अपनी बात

आज ही के दिन दो साल पहले बलमदीना एक्का ने प्रभात खबर को धूल चटाया था

आज अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की शहादत दिवस है। आज से दो साल पहले इनके शहादत दिवस पर रांची से प्रकाशित एक अखबार प्रभात खबर ने राजनीति करनी शुरु की थी, पर उसकी सारी राजनीति की हवा निकाल दी थी, परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का ने, जब उन्होंने प्रभात खबर द्वारा दी जा रही कथित शहीदी मिट्टी को लेने से इनकार कर दिया था, यह कहकर कि वह कैसे मान लें? कि यह मिट्टी उस स्थान की है, जहां उनका पति शहीद हुआ। हम अभिनन्दन करते हैं, बलमदीना एक्का जी का, जिन्होंने ऐसा कहकर, उन कई वीरों का मान रखा, जिनके नाम पर कई अखबार और संस्थाएं अमर शहीदों के परिवारों की भावनाओं से खेला करते हैं।

आज का दिन झारखण्ड की महान महिला बलमदीना एक्का का अभिनन्दन करने का दिन है। वह भी इसलिए, क्योंकि आज भी हमारे झारखण्ड में ऐसी वीर महिलाएं हैं जो सत्य को सत्य कहने में पीछे नहीं रहती और किसी भी बड़े संस्थान या सरकार के झूठ के आगे नहीं झुकती। सचमुच दो साल पहले बलमदीना एक्का ने इतिहास बनाया था, जो झारखण्ड के इतिहास में अमर हो गया। उस दौरान हमने इस घटना को अपने vidrohi24.blogspot.in में तिथियों के अनुसार स्थान दिया था। जिसे लोगों ने काफी पढ़ा और सराहा भी। हम चाहेंगे कि समय आज भी वहीं हैं, लोगों को बलमदीना एक्का के इस साहसिक गाथा और अपने पति के शहीदी स्थल की मिट्टी को लाने की उनकी साहसिक पृष्ठभूमि को याद करना चाहिए तथा कैसे उन्होंने एक अखबार को अपने साहसिक कारनामों से धूल चटाया? इसे जानना चाहिए।

THURSDAY, DECEMBER 3, 2015

प्रभात खबर के इस आचरण को देख अलबर्ट एक्का भी शरमा गये होंगे….

