अपनी बात

हिन्दू-मुस्लिम कर रहे हिन्दूवादी संगठनों एवं भाजपाइयों को बंगाल पुलिस ने दिया करारा झटका

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के जियागंज में एक शिक्षक परिवार के तीन सदस्यों के कत्ल के आरोपी उत्पल बेरा को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया, उत्पल बेरा ने अपना जूर्म भी स्वीकार कर लिया हैं, बताया जाता है कि उत्पल बेरा ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ऐसा किया था।

उत्पल बेरा को सागरदिघी के साहापुर से मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया, हालांकि बंगाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की बात मानें तो वे यह विश्वास करने को तैयार नहीं कि कोई व्यक्ति बीमा के पैसे लेने के लिए इस प्रकार नृशंस हत्या कर सकता है, वे इस घटना की सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं।

दशहरे के समय जैसे ही यह घटना घटी, इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम का रंग देने का हिन्दूवादी संगठनों और भाजपा के छुटभैये नेताओं ने शुरु कर दिया। मुर्शिदाबाद में बंधु मंडल, उनकी पत्नी ब्यूटी मंडल व आठ वर्षीय पुत्र की नृशंस हत्या देखते ही देखते पूरे देश में एक बहुत बड़ी खबर बन गई। सोशल साइट में एक सोची समझी रणनीति के तहत इसके नाम पर हिन्दूओं और मुस्लिमों के बीच एक खाई बनाने की कोशिश की गई, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, सारी सच्चाइयां निकल कर आती गई।

बंधु मंडल के परिवार के एक सदस्य ने तो यह मानने से ही इनकार कर दिया कि बंधु का किसी हिन्दूवादी संगठन से रिश्ता था, पर हिन्दूवादी संगठन उसके बावजूद इस मामले को शिथिल होने देना नहीं चाहते थे, हालांकि भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी भी बड़े नेता ने इस मुद्दे पर अपना मुंह नहीं खोला, लेकिन उनके नीचे के कार्यकर्ताओं ने कोई ऐसा पल नहीं छोड़ा, जिसे लेकर आंदोलन नहीं किया हो।

झारखण्ड में तो हद हो गई, झारखण्ड के कई महत्वपूर्ण जिलों में इसको लेकर प्रदर्शन हुए तथा बंगाल सरकार एवं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तीखी आलोचना की गई। ममता बनर्जी को हिन्दू विरोधी एवं मुस्लिम परस्त बताया जाने लगा। रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर गत 13 अक्टूबर को हिन्दू संगठनों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसको लेकर लोगों के बीच में बंगाल सरकार के प्रति संदेह भी उभरा।

लेकिन जिस प्रकार से कल मंगलवार को बंगाल पुलिस ने इस कांड का उद्भेदन किया तथा इसका आरोपी पकड़ा गया, उससे अब इस कांड को जो भुनाने की कोशिश की जा रही थी, उस पर रोक लगेगा। भाजपा के दिलीप घोष का यह कहना कि यह विश्वास नहीं किया जा सकता कि कोई व्यक्ति चंद रुपयों के लिए इतनी बड़ी क्रूरता कर सकता हैं, इसलिए सीबीआइ जांच होनी ही चाहिए।

बंगाल सरकार को चाहिए कि वह इस मामले को सीबीआइ को सुपूर्द कर ही दें, ताकि लोगों को सत्य पता चल सकें, क्योंकि आनेवाले समय में हिन्दूवादी संगठन या भाजपा के लोग यह कहने से नहीं चूंकेंगे कि बंगाल में तो ममता बनर्जी की पुलिस  हैं, उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है? ऐसे ये पूरा मामला बंगाल सरकार पर हैं, कि वह इस मामले को कैसे देखती हैं, पर इस घटना के जल्दी उद्भेदन से बहुत लोगों को राहत मिली हैं, जो दिन-प्रतिदिन हिन्दू-मुसलमान के नाम पर हो रहे प्रदर्शनों के कारण गुस्से में थे।