लगे लोगों का कहना है कि लगातार बारिश ने सब्जियों को बहुत नुकसान पहुंचाया है, इसलिए सब्जियों के भाव आकाश छूएंगे। इधर सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, सडकों पर इक्के-दुक्के वाहन चलते दिखाई पड़ रहे है। रांची के तीन महत्वपूर्ण डैम में बहुत वर्षों के बाद पानी खतरे के निशान को पार करने जा रहा है। दूसरी ओर सड़कों पर पानी, खेतों में पानी, नदियों में पानी, डैमों में पानी, जिधर देखो, उधर ही पानी नजर आ रहा है, लेकिन इसके बावजूद जलसंग्रह नहीं होने के कारण, इतनी बेशकीमती पानी का बहाव जारी है। इस बार डोभा निर्माण नहीं होने तथा भूगर्भ जलसंग्रह पर ध्यान नहीं देने के कारण राज्य सरकार और भू-गर्भ जल निदेशालय ने सबसे बड़ा अपराध यह किया कि भू-गर्भ जल संग्रह पर यहां के नागरिकों को न तो जागरुक ही किया और न ही इस पर बड़े फैसले लिये, जिसके कारण आनेवाले दिनों में जल-समस्या एक विकराल रुप धारण करेगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इतना बेशकीमती पानी, प्रचुर मात्रा में हर दम मिलेगा, ये बार-बार संभव नहीं।

जरा इस बारिश में सरकारी डाक्टरों के कारगुजारियां देखिये…

रातू के तिलता समीप सुबह आठ बजे टेंपों पर आम का पेड़ गिरा। घायलों को ग्रामीणों ने सीएचसी लाया ताकि उनका जल्द इलाज हो सके। वहां न तो डाक्टर थे और न ही एंबुलेस, जब डाक्टरों को लोगों ने फोन कर बुलाने की कोशिश की, तब डाक्टरों को पहुंचने में घंटो लग गये। इसी बीच घायल शोभा रानी और नंद किशोर गुप्ता की जान चली गई। बाद में डाक्टरों को न आता देख और घायलों की स्थिति चिंताजनक देख अन्य 6 घायलों को ग्रामीणों ने रिम्स भेजा। यह है झारखण्ड सरकार और यह है उसके स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों की कर्तव्यपरायणता। ऐसे हालत में इस भारी बारिश में यहां की जनता कैसे रह रही है? यह आप स्वयं विचार करिये।