आज सुबह आंख खुलते ही, प्रभात खबर अखबार पर नजर पड़ी…
प्रभात खबर ने निवेदन किया था…
“फूल बरसाइए
शहीद अलबर्ट एक्का की समाधि की पवित्र मिट्टी तीन दिसम्बर को रांची से जब जारी गांव (गुमला) की ओर बढ़ेगी, जगह-जगह पर आप कलश पर फूल बरसा कर अपने नायक का सम्मान करें.
निवेदक
प्रभात खबर”
यात्रा का समय भी दिया गया था…
सुबह 7 बजे
अलबर्ट एक्का चौक से प्रस्थान…
पर क्या आप जानते है?
कि जिस प्रभात खबर अखबार ने निवेदन किया था, उसका एक भी आदमी रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर मौजूद नहीं था, वह भी तब, जब रांची के अलबर्ट एक्का चौक से रथ प्रस्थान करनेवाला था, यहीं नहीं रथ की अगुवानी करने की दिलचस्पी भी इन प्रभात खबर वालों ने नहीं दिखाई यानी
फूल बरसाने का निवेदन करनेवाला, खुद ही फूल बरसाने से अपने आप को अलग कर लिया था…शायद उसे सुबह में ठंड लगने का खतरा था या देर से उठने की आदत, मुझे समझ नहीं आया…
मैं पूछता हूं, प्रभात खबर के प्रधान संपादक से, कि जहां कारपोरेट एडीटर, कार्यकारी संपादक और संपादक यानी संपादकों की ही लंबी फौज रखने की परंपरा है वहां इनमें से किसी एक संपादक या आपके यहां कार्यरत अन्य लोगों में से किसी एक व्यक्ति को छुट्टी नहीं थी कि वो रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर शहीद अलबर्ट एक्का की माटी का सम्मान करें… अरे आप निवेदनकर्ता थे, निवेदक थे, कम से कम इसका तो ख्याल रखना चाहिए था आपको…
आज ही देखिये आपके कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने क्या लिखा है – “छोटी और ओछी राजनीति, आलोचना, नकारात्मकता से समाज का भला नहीं होता. यह शहीद की समाधि की माटी है. इसकी पवित्रता को समझें और नमन करें. कर्म और दायित्व को प्रमुखता दें”
अनुज जी, झारखंड की जनता कर्म और दायित्व को प्रमुखता देने के अपने संकल्प को हृदय से लगाकर रखती है, उसे आपके ज्ञान की जरुरत नहीं…
जरुरत तो आप जैसे प्रभात खबर में कार्य कर रहे उच्च स्थानों पर बैठे लोगों को है, जो शहीद अलबर्ट एक्का चौक की आड़ में प्रभात खबर को चमकाने में लगे है… जो शर्मनाक है…
खुशी इस बात की है कि यहां की जनता जाग चुकी है…शायद यहीं कारण है कि आपके इस निवेदन की कम से कम रांची की जनता ने अनसुनी कर दी…शायद उसे पता था कि जो निवेदन किया है, वो खुद ही नहीं होगा…तो ऐसे जगह जाने से क्या मतलब…अलबर्ट एक्का तो हृदय में रहते है…उन्हें हमेशा नमन है…दुनिया को दिखाने की क्या जरुरत…
शायद यहीं कारण भी रहा कि अलबर्ट एक्का चौक पर जब रथ आया तो उस पर पुष्पांजलि देने के लिए तीन ही हाथ बढ़े, दो आदिवासी महिलाओं के और एक भाजपा नेता प्रेम मित्तल के… चौथा मैं ढूंढता रहा कोई नहीं मिला और खोजा प्रभात खबर के उन कर्णधारों को भी, जो पिछले कुछ दिनों से अलबर्ट एक्का के नाम पर प्रभात खबर – प्रभात खबर का ढिंढोरा पीट रहे थे… पर वे रांची से गायब थे, मैंने पूछा आखिर क्यों… तो एक पत्रकार ने मजाक में कहा कि बड़ा ठंडा है न और अखबार में रात में बहुत काम रहता है… इसलिए रांची में ये महापुरुष नहीं दिखेंगे, ये सभी महापुरुष है,  इसलिए जारी गांव में मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ दीखेंगे… क्योंकि कल ही तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि पत्रकारिता प्रभात खबर जैसी करनी चाहिए… और फिर वह ठठा कर हंसने लगा…
सचमुच अलबर्ट एक्का के नाम पर जिस प्रकार लोगों का भावनात्मक शोषण प्रभात खबर ने किया है… हमें लगता है कि इसे देख स्वर्ग में बैठे अलबर्ट एक्का भी शरमा गये होंगे…

FRIDAY, DECEMBER 4, 2015

परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना ने प्रभात खबर को धूल चटाया…

इसे कहते है, नहले पे दहला…
प्रभात खबर अखबार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी इतनी भद्द पीटेगी, पर ये तो सत्य है, उसकी भद्द पिटी है, और वह भी अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का के द्वारा, जब बलमदीना एक्का ने प्रभात खबर के इस नौटंकी पर ही यह कहकर विराम लगा दिया कि ये मिट्टी मेरे शहीद पति की ही है यह मैं कैसे मान लूं। मैं इसे छुऊंगी भी नहीं…
अलबर्ट एक्का के बेटे विनसेंट एक्का का कहना था कि बाबा की मिट्टी आ रही है हमन के जानकारी नखे…
क्या बात है?
हर जगह राजनीतिबाजी…
और इस बार राजनीतिबाजी कर दी, रांची से प्रकाशित प्रभात खबर ने, वह भी परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर…
फिलहाल हम आपको बता दें कि सच्चाई यहीं हैं कि बलमदीना एक्का ने प्रभात खबर द्वारा आयोजित और राज्य सरकार द्वारा प्रभात खबर को अप्रत्यक्ष रुप से समर्थित इस कार्यक्रम में लाए गये माटी को अस्वीकार कर दिया और फिलहाल ये माटी गुमला के उपायुक्त के पास रख दी गयी है…
इतना होने के बावजूद भी प्रभात खबर का घमंड टूटा नहीं है…उसने आज भी अपने किये पर पर्दा डालने की झूठी कोशिश की है, जबकि सभी अखबारों ने उसके झूठ की पोल खोलकर रख दी है…
जरा गौर करिये…
रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान ने हेडिंग दी – “कलश लेने से किया इनकार”
दैनिक जागरण ने हेडिंग दी – “समाधि की मिट्टी लेने से परिजनों का इनकार”
दैनिक भास्कर ने लिखा – “ये मिट्टी मेरे शहीद पति की ही है यह मैं कैसे मान लूं। मैं इसे छुऊंगी भी नहीं”
और प्रभात खबर ने लिखा – मुख्यमंत्री ने शहीद अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी सौंपी – अरे यार किसको सौपी ये तो बताओ, यानी झूठ पर झूठ…
एक बार फिर प्रभात खबर ने दूसरा झूठ छापा, आज का प्रथम पृष्ठ देखिये –जिसमें लिखा है – अलबर्ट एक्का चौक से सुबह सात बजे उपायुक्त और एसएसपी ने किया सजे रथ को रवाना और इसी का संवाददाता पृष्ठ 11 पर लिखा है कि डीसी और एसएसपी ने सुबह 8 बजे रथ को रवाना किया, वह भी उस हालात में, जबकि प्रभात खबर निवेदक बना हुआ था…ये सारा कार्य उसी के द्वारा चलाया जा रहा था…तब ये हालात है इस अखबार के, खुद को लिखता है, अखबार नहीं आंदोलन…ये कैसा आंदोलन चला रहा है भाई…भगवान ही मालिक है इस अखबार का…खुद निवेदक होता है और जहां से रथ रवाना होता है, जहां रथ की सबसे पहले स्वागत होनी चाहिए, पुष्पवृष्टि करनी चाहिए, वहां से इसकी पूरी टीम ही गायब रहती है…
हे ईश्वर, इस अखबार के प्रधान संपादक, कारपोरेट एडीटर, कार्यकारी संपादक और संपादक को सद्बुद्धि दें, पर उसे सद्बुद्धि मिलेगी कैसे? उसका तो प्रधान संपादक महागठबंधन के नेताओं का पूजा-अर्चना करने में लगा है…

SATURDAY, JANUARY 16, 2016

प्रभात खबर की हालत पस्त, बलमदीना का अभुतपूर्व स्वागत अर्थात् अलबर्ट एक्का को हृदय से सम्मान…

आज रांची से प्रकाशित होनेवाले प्रभात खबर को छोड़कर सभी अखबारों ने हृदय को आह्लादित व भावविभोर कर देनेवाली खबर, प्रथम पृष्ठ पर छापी है। खबर है – 44 साल बाद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना, वीर शहीद की मिट्टी ला रही है। रांची के कई सामाजिक संगठनों ने उक्त मिट्टी का तहेदिल से स्वागत करने का फैसला ही नहीं लिया, बल्कि स्वागत करने के लिए निकल पड़े है, भारतीय सेना का तो जवाब ही नहीं, त्रिपुरा में जिस प्रकार से भारतीय सेना ने बलमदीना और उनके साथ गयी टीम का स्वागत किया। वह अदभुत है। बलमदीना का तो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने जिस प्रकार से स्वागत किया। उस स्वागत के संस्मरण से आज प्रभात खबर को छोड़कर सारे अखबार पटे हुए है, पर प्रभात खबर में इस खबर को वो तवज्जो नहीं मिली है। शायद प्रभात खबर को लगता है कि यह खबर उनके लिए उतनी कोई मायने नहीं रखती। मायने रखेंगी भी कैसे?, क्योंकि उसे लगता है कि गर ये खबर छापेंगे तो उसकी पोल खुल जायेंगी, जबकि सच्चाई ये है कि प्रभात खबर ये खबर छापे या न छापे, उसकी पोल व कलई एक तरह से झारखण्ड की समस्त जनता के सामने खुल गयी है कि वो कैसा अखबार है?
हम आपको बता दें कि जिस प्रकार का घमंड आज प्रभात खबर ने पाल रखा है, ठीक इसी प्रकार का घमंड कभी बिहार से प्रकाशित होनेवाली अखबार आर्यावर्त को भी था, पर आज आर्यावर्त कहां चला गया, सभी को पता है। हम आज दावे के साथ कह सकते है कि जिस प्रकार आर्यावर्त अखबार का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया, ठीक इसी प्रकार प्रभात खबर का भी सूर्य अब सदा के लिए अस्त होने चला है…
हम इस अवसर पर दैनिक भास्कर अखबार का तहेदिल से स्वागत करना चाहेंगे, जिसने शुरुआत से ही प्रभात खबर की झूठी खबर और उसकी ढोंग का वो आपरेशन किया, जिस आपरेशन से प्रभात खबर की बची-खुची सम्मान भी समाप्त हो गयी। प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर 3 दिसम्बर 2015 को किस प्रकार का ढोंग व पाखंड किया। उस ढोंग व पाखंड को मैंने भी उजागर किया था। इसे आप मेरे ही फेसबुक पर या www.vidrohi24.blogspot.in पर पढ़ या देख सकते है। अब तो एक तरह से स्पष्ट हो गया कि प्रभात खबर ने अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के नाम पर किस प्रकार झारखण्ड के लोगों का भावनात्मक शोषण किया और अमर शहीद का अपमान किया। सवाल एक बार फिर क्या प्रभात खबर को उसके इस हरकत के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए? इस सवाल पर मेरा उत्तर होगा – इसकी सजा, उसे ईश्वर देगा, जो उसकी सजा पर निर्णय कब का सुना चुका है।
हम तहेदिल से मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी अभिनन्दन करना चाहेंगे, जिन्होंने प्रभात खबर की बातों में न आकर, बिना देर किये, त्वरित निर्णय लिया और अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना की भावनाओं का कद्र करते हुए, एक टीम गठित कर, वो कर दिखाया कि आज दूध का दूध, पानी का पानी हो गया। ऐसे ही मुख्यमंत्री की झारखण्ड को जरुरत है, जो अखबार के इशारों पर न चलकर, स्वविवेकानुसार निर्णय करता है, यहीं नहीं अमर शहीद के परिवारों का सम्मान ही नहीं, बल्कि उसके आदेश को सर माथे लगाता है…
रघुवर दास जी, सचमुच आप प्रशंसा के पात्र है…
आपने वो कार्य कर दिखाया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती…
आपने एक अखबार के ढोंग व पाखंड को भी उजागर कर दिया…
सही मायनों में आपने झारखण्ड का सम्मान रखा है…
उन वीर पुत्रों की मां, पत्नियां, बेटे- बेटियां आपको जरुर दुआएं देंगी, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व खो दिया…
या देश के लिए आज भी सर्वस्व खोने को तैयार हैं…

SUNDAY, JANUARY 17, 2016

प्रभात खबर की गलथेथरई…

अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पवित्र मिट्टी झारखण्ड पहुंच चुकी है। 44 साल बाद अपने वीर सैनिक की मिट्टी को देख सभी अभिभूत है, सभी ने मिलकर स्वागत किया है। राज्य के सारे अखबार (प्रभात खबर को छोड़कर) प्रसन्न है, इस अवसर पर विशेष पृष्ठ दिये है। राज्य सरकार के अधिकारी व राज्य सरकार संतुष्ट है, जिसने अपना पति गवांया, वो बलमदीना खुशी से फूली नहीं समा रही, अलबर्ट एक्का का सारा परिवार आनन्दित है, जो लोग मिट्टी लाने के लिए त्रिपुरा गये थे, उस टीम में शामिल सभी लोगों की आंखे, इस खुशी के पल को देखकर छलक रही हैं पर प्रभात खबर को प्रमाणिक दस्तावेज चाहिए कि ये जो मिट्टी आयी है, उसका क्या सबूत है कि ये मिट्टी अलबर्ट एक्का की ही है…
प्रभात खबर ने टीम में शामिल एक सदस्य से ऐसे – ऐसे सवाल पूछे है, जिसे पढ़कर आपको उस अखबार की घटिया मानसिकता का पता चल जायेगा…
अखबार ने बलमदीना के आंचल में पड़े शहीद की मिट्टी के प्रमाणिक दस्तावेज के बारे में पूछा है…
जबकि सारे लोग जानते है, वो अखबार खुद जानता है कि जहां युद्ध होते है, वहां वीरों के शव को किस प्रकार सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है, पर प्रभात खबर को दस्तावेज चाहिए…
जबकि वो अखबार अच्छी तरह जानता है कि ढुलकी गांव के सारे लोग, वो व्यक्ति भुवन दास जिसने वीरों के शव को दफनाया था, कहा है कि यहीं वह जगह हैं, जहां उसने दफनाया था, जहां आज एक मकान बन गया है, जो मकान गोपाल चंद्र दास का है, गोपाल चंद्र दास अपने मकान के आंगन को खुद ही अपने हाथों से खोद डालते है और विन्सेंट एक्का अपनी मां के आंचल में वो पवित्र मिट्टी डाल देता है…इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है…
और जो प्रभात खबर मिट्टी मंगवाया था, वहां से 100 मीटर की दूरी से लाई गयी मिट्टी थी…यानी गलत पर गलत प्रभात खबर किये जा रहा है और ढिठई से खुद को औरो से बेहतर बताने की असफल कोशिश किये जा रहा है। जिसके कारण उसकी लगातार जगहंसाई होती जा रही है…
पर बेशर्म को शर्म कहां…वाली कहावत बार बार उसके साथ चरितार्थ हो रही है…
आज एक बार फिर दैनिक भास्कर ने प्रभात खबर की पत्रकारिता पर ही सवाल उठा दिया है, जो सही भी है…
प्रभात खबर बताये कि क्या एक शहीद की मिट्टी इसी तरह लायी जाती है, जैसा कि उसने लाकर किया…अरे एक सामान्य व्यक्ति की मौत हो जाने पर भी उसके परिवार वाले भी उसके मिट्टी को इस प्रकार नहीं लाते और न ले जाते है, जैसा कि प्रभात खबर ने किया…प्रभात खबर को इस कुकर्म के लिए अविलम्ब सारे झारखण्डवासियों से माफी मांगनी चाहिए…पर वो माफी क्यूं मांगेगा, उसे तो लगता है कि दुनिया की सारी अच्छाइयां उसी में समायी हुई है…
जरा प्रभात खबर से पूछिये कि 3 दिसम्बर को उसी के द्वारा आयोजित रथ को रांची के अलबर्ट एक्का चौक से प्रस्थान करने वक्त उसके कितने लोग मौजूद थे…वो तो पुष्प वृष्टि कराने का निवेदन भी किया था…पर निवेदक की पूरी टीम पुष्पवृष्टि के समय ही गायब थी, जिसका वर्णन में पूर्व के एपिसोड में कर चुका हूं…
चलिए…अब तो जगजाहिर हो चुका है…कि प्रभात खबर क्या है? उसे गलथेथरई करने दीजिये…क्योंकि गलथेथरई में उसे महारत हासिल है…
प्रभात खबर ने ओछेपन में सवाल भी दागे है, वो क्या है, जरा देखिये…
प्रभात खबर के अनुसार…
अनुत्तरित सवाल
रतन तिर्की ने 30 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन कर मिट्टी पर सवाल उठाते हुए मिट्टी की जांच की मांग की थी, तो क्या इस बार मिट्टी की जांच कर उसे लाया गया है. क्या यह संभव है कि जमीन से छह-आठ फीट खुदाई कर मिट्टी ली जाये.
अंतत:
प्रभात खबर का मानना है कि ऐसे सवालों का कोई अंत नहीं है. यह पवित्र मिट्टी है. जिसमें अलबर्ट एक्का के परिवार की आस्था हो, जो वे चाहते हैं, वही होना चाहिए, राजनीति नहीं. बेहतर है सब मिट्टी मिला कर उनके गांव में समाधि बने, ताकि परमवीर अलबर्ट एक्का के प्रति श्रद्धा और बढ़े.
प्रभात खबर को हमारा जवाब…
रतन तिर्की ने 30 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन कर, प्रभात खबर द्वारा लायी गयी मिट्टी पर सवाल उठाकर, जांच की मांग कर यह पूछने की कोशिश की थी कि आखिर कैसे ये मान लिया जाय कि ये जो मिट्टी लाई गयी है, वो अलबर्ट एक्का की कब्र की है, इसका उत्तर उस वक्त न तो प्रभात खबर के पास था और न ही अन्य के पास…
लेकिन आज जो मिट्टी आयी उसका जवाब सभी के पास है…
वो व्यक्ति जिसने दफनाया यानी भुवन दास साफ बताया कि गोपाल चंद्र दास का जहां मकान बना है, वहीं दफनाया गया और डेढ़ महीने जो पहले मिट्टी लाई गयी थी, वो उस जगह की है ही नहीं…तो फिर ये अनुत्तरित सवाल कैसे रहा…ये तो वहीं बात हुई कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया…
अंततः अरे जब बलमदीना संतुष्ट है, पूरा झारखण्ड संतुष्ट है तो प्रभात खबर के चीखने – चिल्लाने से क्या होगा? उसके चीखने – चिल्लाने से झूठ सच थोड़े ही हो जायेगा…चीखते रहो भाई प्रभात खबर…
इतिहास लिखा गया…
कि 44 साल बाद परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की मिट्टी 16 जनवरी 2016 को रांची लाई गयी थी, जिसका सभी ने शानदार स्वागत किया और प्रभात खबर ने परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के मिट्टी लाने के नाम पर डेढ़ माह पहले झारखण्ड की जनता की आंखों में धूल झोकने की कोशिश की थी, जिस पर परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना ने सदा के लिए विराम लगा दिया।
ये घटना उन पत्रकारों और अखबारों के लिए सबक भी है, जो खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के चक्कर में गलत पर गलत करते चले जाते है…प्रभात खबर को मानना होगा कि उसने अलबर्ट एक्का की मिट्टी लाने के प्रकरण पर अपनी सारी प्रतिष्ठा पूरी तरह से गंवा चुकी है…